फसलों को पाले से कैसे बचाएं?
*लक्षण:*
सायंकाल आसमान साफ हो, हवा शांत हो एवं तापमान में कमी के साथ गलावट बढ़ रही हो तो तय मान लें कि उस रात पाला पड़ने वाला है ।
*संवेदनशील फसलें:*
पाले के प्रति अति संवेदनशील फसल अरहर, मसूर, मटर, टमाटर, बैगन एवं आलू है ।
*बचाव हेतु करलें उपाय:*
# सर्व प्रथम हल्की सिचाई करें तथा रात 10 बजे के पश्चात खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेडों पर धुँआ करे।
# सल्फर डस्ट 08 से 10 किग्रा. प्रति एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करे ।
# थायो यूरिया 15 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) अथवा 150 ग्राम 150 लीटर पानी के साथ प्रति एकड़ की दर से खडी फसल पर छिडकाव करे ।
# म्यूरियट आफ पोटैश 150 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) अथवा 1.5 किग्रा प्रति एकड की दर से 150 लीटर पानी के साथ छिडकाव करें।
# तनु सल्फ्यूरिक अम्ल 15 मिली प्रति पम्प (15 लीटर पानी) अथवा 150 मिली. को 150 लीटर पानी में सावधानी पूर्वक घोल बनाकर खडी फसल पर छिड़काव करें।
# पाले से बचाव हेतु ग्लूकोज का उपयोग अत्यंत प्रभावी उपाय है !खडी फसल पर 25 ग्राम ग्लूकोज प्रति पम्प की दर से छिडकाव करें। यदि फसल पाले की चपेट में आ गई हो तो तुरंत 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति पम्प (15 लीटर पानी) की दर से प्रभावित फसल प्रछेत्र पर छिड़काव कर दें ।
# एन पी के (18:18:18 अथवा 19:19:19 अथवा 20:20:20) 100 ग्राम + 25 ग्राम एग्रोमिन प्रति पम्प की दर से पाले से प्रभावित फसल पर छिडकाव करके उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।
# जैविक नियंत्रण के लिए 500 मिली. ताजा गोमूत्र अथवा 500 मिली. गाय के दूध को प्रति पम्प (15लीटर पानी) की दर से घोल बनाकर पाले से पूर्व फसल पर छिडकाव करे ।
# स्थाई समाधान के लिए खेत के उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों की बाड़ तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है ।