धरती से ऊँचा पर्वत है, पर्वत से ऊँचा आसमान है सबसे ऊँचा देश हमारा प्यारा हिन्दुस्तान है!

         


                डॉ जगदीश गाँधी


संस्थापक -प्रबंधक सिटी मोन्टेसरी  स्कूल, लखनऊ



(1) सबसे ऊँचा देश हमारा प्यारा हिन्दुस्तान है:-
भारत ही विश्व का ऐसा देश है जिसने सबसे पहले जीवन ज्योत जलाई और ज्ञान की किरणें सारी धरती में फैलाई है। भारत ने सबसे पहले सारे विश्व को अध्यात्म, दर्शन, धर्म, योग, आयुर्वेद, संगीत, कला, न्याय, भाषा आदि का ज्ञान दिया। विश्व का सबसे ऊँचा हिमालय हमारे उच्च चिन्तन तथा पवित्रता का प्रतीक है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में कृषि की खोज की गयी। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में यातायात के प्रमाण के रूप त्रेतायुग में पुष्पक विमान का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में संचार व्यवस्था के प्रमाण के रूप में जनकपुर से स्वयंवर की पत्रिका भेजना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में भाषा के प्रमाण के रूप में ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम साहित्य है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में लिपि के प्रमाण के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय में पांडुलिपियों का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में वस्त्र के प्रमाण के रूप में प्रागैतिहासिक काल में वस्त्र का प्रचलन का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में शिल्प के प्रमाण के रूप में महलों एवं नगरों का इतिहास है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में परिवार व्यवस्था प्राचीन साहित्य में वंशवाद का मिलना है।
(2) भारत ने सबसे पहले ज्ञान की किरणें सारी धरती में फैलाई है:-
सर्वप्रथम समृद्ध भारत में शिक्षा के प्रमाण के रूप में साहित्य ऋग्वेद का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में चिकित्सा के प्रमाण के रूप में वेदांगों में आयुर्वेद का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में अध्यात्म के प्रमाण के रूप में मोहम्मद साहब, ईशा मसीह आदि से पूर्व सनातन धर्म (वेदों के अनुसार) का होना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में चित्रकला के प्रमाण के रूप में जरासंघ की कन्या की सहेली चित्रलेखा द्वारा अनिरूद्ध का चित्र बनाना है। सर्वप्रथम समृद्ध भारत में संगीत के प्रमाण के रूप में नारद द्वारा या सरस्वती द्वारा वीणा वादन है।
(3) भारत ने विश्व को सबसे पहले जनतंत्र प्रणाली दी:-
सर्वप्रथम सुसंस्कृत भारत के प्रमाण के रूप में भारत ने कभी किसी अन्य पर क्षेत्रवर्धन अथवा धर्म परिवर्तन के लिए युद्ध की पहल नहीं की है। सर्वप्रथम शासन प्रणाली के प्रमाण के रूप में समृद्ध भारत में महाराज भरत द्वारा जनतंत्र की घोषणा कर जनता को अधिकार देना है। सर्वप्रथम अर्थ व्यवस्था के प्रमाण के रूप में समृद्ध भारत में प्रारम्भिक आक्रमणों का मूलकारण भारत का सर्वाधिक धनी होना है। सर्वप्रथम और समृद्ध भारत में विनिमय के प्रमाण के रूप में प्रागैतिहासिक काल में भी वस्तु विनिमय का प्रचलन है।
(4) ‘भारतीय संस्कृति’ तथा संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ के कारण नैतिक व संवैधानिक जनादेश:-
भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है जिसे विश्व में एकता एवं शान्ति की स्थापना के प्रयास हेतु अपनी ‘भारतीय संस्कृति’ तथा संविधान के ‘अनुच्छेद 51’ के कारण नैतिक व संवैधानिक जनादेश प्राप्त है। यह नैतिक व संवैधानिक जनादेश (1) भारतीय संस्कृति के आदर्श मूल मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् ’सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है’, (2) 121 करोड़ आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े एवं परिपक्व व सम्मानित लोकतांत्रिक देश होने के कारण तथा (3) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 के कारण प्राप्त है।
(5) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51:-
भारत गणराज्य का उत्तरदायित्व है कि वहः-
(क) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा की अभिवृद्धि करे,
(ख) संसार के राष्ट्रों के बीच न्यायसंगत और सम्मानपूर्ण संबंधों को बनाने का प्रयास करे,
(ग) अन्तर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान सभी राष्ट्र करें, ऐसा प्रयास करे...तथा
(घ) अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को माध्यस्थम् द्वारा निपटारे का प्रयास करे।
अतः अपने नैतिक व संवैधानिक उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए भारत सरकार को विश्व के दो अरब बच्चों तथा आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ एवं सुरक्षित भविष्य उपलब्ध कराने के लिए एक विश्व व्यवस्था के गठन की अति शीघ्र विश्व के नेताओं की बैठक नई दिल्ली में बुलाने की पहल करनी चाहिये।


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