एस्टा शुगर कॉन्क्लेव-2020 हुआ आयोजन



प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री श्री सुरेश राणा द्वारा एस्टा शुगर कॉन्क्लेव-2020 के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करते हुये बताया गया है कि, इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य चीनी उद्योग को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के सम्बन्ध में चर्चा के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय चीनी उद्योग को बढावा देकर, इस उद्योग के समक्ष आने वाली कठिनाईयों को दूर करते हुये अपने सदस्यों के बीच ज्ञान वर्धन हेतु सवांद स्थापित करने का मौका प्रदान करना है।
इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुये मा. मंत्री ने बताया कि इस AISTA ;All India Sugar Trade Association) शुगर कॉन्क्लेव-2020 कार्यक्रम में चीनी उद्योग से जुड़े विभिन्न पहलुओं जिनमें चीनी उत्पादन, निर्यात, गुणवत्ता, तकनीकी आदि पर चर्चा हुई, जिसमें मा. मंत्री द्वारा भी मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता कर उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग के सम्बन्ध में विभिन्न तथ्यों को इस अन्तराष्ट्रीय मंच पर साझा किया गया।
मा. मत्री द्वारा मुख्य अतिथि के रूप में एस्टा शुगर कॉन्क्लेव.2020  कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में बताया कि, भारत ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गन्ना एवं चीनी उत्पादक देश है तथा उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना एवं चीनी उत्पादक राज्य है। भारत में  संचालित 434 चीनी मिलों में से 119 चीनी मिलें उत्तर प्रदेश में सचालित हैं। जो भारत के समस्त राज्यों से अधिक चीनी का उत्पादन करती हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के  जी.डी.पी. में कृषि क्षेत्र का योगदान 18.4 प्रतिशत है, जिसमें से 22.33 प्रतिशत हिस्सा गन्ना एवं चीनी उद्योग का है। प्रदेश की 119 चीनी मिलों में से 64 चीनी मिलों में कोजन संयत्र स्थापित हैं जिनकी विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 1971 मेगावाट है।
उन्होने यह भी बताया कि, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पहली बार गन्ना कृषकों के हित में गन्ना मूल्य के त्वरित भुगतान हेतु वित्तीय सहायता दिये जाने की योजना घोषित की गई जिसके तहत रू.4000 करोड़ के ऋण की व्यवस्था सहकारी चीनी मिलों के लिये की गई। प्रदेश में पिपराईच (गोरखपुर) एवं मुण्डेरवा (बस्ती) में दो नई चीनी मिलों की स्थापना की गई तथा सहकारी चीनी मिल रमाला (बागपत) की पेराई क्षमता 2750 टीसीडी से बढ़ाकर 5000 टीसीडी की गई। निजि क्षेत्र की चीनी मिलों वीनस, गागलहेड़ी, बुलन्दशहर, टोडरपुर का भी पुनः संचालन हुआ।
गन्ना किसानों के ग्रामीण उद्योग खाण्डसारी को पुर्नजीवन प्रदान करते हुये उत्तर प्रदेश शासन द्वारा लाइसेंसिंग  प्रणाली में व्यापक बदलाव कर लाईसेंस हेतु आनलाईन व्यवस्था शुरू की गई तथा विगत 25 वर्षो में पहली बार 103 नये लाईसेंस निर्गत करते हुये 27,350 टीसीडी की पेराई क्षमता का सृजन किया गया। गन्ना विकास एवं विपणन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सूचना प्रोद्योगिकी के प्रयोग पर बल देते हुये उत्तर प्रदेश के किसानों को गन्ना विपणन एवं कृषि निवेशों के व्यवसाय आदि से सम्बन्धित समस्त सूचनायें घर बैठे उपलब्ध कराने हेतु ई.आर.पी. व्यवस्था लागू की गई। प्रदेश के 42 लाख गन्ना किसानों को राष्ट्रीय पोर्टल एम-किसान से सम्बद्ध किया गया। तथा किसानों को गन्ना खेती, विपणन से जुड़ी सूचनायें उनके मोबाईल पर उपलब्ध करायी गई। वर्तमान में प्रदेश की 20 चीनी मिलों द्वारा बी-हैवी शीरे से एथेनाॅल का उत्पादन किया जा रहा है तथा गन्ना शोध के क्षेत्र में भी नये प्रतिमान स्थापित करते हुये प्रदेश में गन्ने की 12 प्रजातियाॅ रीलिज की गई हैं।
मा. मंत्री द्वारा अपने सम्बोधन में AISTA ;All India Sugar Trade Association) शुगर कॉन्क्लेव-2020 के दौरान कार्यक्रम में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों को आधुनिक तकनीकी का उपयोग कर कम खर्च में अधिक से अधिक चीनी एवं एथेनाॅल उत्पादन करने तथा गन्ना एवं चीनी विपणन को बेहतर रूप से करते हुये गन्ना किसानों की आय बढ़ाने और चीनी उद्योग को निरन्तर विकास के पथ पर अग्रसर होने का आहवान किया गया।


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