कोविड-19 को देखते हुए दिव्‍यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा हेतु राज्‍यों और संघशासित प्रदेशों को व्‍यापक दिव्‍यांगता समावेशी दिशा-निर्देश जारी किए

 



सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग  (डीईपीडब्‍ल्‍यूडी) ने महामारी कोविड-19 (कोरोना वायरस) को देखते हुए दिव्‍यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों को “व्‍यापक दिव्‍यांगता समावेशी दिशा- निर्देश” जारी किए हैं।  दुनिया भर में कोविड-19 के प्रकोप और इसके तेजी से फैलने के कारण
उत्‍पन्‍न महामारी की स्थिति के मद्देनजर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ गया है, जिसके कारण इस बीमारी को फैलने से रोकने के लक्ष्‍य के साथ केंद्र और राज्य सरकार दोनों के लिए तत्काल उपाय करना आवश्‍यक हो गया है।  भारत सरकार ने कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया है और राष्ट्रीय आपदा
प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
  स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर नोडल केंद्रीय मंत्रालय होने के नाते स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए आम जनता के साथ-साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ये दिशा-निर्देश उसकी वेबसाइट (www.mohfw.gov.in) पर उपलब्ध हैं, जिनमें अन्‍य बातों के अलावा शामिल हैं: -
● नागरिकों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए जागरूकता फैलाने संबंधी सामग्री (हिंदी और अंग्रेजी दोनों में);
● सामूहिक समारोहों और सामाजिक दूरी के बारे में परामर्श;
● टेलीमेडिसिन पद्धतियों सहित अस्पतालों द्वारा मरीजों की देखभाल के लिए पालन किए जाने वाले दिशा-निर्देश और प्रक्रिया;
● सामान्य हेल्पलाइन नंबर: 1075, 011-23978046, 9013151515
● अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
यद्यपि कोविड-19 पूरी आबादी को प्रभावित कर रहा है, लेकिन दिव्‍यांगजनों को उनकी शारीरिक, संवेदी और संज्ञानात्मक सीमाओं के कारण इस बीमारी से ज्‍यादा खतरा है। ऐसे में जोखिम की स्थितियों के दौरान उनका संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी दिव्‍यांगता से संबंधित विशिष्‍ट आवश्‍यकताओं, दैनिक जीवन की गतिविधियों को समझने
तथा समुचित एवं समय पर उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
दिव्‍यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 8 ऐसी स्थितियों में दिव्‍यांगजनों के समान संरक्षण और सुरक्षा की गारंटी प्रदान करती है। यह जिला/राज्‍य/राष्‍ट्रीय स्‍तरों पर आपदा प्रबंधन प्राधिकारियों को दिव्‍यांगजनों को आपदा प्रबंधन गतिविधियों में शामिल करने के उपाय करने और उनको इनसे पूरी तरह अवगत रखने के लिए भी अधिदेशित करती है। इन
अधिकारियों के लिए आपदा प्रबंधन के दौरान दिव्‍यांगजनों से संबंधित राज्य आयुक्त को शामिल करना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। सितंबर 2019 में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उपरोक्त प्रावधानों के अनुरूप दिव्‍यांगता समावेशी जोखिम शमन (डीआईडीआरआर) पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशा-निर्देश जारी किए। इसके अलावा, हाल
ही में 24 मार्च 2020 को, गृह मंत्रालय ने विभिन्न प्राधिकारियों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, ताकि 25 मार्च 2020 से शुरू होने वाले 21 दिनों की अवधि के लिए कोविड- 19 को फैलने से रोका जा सके।
कोविड- 19 के दौरान स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देश जहां सभी नागरिकों पर लागू होते हैं, वहीं दिव्‍यांगजनों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं, जिन पर विभिन्न राज्य/जिला अधिकारियों द्वारा विशेष रूप से ध्‍यान केंद्रित करते हुए कार्रवाई किए जाने की आवश्‍यकता है।  
कार्रवाई के सामान्‍य बिंदु
● कोविड-19 के बारे में समस्‍त सूचना, प्रस्‍तुत की जाने वाली सेवाएं और बरती जाने वाली सावधानियों को सरल और स्‍थानीय भाषा में सुगम्‍य प्रारूप में उपलब्‍ध कराया जाना चाहिए अर्थात दृष्टि बाधित लोगों के लिए सूचना ब्रेल और ऑडिबल टेप्‍स में उपलब्‍ध करायी जानी चाहिए, बधिरों के लिए सूचना सब-टाइटल और सांकेतिक भाषा व्‍याख्‍या (यानी साइन लैंग्वेज
इन्टप्रिटेंशन) के साथ वीडियो-ग्राफिक सामग्री के जरिए सुगम्‍य वेबसाइट्स के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए। 
● आपातकालीन और स्वास्थ्य स्थितियों में काम करने वाले सांकेतिक भाषा व्‍याख्‍याकारों (यानी साइन लैंग्वेज इन्टर्प्रटर) को कोविड-19 से निपटने वाले अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों के समान स्वास्थ्य और सुरक्षा संरक्षण दिया जाना चाहिए।
● आपातकालीन रिस्‍पांस सेवाओं के लिए उत्‍तरदायी सभी व्यक्तियों को दिव्‍यांगजनों के अधिकारों और विशिष्ट प्रकार की असमर्थता वाले व्‍यक्तियों को होने वाली अतिरिक्त समस्याओं से जुड़े जोखिमों के बारे में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
● दिव्‍यांगजनों की सहायता के लिए उपयुक्‍त जानकारी जागरूकता फैलाने से जुड़े सभी अभियानों का अंग होनी चाहिए।
● एकांत में रखे जाने के दौरान, आवश्यक सहायता सेवाएं, निजी सहायता तथा फिजिकल और कम्‍युनिकेशन पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए अर्थात दृष्टिबाधित व्यक्ति, बौद्धिक/मानसिक दिव्‍यांगता वाले व्‍यक्ति (मानसिक-सामाजिक) अपनी देखभाल करने वाले व्‍यक्ति की सहायता पर निर्भर होते हैं। इसी प्रकार दिव्‍यांगजन अपनी  व्हीलचेयर और अन्य सहायक उपकरणों में गड़बड़ी होने पर उनकी मरम्‍मत करने के लिए सहायता मांग सकते हैं।
● दिव्‍यांगजनों की देखभाल करने वालों को लॉकडाउन के दौरान प्रतिबंधों से छूट देकर या प्राथमिकता के आधार पर सरलीकृत तरीके से पास प्रदान कर उनको दिव्‍यांगजनों तक पहुंचने की अनुमति दी जानी चाहिए।


