निमौली
कविता
फल उपयोगी नीम का, संग्रह करें संभाल।
पेड़ के नीचे भूमि पर, देयं बिछावन डाल॥
या तो भूमि को लीप दें, या दें दरी बिछाय।
उस पर फल इसका गिरे,साफ स्वच्छ रह जाय॥
निमकौरियां बटोर के सारी, पानी में दें डाल।
छिलका, गूदा हाथ से, रगड़ के देव निकाल।।
उससे निकले बीज जो, ठीक से लेव सुखाय।
और बीज से गिरी को अब लीजै बिलगाय॥
ध्यान रहे इस बात का,कभी न जाना भूल।
हल्की धूप खुली हवा, है इसके अनुकूल॥
बनी बाध की खाट हो, या बिस्तर जालीदार।
पतली तह में डाल कर, पानी देव निथार॥
अगर आप हैं चाहते, गुणवत्ता भरपूर।
तेज धूप और प्लास्टिक, इससे रक्खें दूर॥
बाध=रस्सी
चाहे खली हो नीम की, या हो इसका तेल।
आप यूरिया संग में, करिये इसका मेल॥
एक तरीका और है, उसका सुनो निचोड़।
फल इसके पकने लगे, तो गुच्छे में लो तोड़॥
गुच्छे में लो तोड़, टोकरी में फिर उसको डालो।
हफ्तेभर में पक जायेजब, तब फिर इन्हें निकालो॥
डाल बाल्टी में फिर, उनको पानी से धो डालो।
फिर निकाल कर बीज, ठीक से उसे सुखा लो॥
आठ माह तक ही उपयोगी, रहते इसके बीज।
फिर घट जाता है असर, बात मानिये प्लीज॥
बात मानिये प्लीज, नहीं तो पछताओगे।
समय से इस्तेमाल नहीं यदि कर पाओगे॥