कोरोना प्रभावित स्थिती में पशुओं के लिये चारा प्रबंध

               


                डा. ए. के. सिंह,


           प्रसार वैज्ञानिक पशुपालन,


          कृषि विज्ञान केन्द्र,वाराणसी।



वर्तमान में कोरोना प्रभावित परिस्थिती में हरे चारे की बुआई पशुपालक समय से नही कर पाये तो पशुओं को ऐसी स्थिती में पौष्टिकता से भरपूर हरा चारा उपलब्ध नही हो पायेगा ऐसे मे उनका उत्पादन प्रभावित होगा। कृषि भूमि से खाद्यान्नो के उत्पादन से जो कृषि अवशेष/सह उत्पाद बचते है उन्हें  पशुओ को खिलाया जाता है। पशुओं के चारे में ज्यादातर गेहूँ का भूसा धान के पुआल आदि का ही अधिक से अधिक प्रयोग होता है। ये दोनो ही चारे पौष्टिकता की दृष्टि से घटिया किस्म के चारे होते है और उन चारो को पशु बहुत चाव से खाते भी नही है और यदि खाते भी है तो खाने के बाद पेट खराब होने की संम्भावना बहुत बढ जाती है। ऐसी स्थिती मे पशुओं को पुआल तथा भूसा खिलाने के साथ साथ दाना मिश्रण भी अलग से दिये जाने की आवश्यकता होती है। अधिक मात्रा मे दाना  मिश्रण देने से दुग्ध उत्पादन मंहगा पड़ता है और गाँव के पशुपालको कों दुध की उत्पादन लागत के अनुसार दुग्ध मुल्य नही मिल पाता है इससे पशुपालकों  को आर्थिक रुप से नूकसान होता है।


       आर्दश आहार मे सभी पैष्टिक तत्व जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइडेट, खनिज लवण, जल, तथा विटामिन्स उचित मात्रा मे होना चाहिये। ये सभी पोषक तत्व हरे चारे जैसे- जाड़े में बरसीम, लुर्सन जई, जायद एंव खरीफ में लोबिया एम.पी. चरी मक्का, ज्वार, बाजरा, आदि में पाये जाते है। प्रोटीन एंव वसा की पूर्ति के लिये लगभग सभी खलिंया तथा अनाज दाने को पशु आहार मे प्रयोग करना चाहिये। विटामिन्स तो हरे चारे से मिल जाती है लेकिन खनिज के लिये खड़िया, गेहूँ का चोकर, या बजार से ब्रान्डेड कम्पनी का खनिज तत्व प्रयोग करना चाहिये।


       समान्यतः दुधारु पशु अपने शरीर भार का 2.0-2.5: तक आहार की आवश्यकता होती है। इस प्रकार 100 कि.ग्रा. शरीर भार के पशु को 2.0-2.5 कि.ग्रा. आहार की आवश्कता होती है। 500 कि.ग्रा. शरीर भार के पशु को 10 कि.ग्रा.-12.50 कि.ग्रा. आहार की आवश्यकता पडती है। चारे की मात्रा शुष्क भार पर निर्भर करती है। पशुओ को उसके शुष्क पदार्थ की पूर्ण आवश्यकता का 2/3 भाग मोटे चारे से तथा 1/3 भाग दाने से देना चाहिये। वर्तमान कोरोना प्रभावित स्थिती में निम्न तरीके से पौष्टिकता से भरपूर आहार बना सकते है


भुसे, धान एंव पुआल को यूरिया से उपचार करने की विधिः- सर्वप्रथम 4.0 कि.ग्रा. यूरिया 65 ली. पानी में घोल लंेना चाहिये यह घोल 1.0 कु. चारे के लिये पर्याप्त होता है। भूसे या धान के पुआल को 3 भाग मे बाटकर पहले भाग की पहली परत बिछाकर स्पे्रयर या हजारे से यूरिया घोल को छिडके। इसी प्रकार परत दर परत पुरे घोल को बराबर छिडक के तथा अच्छी तरह पैरो से रौदकर इसको दबा दे। इस प्रकार हर बार निष्चित मात्रा मे भूसा या धान के पुआल को परत के बाद परत बिछाते जाय तथा र्निधारित मात्रा में घोल छिडकते जाय उपचारित भूसे या धान के पुआल के ढेर को प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह चारो तरफ से ढक दें ताकि हवा का अदान प्रदान न हो सके। चार साप्ताह तक उपचारित भूसे या धान के पुआल को ढका रहने दे ताकि यूरिया भूसे या धान के पुआल मे अच्छी तरह मिल जाय। इसके बाद खिलाने से पूर्व भूसे या धान के पुआल को को हवा मे एक दो घंटे तक फैला देना चाहिये जिससे कि गैस एंव अतिरिक्त गंध निकल जाय।


