प्रशासनिक सुधार के कारण गन्ना माफियाओं और बिचैलियों पर लगा अंकुश
प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एंव चीनी श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि गन्ना कृषकों की परेशानियों को दूर करने तथा सहकारी गन्ना समितियों के पर्ची निर्गमन एवं अन्य कार्यों में शुचिता तथा पारदर्शिता लाये जाने हेतु ई.आर.पी. व्यवस्था विकसित की गई है। इस ई.आर.पी. व्यवस्था में प्रदेश के गन्ना आपूर्तिकर्ता किसानों को आई.टी. तकनीक से जोडा गया।
उन्होने बताया कि इस व्यवस्था में छोटे गन्ना कृषकों को समस्त सूचनाएं ऑन लाइन पोर्टल एंव ई-गन्ना एप के माध्यम से समय पर उपलबध हो रही है, तथा गन्ना पर्ची की सूचना भी प्रिन्टिग के साथ-साथ एस.एम.एस. से किसानों को उनके मोबाइल पर तत्काल मिल रही है। इस एस.एम.एस. पर्ची पर गन्ना तौल की सुविधा भी दी जा रही है। ई.आर.पी. के माध्यम से ऑन लाइन लाटरी द्वारा तौल लिपिकों का पाक्षिक हस्तान्तरण किया जा रहा है जिससे घटतौली की कुप्रथा पर रोक लगी है तथा कृषकों का विश्वास विभाग के प्रति और प्रगाढ़ हुआ है।
आयुक्त ने बताया कि ई.आर.पी. प्रणाली में किसानों को अपने सर्वे सट्टा, कलेण्डर एवं पर्ची आदि की आन-लाइन सीधे जानकारी प्राप्त हो रही है, अब तक लगभग 4 करोड 18 लाख बार किसानों द्वारा अपने आंकडों का ई.आर.पी. वेबसाईट 'www.caneup.in से अवलोकन किया गया तथा 11 लाख 80 हजार किसानों द्वारा 'E-Ganna App'डाउनलोड किया गया एवं लगभग 17 करोड़ बार ई-गन्ना ऐप को हिट किया गया है, जो कृषकों के बीच ई.आर.पी. वेबसाईट एवं ई-गन्ना ऐप की लोकप्रियता का प्रमाण है। ई.आर.पी. व्यवस्था से शासन की मंशानुरूप ’जीरो टालरेन्स’ नीति के तहत भ्रष्टाचारियों तथा गन्ना माफियाओं पर अंकुश लगाने में आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। ई.आर.पी. व्यवस्था लागू होने से प्रदेश में 85,510 डबल बाण्ड, 23,985 फर्जी आपूर्तिकर्ता तथा 94,813 भूमिहीन कृषको के बाण्ड सामने आये जिन्हें बन्द कर दिया गया है। प्रभावी शिकायत निवारण हेतु वेबसाइट एवं ई-गन्ना ऐप के साथ-साथ इंक्वारी टर्मिनल भी स्थापित किये गये है। गन्ना विभाग द्वारा मुख्यालय पर 24ग7 टोल-फ्री नम्बर 1800-121-3203 की व्यवस्था की गयी है। ई.आर.पी प्रदाता के द्वारा गन्ना पर्ची के संबंधित जानकारी हेतु 24x 7 टाॅल-फ्री नम्बर 1800-103-5823 की स्थापना की गयी है।
गन्ना ई.आर.पी. व्यवस्था के अन्तर्गत विकसित किये गये वेब-’’caneup.in ’’ई-गन्ना’’ एप, एस.एम.एस. के आधार पर भी तौल की व्यवस्था होने एवं समितियों के सुदृढीकरण एवं प्रशासनिक सुधार के कारण माफियाओं और बिचैलियों पर अंकुश लगा है।