विश्व मानचित्र पर उत्तर प्रदेश का जेवर’


लगभग 30 हजार करोड़ की लागत से देश का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के जेवर में बनेगा, उसके लिए विकास कर्ता का चयन किया जा चुका है जिस पर निर्माण कार्य्र अगले माह शुरू हो जाएगा। इसी के साथ अपना जेवर अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर दर्ज हो जाएगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश मे रोजगार की अपार संभावनायें लेकर आ रही है। इस परियोजना के कारण उत्तर प्रदेश में पूँजी निवेश बढ़ने के साथ -साथ अन्य विकास कार्र्यां को भी गति मिलेगी इसके अलावा रोजगार के अवसर भी बढ़ंेगे। उत्तर प्रदेष के गौतमबुद्ध नगर जिले में बनने वाले देश के इस सबसे बड़े हवाई अड्डे से वर्ष 2024 में उड़ान शुरू हो जाने की उम्मीद है। इसको बनाने का ठेका ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी को मिला है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तीसरा हवाई अड्डा होगा। इससे पहले दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट से विमानों का आवागमन होता है। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से जेवर एयरपोर्ट की दूरी 80 किलोमीटर है। यह एयरपोर्ट यमुना एक्सप्रेस वे के जेवर टोल प्लाजा से काफी नजदीक पड़ेगा। इस एयरपोर्ट के निर्माण से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों और विमानों की संख्या में कमी हो जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि कई विमानों का संचालन यहां पर शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस हवाई अडृडे पर छह से आठ रन वे होंगे जो भारत में स्थित सभी हवाई अड्डों में सबसे ज्यादा होंगे। हवाई अड्डे का पहला चरण 1,334 हेक्टेयर में फैला होगा और इस पर 4,588 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अधिकारियों ने बताया कि पहला चरण 2023 में पूरा होने की उम्मीद है। इसे उत्तर प्रदेष की योगी और औरकेन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जार हा है। इस हवाई अड्डे को बनाने के लिए 15 कम्पनियों ने तकनीकी निविदा  डाली थी और चार कंपनियों ने बोली लगाई थी, जिसमें अडानी समूह, एनकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट होल्डिंग लिमिटेड और दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) शामिल थे। ज्यूरिख एयरपोर्ट ने प्रति यात्री फीस के लिए 400.97 रुपये, क्प्।स् (दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड) ने 351 रुपये, अडानी इंटरप्राइजेज ने 360 रुपये और एनकोरेज ने 205 रुपये की बोली लगाई थी। प्रति यात्री फीस वो होती है, जो एयरपोर्ट का रखरखाव करने वाली कंपनी यात्रियों से वसूलेगी और इसे सरकार के पास जमा कराएगी। इस हवाई अड्डे का नाम नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट होगा। इस प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर ने बताया कि जब यह हवाई अड्डा पूरी तरह बन जाएगा तो यह 5,000 हेक्टेयर में फैला रहेगा। इसे बनाने में 29,560 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पूरी तरह बन जाने के बाद यह भारत का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने 84 फीसदी से अधिक जमीन अधिग्रहण कर यमुना अथॉरिटी को कब्जा भी दिला दिया है। अधिग्रहीत की गई जमीन पर जल्द ही पिलर लगाने का काम शुरू किया जाएगा। एयरपोर्ट के पहले चरण के तहत 1239 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। 