पोटाश की खुराक से लहलहाई आलू फसल
उत्तर प्रदेश में संचालित,जीवन के लिए पोटाश प्रोजेक्ट, के परियोजना निदेशक डा. एस. के. बंसल साहब एवं परियोजना समन्वयक डा. धर्मेंद्र तालियान आलू के उत्पादन में पोटाश के लाभकारी प्रभाव का जाय जा लेने पहुंचे। ज्ञातव्य है कि कृषि क्षेत्र में भारत और इजराइल के बीच सहयोग समझौता हुआ है। आलू की फसल के लिए पोटाश बहुत ही लाभदायक होता है क्योंकि पोटाश में निम्नलिखित गुण पाये जाते है :-
1 - पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक है पोटाश।
2- पोटाश फसलों को मौसम की प्रतिकूलता जैसे:-सूखा, ओला,पाला तथा कीड़े-व्याधि आदि से बचाता है!
3-पोटाश जड़ों की समुचित वृद्धि करके फसलों को उखड़ने से बचाता है। पोटाश के प्रयोग से पौधों की कोशका की दीवारें मोटी होती है और तने की कोष्ठ की परतों में वृद्धि होती रहती है, जिसके फलस्वरूप फसल गिरने में रक्षा होती है।
4- जिन फसलों को पोटैशियम की पूरी मात्रा मिलती है, उन्हें वांछित उपज देने के लिए अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है, इस प्रकार के प्रयोग से फसल की जल- उपयोग-क्षमता बेहतर होती है।
5 पोटाश फसलों की गुणवत्ता को बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्व है।
पौधों में पोटैशियम की कमी के लक्षण
1- पौधों में वृद्धि एवं विकास में कमी।
2- पत्तियों का रंग गहरा हो जाना।
2 - पुरानी पत्तियों क्षके नोकों या किनारे से पीला पड़ना, बाद में ऊतकों का मरना और फिर पत्तियों का सूख जाना।