गोवंश के कल्याण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध


 

     उत्तर प्रदेश सरकार के पशुधन, दुग्ध एवं मत्स्य विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरन्तर प्रभावी कार्य किए जा रहे हैं। आवश्यकता है कि सामाजिक संस्थाएं व समाज भी गोवंश संरक्षण में आगे बढ़कर इस पुनीत कार्य में अपनी सहभागिता व सहयोग दें। उन्होंने कहा कि गोसंरक्षण एक आस्था का, व भावनात्मक विषय है, इसलिए गोवंश के स्वास्थ्य व्यवस्था, टीकाकरण तथा आहार के अभाव में इनकी आकस्मिक मृत्यु न होने पाये। 

पशुधन मंत्री आज पशुपालन विभाग में गोसेवा आयोग द्वारा आयोजित एक दिवसीय ‘‘गोशाला विकास व गोवंश संरक्षक’’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गोशाला एवं गोआश्रय स्थलों का संचालन सुव्यवस्थित और सुनियोजित रूप से किया जाए। किसान, पशुपालक, गोशाला संचालक एवं गोसंरक्षण कार्यों से जुड़े लोग गोवंश के लिए विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का अधिकाधिक लाभ उठा सकें , इसके लिए प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जाय। उन्होंने कहा कि गोवंश उत्पादित पदार्थों के द्वारा पशुपालक अपनी आय बढ़ा सकते हैं और कृषि में जैविक खाद के प्रयोग से कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ायी जा सकती है।

इस अवसर पर प्रदेश के पशुधन राज्यमंत्री श्री जय प्रकाश निषाद ने कहा कि गोवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है और गोवंश की सुरक्षा का उत्तरदायित्व विभाग का है, इसमें किसी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने गोसेवा आयोग द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा भी की।

संगोष्ठी में उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो0 श्याम नंदन सिंह ने गोवंश के महत्व एवं प्रदेश की आर्थिकी में योगदान के विषय में विस्तार से बताया और कहा कि गोवंश की सुरक्षा व संवर्धन हमारा नैतिक दायित्व है और इस दिशा में आयोग अपनी भूमिका निरन्तर निभा रहा है। पशुधन मंत्री ने अध्यक्ष, प्रो0 सिंह द्वारा गोशालाओं के लिए जमीन खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी से मुक्त करने, कम दरों पर बिजली उपलब्ध कराने के अनुरोध के सम्बंध में विचार किये जाने का आश्वासन दिया।

संगोष्ठी में बेसहारा गोवंश की उपयोगिता एवं  प्रबंधन, गोवंश की स्वास्थ्य व्यवस्था तथा टीकाकरण, गोवंश के आहार चारा आदि की व्यवस्था तथा सस्ता चारा बनाने की विधि, राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिशन से गोशालाओं की आर्थिकी में योगदान, पंचगव्य आधारित औषधि निर्माण तथा विपणन, गोशाला के निबंधन अभिलेखों का रख-रखाव एवं महत्व गोशालाओं की आर्थिक उन्नति एवं जैविक खेती के साथ ही गोवंश के संरक्षण-आदि पर संगोष्ठी में विस्तार से चर्चा की गयी। 

 

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