ज्वार/बाजरा/मक्का की षुष्क कढ़वी का यूरिया से उपचारः- अपौष्टिक शुष्क चारे को कुटटी के रुप में काटकर छोटे-छोटे टुकडे़ कर लेना चाहिये। पक्के फर्स पर 1.0 कु. कुटटी चारे को फैलाकर 65 ली. पानी मे 4.0 कि.ग्रा. यूरिया से बने घोल को स्पे्रयर या हजारे से चारेे पर अच्छी तरह छिड़कर पैरो से रौदकर मिला लेना चाहिये। उपचारित कुटटी को ढेर के रुप में बटोरकर प्लास्टिक सीट से अच्छी तरह ढककर एक माह तक रखना चाहिये इसको भी खिलाने से पूर्व भूसा/पुआल कीे तरह हवा मे 3-4 घंटे तक हवा मे फैला देना चाहिये जिससे कि अमोनिया की अवान्छनीय गंध निकल जाय। इसके बाद पशुओ को खिलाना चाहिये।


यूरिया उपचारित चारे को खिलाने का तरीकाः- यूरिया द्वारा उपचारित चारे को शुरु मे अमोनिया की गंध की वजह से पशु खाना पसंन्द नही करते है। यदि यूरिया उपचारित सुखे चारे को हरे चारे की कुटटी मे मिलाकर पशु को दिया जाय तो वे उसे बडे़ चाव से खाने लगेगे। यदि शुरु मे युरिया उपचारित सुखे चारे को पशु खाना न पसंद करे तो सुखे चारे पर ऊपर से आटा/चोकर थोडा-थोडा छिड़क कर खिलाये इसकी आदत पड जाने पर पशु इस चारे को इतना चाव से खायेगे कि इसके मुकाबले दूसरे चारे को खाना पसंन्द नही करेगंे।


यूरिया उपचारित सुखे चारे को खिलाने से लाभ:- जहाँ  बिना यूरिया उपचारित भूसा पुआल मे प्रोटीन की मात्रा 2.5-3.0 प्रतिशत रहती है वही उपचार के बाद इसमे 7.0-9.0 प्रतिशत तक बढ जाती है। इस तरह से दुधारु पशु को यूरिया उपचारित 5.0-6.0 कि.ग्रा. भूसे के साथ 25-30 कि.ग्रा. ज्वार,बाजरा, मक्का का हरा चारा दिया जाय तो 6.0 ली. दूध प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे ही अगर दलहनी हरा चारा जैसे मटर ऊर्द मूँग लोबिया या वरसीम उपलब्ध हो तो 5 कि.ग्रा. उपचारित भूसे कडवी के साथ 25-30 कि.ग्रा. उपरोक्त हरा चारा दिया जाय तो 10 ली. दूध प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार 10 ली. दूध बिना किसी दाने चोकर से प्राप्त किया जा सकता है। इससे पशुपालको को काफी लाभ मिलता है। पंजाब हरियाणा में यूरिया उपचारित भूसे का काफी प्रचलन है वहाँ  के किसानो के यहाँ आयताकार जमीन के अन्दर पक्के टैंक मिलेगे उसी में यूरिया से उपचारित चारे को  किसान रखते है। पूर्वान्चल के किसान अभी यूरिया उपचारित चारे का प्रयोग पशुओ के लिये नही करते है जिसकी की आज की परिस्थिति के अनूसार सख्त आवश्यकता है।