● दिव्‍यांगजनों के लिए न्यूनतम मानव संपर्क के साथ सहायता सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, देखभाल करने वालों हेतु व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण सुनिश्चित करने के लिए यथोचित प्रचार किए जाने की आवश्यकता है।
● रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्‍स को दिव्‍यांगजनों की आवश्यकता के बारे में सचेत किया जाना चाहिए ताकि नियत सैनिटाइजिंग प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही नौकरानी, देखभाल करने वाले और अन्य सहायता प्रदाताओं को उनके घर में प्रवेश करने की अनुमति मिल सके।
● दिव्‍यांगजनों को जहां तक संभव हो सके आवश्यक भोजन, पानी, दवा, उपलब्‍ध कराई जानी चाहिए, ऐसी वस्तुओं को उनके निवास स्थान या उस स्थान पर पहुंचाया जाना चाहिए जहां उनको एकांत में रखा गया है।
● राज्य/केंद्रशासित प्रदेश दिव्‍यांगजनों और वृद्धों के लिए सुपर मार्केट्स सहित रिटेल प्रोविजनल स्‍टोर्स के खुलने का विशिष्ट समय निर्धारित करने पर विचार कर सकते हैं, ताकि उनकी दैनिक जरूरत की वस्‍तुओं की आसानी से उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।
● एकांत में रखे जाने के दौरान सहायता के लिए दिव्‍यांगजनों के लिए पीयर-सपोर्ट नेटवर्क (समान व्‍यक्तियों का सहायता नेटवर्क) स्थापित किया जा सकता है;
● आपातकालीन अवधि के दौरान जिन दिव्‍यांगजनों को यात्रा पास की जरूरत है, उनकी असमर्थताओं के आधार पर उनके लिए अतिरिक्त सुरक्षात्मक उपाय किए जाने चाहिए और उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा और संरक्षण के लिए उन्हें जागरूक भी किया जाना चाहिए।
● दिव्‍यांगजनों को उपचार में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, इसके बजाय उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए। दिव्‍यांग बच्चों और महिलाओं के संबंध में विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
● सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में दृष्टिबाधित और अन्य गंभीर दिव्‍यांगता वाले कर्मचारियों को इस अवधि के दौरान आवश्यक सेवाओं से छूट दी जानी चाहिए क्योंकि वे आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।
● एकांत में रखे जाने की अवधि के दौरान दिव्‍यांगजनों के साथ-साथ उनके परिवारों को भी तनावमुक्‍त रखने के लिए ऑन-लाइन परामर्श तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
● राज्य स्तर पर विशेष रूप से दिव्यांगजनों के लिए साइन लैंग्वेज इंटरप्रिटेशन और वीडियो कॉलिंग की सुविधाओं के साथ 24X7 हेल्पलाइन नंबर शुरू किया जाए।


