जल उपभोक्ता समितियों हुई क्रियाशील

 

रोहिणी बांध में 12430 क्यूसेक पानी हुई बचत

 

जल उपभोक्ता समितियों के क्रियाशील होने से 12.54 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र में बढ़ोत्तरी

 

 

सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अंतर्गत रोहिणी बांध-जल उपभोक्ता समितियों की सफलता के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए पैक्ट के मुख्य अभियन्ता श्री ए0के0 सेंगर ने बताया कि जल उपभोक्ता समितियों को और क्रियाशील बनाकर नहर प्रणालियों का लाभ सिंचाई के हित में अधिक से अधिक उपयोगी बनाकर पानी की बरबादी रोकने में सफलता मिली।

जल उपभोक्ता समितियों से विचार-विमर्श के बाद यह तथ्य प्रकाश में आया कि इनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करके पानी की बरबादी को कम करने के साथ ही नहरों के पानी का अधिक से अधिक सदुपयोग करने में काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि पैक्ट द्वारा जल उपभोक्ता समितियों के पदाधिकारियों एवं किसानों के साथ सार्थक विचार-विमर्श किये जाने से उत्साहजनक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

श्री सेंगर ने रोहिणी बांध नहर प्रणाली के अंतर्गत जल उपभोक्ता समितियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि छपरौनी अल्पिका समिति, टिसगना अल्पिका समिति, चैका अल्पिका समिति, गरौली अल्पिका समिति के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था को गतिशील बनाया जा रहा है। इसके साथ ही जल उपभोक्ता समितियों को क्रियाशील बनाने के लिए जल उपभोक्ता समितियों को प्रशिक्षण, नहर पर वाक्थ्रू का संचालन, विभाग एवं जल उपभोक्ता समिति के मध्य संवाद स्थापना व जल उपभोक्ता समिति एवं किसानों के बीच संवाद स्थापित किये जाने जैसे कार्य किये गये हैं।

इसके अलावा जल उपभोक्ता समितियों विचार-विमर्श कर रोस्टर तैयार करना। इसके साथ ही रोस्टर के अनुसार जल उपलब्ध कराना तथा जल उपभोक्ता समितियों द्वारा टेल सिंचाई प्रारम्भ किये जाने से संबंधित कार्य कराये गये हैं। इसके अलावा जल उपभोक्ता समितियों के साथ विभागीय अधिकारियों की मासिक बैठक आयोजित कर किसानों के अनुभव तथा सिंचाई से जुड़ी समस्याओं का निराकरण किये जाने से संबंधित कार्य किये जा रहे हैं।

मुख्य अभियंता ने बताया कि जल उपभोक्ता समितियों के प्रभाव से सिंचित क्षेत्र में विगत वर्षों में 12.54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा किसानों के मध्य जल वितरण से संबंधित विवादों में आशातीत कमी देखने को मिली है। उन्होंने बताया कि समितियों के प्रभाव से रोहिणी बांध में 12430 क्यूसेक-डे पानी की बचत हुई है। साथ ही अधिकतम जल उपयोग से सिंचाई निर्धारित समय से पहले पूरी करने में सफलता मिली है और पानी की बरबादी में कमी आयी है। उन्होंने बताया कि पैक्ट किसानों के साथ निरंतर संवाद स्थापित कर सिंचन क्षमता में वृद्धि के साथ ही जल के अपव्यय को रोकने में सफल रहा है। 

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