यूरिया उपचारित चारे को खिलाते समय सावधानियाः- सुखे चारे/भूसे को उपचारित करते समय यूरिया को निर्धारित मात्रा से ज्यादा कदापि नही प्रयोग करना चाहिये। 


     पशुओं को खिलाने से पहले खुली हवा मे चारे को 3-4 घंटे  पहले फैलाकर सुखाना चाहिये जिससे कि घातक गैस अमोनिया पुरी तरह निकल जाय। सीधे गढढे से निकालकर खिलाने से पशु के पेट मे अमोनिया गैस ज्यादा मात्रा मे उत्पन्न हो जायेगी जिससे पशु की मृत्यु भी हो सकती है।


   छोटे बछड़े एंव बीमार पशु को यूरिया से उपचारित चारे को नही खिलाना चाहिये।


   यूरिया से उपचारित चारे को पहली बार में पशुओ को एक बार मे पुरा न खिलाये थोड़ी थोड़ी मात्रा में चारे को बढ़ाते हुअे 15 दिन मे पुरी दैनिक निर्धारित मात्रा खिलाई जाय ताकि पशु को खाने की आदत बन जाय एंव पशु के पाचन क्रिया पर प्रतिकुल प्रभाव न पड़े।


    यूरिया उपचार के समय ध्यान रक्खे कि घोल समान रुप से पुरे चारे मे फैलाये कही ज्यादा कही कम न होने पाये।


    यूरिया से उपचारित चारे को खिलाने से पशु को कोई परेशानी नही होती है। यदि कोई परेशानी समझ मे आती है तो 20 ली. ठंडे पानी मे सिरका मिलाकर पिलाना चाहिये।


    यूरिया उपचारित चारे को खिलाने को खिलाने के बाद शीरा गुड़ या चोटटा पिलाना चाहिये।


 


पशुओं को रोज खिलाने के लिये पौष्टिक सस्ता चाराः- पशुओ के लिये हरे पौष्टिक चारे एंव दाने की निरन्तर कमी होती जा रही है ऐसे में शीरा यूरिया घोल के माध्यम से भूसे एंव कड़वी को पौष्टिक बनाकर रोज प्रयोग कर सकते है।            


ज्वार /बाजरा/मक्का की शुष्क कढवी       10 कि.ग्रा.


              युरिया                                   50 ग्राम


              शीरा                                    1-0 लीटर


              लवण मिश्रण                            50 ग्राम


              नमक                                   30 ग्राम


       पहले युरिया, लवण मिश्रण एंव नमक को 2 लीटर पानी मे क्रमशः डालकर अच्छी तरह मिलाये फिर उस घोल मे निर्धारित मात्रा में शीरा डालकर अच्छी तरह मिलायें। तदोपरान्त ज्वार,बाजरा,मक्का की शुष्क कढवी में उक्त घोल को उलट पलट कर अच्छी तरह मिलाये। घोल तथा चारे का अच्छी तरह मिश्रण हो जाय तो इस मिश्रण को कुछ देर सुखा ले इसके बाद पशुओ की चरही या नाद में डालकर खिलाये। गाय,भैस,बैल को अनुमानित 8.0-10.0 किलो ग्राम, 6 माह से ऊपर के बछड़े बछिया को 2.0-4.0 किलो ग्राम एंव भेड़ बकरी को 500 ग्राम तक खिला सकते है।


       उपरोक्त तथ्यो को अगर पशुपालक भाई ध्यान में रखकर पशु आहार पशुओ को खिलाते है तो निश्चित रुप से कम लागत में अधिक से अधिक पशुओ द्वारा प्राप्त की जा सकती है।