● राज्य/केंद्र शासित प्रदेश दिव्यांगजनों के उपयोग के लिए कोविड-19 के संबंध में सूचना
सामग्री तैयार करने और उसे प्रसारित करने के कार्य में दिव्यांगजनों के संगठन को शामिल
करने पर विचार कर सकते हैं।
अवधि के दौरान दिव्‍यांगता से संबंधित मसलों के समाधान के लिए तंत्र
(क) दिव्यांगजनों के लिए राज्य आयुक्त
● दिव्यांगजनों के लिए राज्य आयुक्तों को दिव्यांगजनों के संबंध में राज्य नोडल प्राधिकारी घोषित किया जाना चाहिए।
● संकट की अवधि में दिव्यांगता से संबंधित विशिष्ट मुद्दों के समाधान के लिए वे समग्र प्रभारी होने चाहिए।
● वे राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, स्वास्थ्य, पुलिस और अन्य विभागों के साथ ही साथ जिला कलेक्टरों और दिव्यांगजनों के लिए कार्य कर रहे जिला स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय करेंगे।
● वे कोविड- 19, सार्वजनिक प्रतिबंध योजनाओं, प्रस्‍तुत की जा रही सेवाओं के बारे में समस्‍त जानकारी की स्थानीय भाषाओं में सुलभ प्रारूपों में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ज़िम्मेदार होंगे।
 (ख) दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण से संबंधित जिला अधिकारी
● दिव्यांगजनों के सशक्तीकरण से संबंधित जिला अधिकारी को दिव्यांगजनों के संबंध में जिला नोडल प्राधिकारी घोषित किया जाना चाहिए।
● उनके पास जिले के दिव्यांगजनों की सूची होनी चाहिए और उन्‍हें समय-समय पर दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं की निगरानी करनी चाहिए तथा उनके पास गंभीर दिव्‍यांगता वाले व्यक्तियों की एक अलग सूची होनी चाहिए जिन्हें इलाके में अधिक सहायता की आवश्यकता हो।
● वह उपलब्ध संसाधनों के भीतर मुद्दे को हल करने के लिए जिम्मेदार होगा और यदि आवश्यक हो तो गैर-सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों / रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्‍स की मदद ले सकता है।


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