प्रशिक्षण दिलाकर गो-सेवा आयोग, गो-शालाओं को बनाएगा आत्मनिर्भर



उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो0 श्याम नन्दन सिंह ने कहा है आयोग द्वारा विभिन्न स्थानों पर प्रशिक्षण कराकर गो-शालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के तरीके से अवगत करायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 532 गोशालयें पंजीकृत हैं, जिनमें से कुछ गो-शालायें पंचगव्य से निर्मित उत्पाद बना रही हैं और स्वावलम्बी बन रही हैं। श्री सिंह ने कहा कि गोवंश
के गोबर व गोमूत्र के उत्पादों से जैविक खेती के द्वारा मिट्टी की उर्वरता बढ़ाकर रासायनिक खादों के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ायी जा सकती है। आज यहां उ0प्र0 गो-सेवा आयोग के कार्यालय कक्ष में अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह की अध्यक्षता में श्री सुनील मानसिंहका, सदस्य, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, समन्वयक, गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार, नागपुर एवं पूर्व सदस्य राष्ट्रीय गोवंश आयोग के साथ पंचगव्य से उत्पादित उत्पादों के संबंध में चर्चा की गयी। गोबर के लठ्ठे, गोबर से निर्मित गमले, गोमूत्र से गोनाइल (फिनाइल), मच्छर भगाने की क्वायल, पंचगव्य निर्मित नहाने की टिकिया, अर्क, धूप बत्तियां, दन्तरक्षक, केंचुआ खाद, अगरबत्ती, रायायनिक खाद, कीटनाशक तथा विभिन्न रोगाणुनाशक पंचगव्य औषधियां आदि के निर्माण की जानकारी प्राप्त की गयी। श्री मानसिंहका ने गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये उपरोक्त उत्पादों के गोशालाओं में निर्माण हेतु सहयोग का आश्वासन दिया तथा आयोग की भविष्य की नीतियों के बारे में भी चर्चा की गयी। बैठक में गोसेवा आयेाग के अधिकारी एवं पूर्व सचिव, डा0 पी0के0 त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
यह जानकारी आज यहां सचिव, उ0प्र0 गो-सेवा आयोग लखनऊ ने दी।


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