दुग्ध उत्पादन के लिये आहारः- दूध देने वाले पशुओं का 50-60 प्रतिशत आहार उसके जीवन निर्वाह के कार्यो के लिये प्रयोग हो जाता है बाकी दूध उत्पादन के लिये काम आता है। पशुओ के दूध मे प्रोटीन, वसा, खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। दूध मे ये सभी पोषक तत्व रक्त के द्वारा थन मे आता है। अगर दुधारु पशु के पौष्टिक आहार मे पोषक तत्व पूर्ण मात्रा मे नही मिलेगा तो रक्त के माघ्यम से थन मे उपरोक्त पोषक तत्व नही पहुचेगें, जिससे पशु का दुग्ध उत्पादन घट जायेगा। दुधारु पशु जब बच्चा जन्मती है तो उस समय पूर्ण आहार न मिलने पर भी बच्चे हेतु दुग्ध का उत्पादन करती है। इसके लिये वह अपने शरीर मे सुरक्षित पोषक तत्वो का प्रयोग करती है परन्तु यह दशा कुछ समय तक ही रहती है अतः दुधारु पशु बहुत कमजोर हो जाती है। इसलिये उसे निम्नलिखित तरीके से खिलाना चाहिये।   


5.0 ली. दुध देनेवाली गाय,भैस के लिये चारे की आवश्यकताः-



  1. ज्वार,बाजरा,मक्का 25 किलो ग्राम के साथ 2.0 किलो ग्राम दाना मिश्रण देना चाहिये।

  2. अगर दलहनी हरा चारा लोबिया 25 किलो ग्राम के साथ 6.0 किलो ग्राम भूसा दुधारु पशुओ को दे तो 6-7 ली0 दुध उत्पादन लिया जा सकता है।


10.0 ली. दुध देने वाली गाय,भैस के लिये चारे की आवश्यकताः-



  1. ज्वार,बाजरा,मक्का 25 किलो ग्राम के साथ 4.0 किलो ग्राम दाना मिश्रण देना चाहिये।

  2. अगर दलहनी हरा चारा लोबिया 25 किलो ग्राम के साथ 5.0 किलो ग्राम भूसा एंव 3.0 कि.ग्रा. दाना मिश्रण दुधारु पशुओ को दे तो 10.00 ली. दुध उत्पादन लिया जा सकता है।


दाना बनाने के लिये आवश्यक सामग्रीः-      




































दाने के प्रकार



बच्चों के लिये



दुग्ध उत्पादन के लिये



गेहू जौ मक्का का दर्रा



40 किलो ग्राम



40 किलो ग्राम



कोई भी तेल की खली



40 किलो ग्राम



40 किलो ग्राम



दाल की चुन्नी



10 किलो ग्राम



-



खनिज तत्व



3 किलो ग्राम



2 किलो ग्राम



नमक



1 किलो ग्राम



1 किलो ग्राम



       पशुओं को नित्य नियमित समय पर उपरोक्त मात्रा में आहार देना चाहिये दो आहार के बीच कम से कम   8.0 घंटे का अन्तर होना चाहिये तथा नाद में थोड़ा थोड़ा कई बार में आवश्यकतानूसार चारा डालना चाहिये। आहार को रुचिकर बनाने के लिये चारे को काटकर तथा दाने को भिंगोकर खिलाना चाहिये जिससे की उसकी आहार ग्रहण करने की क्षमता बड़ जाय। हरे चारे की कटाई पुष्पावस्था से थोड़ा पहले करना चाहिये क्योकि उस समय पौधे में पोषक तत्व प्रर्याप्त मात्रा में रहते है। जैसे-जैसे चारा प्रौढ होकर सुखेगा वैसे-वैसे पोषक तत्वो का ह्रास होता जाता है। प्रोटीन की पूर्ति के लिये दलहनी हरे चारे का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिये।


       गर्मी के दिनो में हरे चारे के अभाव में पशुओ को अधिक मात्रा मे दाना मिश्रण देना पड़ता है जिससे दुग्ध उत्पादन मंहगा पड़ता है और गावँ के पशुपालको कों दुध की उत्पादन लागत के अनुसार दुग्ध मुल्य नही मिल पाता है इससे पशुपालकों  को आर्थिक रुप से नूकसान होता है। अतः इस समस्या के समाधान हेतु गर्मी के दिनो में सुखे चारे को यूरिया से उपचार कर चारे  की पौष्टिकता  बढाई जा सकती है जिसे पशु बहुत चाव से खाते है। ज्वार बाजरा मक्का की शुष्क  कडवी का भी युरिया से उपचार किया जा सकता हैै।


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