1239 हेक्टेयर भूमि में से 77 फीसदी यानी करीब 950 हेक्टेयर भूमि का मुआवजा वितरण हो चुका है। प्रशासन प्रतिकर लेने वाले किसानों की भूमि पर कब्जा ले रहा है। जेवर के पास नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनाए जाने के ऐलान के बाद यमुना सिटी में इंडस्ट्री लगाने के लिए देशी-विदेशी उद्योगपति बड़ी संख्या में आगे आए हैं। अथॉरिटी ने 10 और कंपनियों को इंडस्ट्री लगाने के लिए प्लॉट अलॉट किए हैं। इससे पहले भी अथॉरिटी 170 कंपनियों को प्लॉट अलॉट कर चुकी है। इन कंपनियों  के चालू होने पर डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तौर पर अगले 2 से 3 साल में सवा लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। अनुमान है कि ये कंपनियां हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। यमुना अथॉरिटी के ओएसडी और निवेश सेल के चेयरमैन ने बताया कि यमुना अथॉरिटी एरिया में जेवर के पास इंटरनैशनल एयरपोर्ट की टीईएफआर तैयार करने को लेकर 10 जनवरी 18 को अथॉरिटी ने पीडब्ल्यूसी के साथ एमओयू किया था। अप्रैल 2018 में पीडब्ल्यूसी की सौंपी गई रिपोर्ट को मंजूरी मिल गई। मई 2018 में नागर विमानन मंत्रालय ने जेवर एयरपोर्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। उन्होंने बताया कि इसके बाद यमुना सिटी में इंडस्ट्री लगाने के लिए देशी-विदेशी उद्योगपति निवेश करने के लिए आने लगे। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में यहां इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, प्लास्टिक प्रॉडक्ट, स्टील, फूड प्रोसेसिंग, फार्मा आदि कंपनियां लग सकती हैं। अब तक अथॉरिटी 180 इंडस्ट्री को जमीन अलॉट कर चुकी है। इन सभी कंपनियों को यमुना सिटी के सेक्टर 24, 32,33 आदि में 342 एकड़ जमीन अलॉट कर दी गई है।अकसर निवेशक ऐसे ही इलाके में निवेश करने की इच्छा रखते हैं, जहां से न सिर्फ उन्हें फायदा मिले, बल्कि लोगों की आवाजाही भी होती रहे। पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की नजरें जेवर पर गड़ी हुई है, जिसे आने वाले वर्षों में बड़े कमर्शियल हब के रूप में देखा जा रहा है। नेशनल कैपिटल रीजन यानी एनसीआर के दूसरे एयरपोर्ट तक अब मेट्रो भी पहुंचेगी। यह बात खुद राज्य सरकार ने केंद्र को बताई है। सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मौजूदा ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन का जेवर एयरपोर्ट तक विस्तार करेगी। इसका मतलब है कि परी चैक से आगे मेट्रो को बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी (ल्म्प्क्।) को एयरपोर्ट स्थापित करने के लिए बतौर नोडल एजेंसी चुना है। इस प्रोजेक्ट के पहले चरण के लिए राज्य सरकार अथॉरिटी को चार हजार करोड़ रुपये देगी। इसी साल जून में केंद्र सरकार ने ग्रेटर नोएडा के जेवर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट को मंजूरी दी थी।  जेवर पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब गौतम बुद्ध नगर जिले के तहत एक नगर पंचायत है। एनसीआर का हिस्सा होने के बावजूद कुल 32,269 की आबादी वाले इस इलाके में अब भी विकास कार्यों का पूरी तरह से होना बाकी है।   एयरपोर्ट बनने के मद्देनजर रियल एस्टेट डिवेलपर्स ने इलाके के आसपास भारी निवेश किया है। हालांकि प्रॉपर्टी मार्केट में गिरावट होने से मुश्किलें तो आई हैं, लेकिन जेवर एयरपोर्ट प्रॉपर्टी कीमतों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित जरूर करेगा। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ शहरों के लोगों को एयरपोर्ट जाना हो तो वह कम से कम 2 घंटे के सफर के बाद दिल्ली पहुंचते हैं। जेवर में एयरपोर्ट बनने के बाद इन लोगों के लिए हवाई सफर और आसान हो जाएगा। चूूंकि यह सरकार के रीजनल कनेक्टिविटी योजना का हिस्सा है, इसलिए उम्मीद है कि प्रस्तावित जेवर एयरपोर्ट यात्रियों को सस्ते विकल्प मुहैया कराएगा।एयरपोर्ट बनाने के लिए 2,378 एकड़ की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। राज्य सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप करना चाहती है, लिहाजा जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाया गया है, जिससे जेवर में जमीन धारकों को ज्यादा वित्तीय मुनाफा होगा। मेट्रो कनेक्टिविटी के साथ एरिया मुहैया कराए जाने की योजना से निवेशकों की संभावनाओं में और सुधार आएगा।


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