कोरोना के साथ -साथ आम की बागों पर भी दें ध्यान! - शैलेंद्र राजन निदेशक केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी


मार्च अप्रैल का महीना आदमी और आम दोनों के ही स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है| मनुष्य तो कोरोना से जूझ रहा है उधर आम के बागों मैं भी ध्यान देने की जरूरत है| वैसे ही आम की फसल कम है लेकिन यदि ध्यान ना दिया गया तो रही सही फसल के भी नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है


सर्दी की लंबी ऋतु और असमय बारिश के कारण  देर से आम के बौर कम संख्या में और देर से निकले परन्तु उन्हें कीट एवं व्याधियों के प्रकोप की कम समस्याएं झेलनी पड़ी| अधिक बारिश और ठंड के कारण आम के बागों की इनका कम प्रकोप हुआ |  इस वर्ष जनवरी में हुई अत्यधिक सर्दी ने भुनगा कीट का वंश नाश किया तो लगातार वर्षा थ्रिप्स कीट को मिट्टी में ही मार दिया। जिसके परिणामस्वरूप यह दोनों कीट अभी तक अधिकांश बागों में कम दिखे। भुनगा तो फिर भी कहीं कहीं है लेकिन थ्रिप्स अभी तक पिछले वर्ष की तरह कहीं नहीं दिखा। आम के बौर बहुत कम संख्या में निकले हैं स्वाभाविक रुप से  फसल कमजोर होगी | संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ पीके शुक्ला ने बताया कि सहारनपुर में दिनांक 19  मार्च तथा लखनऊ और बाराबंकी जनपदों के बागों में दिनांक 28 मार्च तक के निरीक्षण के आधार पर यह उपरोक्त जानकारी दी जा रही है।


कोरोना की महामारी के लॉक डाउन के बाद भी यह बात संस्थान के व्हाट्सएप समूहों पर और मोबाइल पर आ रहे किसानों के संदेशों के आधार पर वर्तमान में भी लगभग यही स्थिति है। हाँ, पिछले दो दिन में किसानो से प्राप्त संदेशों और फरवरी से अभी तक बागों के निरीक्षण के आधार पर स्पष्ट है कि इस वर्ष मिज कीट ने किसानों को परेशान किया। शुरू से ही बौर को क्षति करता रहा और अब नन्हें फलों को भी क्षति पहुंचा रहा है। इस कीट की फलों पर उपस्थिति छोटे से काले धब्बे, जिसके बीचोंबीच बारीक छेद हो, से की जाती है। इसका प्रबंधन क्विनाल्फोस 25 ई सी के 2 मिलीलीटर या डाईमेथोएट 30 ई सी के 2 मिलीलीटर प्रति लीटर के छिड़काव से किया जा सकता है। अगर किसी बाग में भुनगा बढ़ रहा हो तो थायमेथोकजाम 25 डब्लू जी के 1 ग्राम प्रति 3 लीटर पानी का छिड़काव करें। अधिक नमी होने की स्थिति में नन्हें फलों और नई पत्तियों पर एंथ्रेक्नोज़ रोग होने की संभावना बनी हुई है। इस पर नियंत्रण के लिए इस समय डाईफेनोकॉनाज़ोल 5 एस एल के 0.5 मिलीलीटर या कार्बेंडाज़िम 50 डब्लू पी के 1 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव कीटनाशक के साथ मिलाकर कर सकते हैं।


इस वर्ष लगातार हुई वर्षा के कारण अभी सिचाई की अधिक जरूरत नहीं है लेकिन फलों की अच्छी बृद्धि के लिए अभी से 10 से 12 दिन बाद सिचाई जरूर करें। नन्हे फलों को झड़ने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स 4.5 % के 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का भी छिड़काव कर सकते हैं। फलों की अच्छी बृद्धि के लिए एन पी के 19-19-19 के 5 ग्राम और सूक्षम पोषक तत्व मिश्रण के 5 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव भी कर सकते हैं। ध्यान रखें कि कीट और रोग नाशी के साथ उर्वरक न मिलाएं। जिन किसानों ने परागण कीटों को बढ़ावा देने के लिए और थ्रिप्स कीट को मिट्टी से निकलने से रोकने के लिए अभी तक जुताई नहीं की है, वह 15 अप्रैल के बाद अगर जरूरी समझें तो खरपतवार नियंत्रण हेतु जुताई कर सकते हैं।
अभी भी कई स्थानो पर खर्रा रोग के लिए तापमान अनुकूल है और यह विलंबित बौर पर क्षति कर सकता है। इसके प्रबंधन हेतु आवश्यक लगे तो हेक्सएकोनाज़ोल 5 एस एल के 1 मिलीलीटर प्रति ली का छिड़काव कर सकते हैं। किसान कीट एवं रोग से संबन्धित समस्या हेतु व्हाट्सप न 9451290652 पर संपर्क कर सकते हें |


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