बागवान  ऐसे करें आम की उचित देखभाल !

                                        डाॅ0 विनोद कुमार सिंह (कृषि वैज्ञानिक)
                                        कृषि विज्ञान केन्द्र , अम्बापुर सीतापुर।



कोरोना के लिए लाक डाउन के समय किसानों को खेती - किसानी की गतिविधियों को करने की  सरकार द्वारा पूरी छूट  दी गई अतः आवश्यक है कि सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए खेती - किसानी के कार्य समय पर एवं सही तरीके से करते रहें जिससे किसी भी प्रकार से फसलें प्रभावित ना हों। आम बागवानों को इस माह में अपनी बागों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस साल जनवरी माह तक हुई ठंडक के कारण आम के पेड़ों में बौर काफी विलम्ब से तथा कम मात्रा में आया है साथ ही साथ कई क्षेत्रों में तेज हवा एवं ओलावृष्टि से काफी क्षति भी पहुंची है। यदि आम की फसल की उचित देखभाल नहीं की गई तो आम का फल सामान्य लोगों की पहुंच से काफी दूर होगा। अतः इस समय बागों में लगने वाले प्रमुख कीटों, बीमारियों की सावधानी पूर्वक निगरानी करनी चाहिए तथा उचित समय पर सही तरीके से उनका प्रबंधन करना चाहिए साथ ही साथ जल एवं पोषक तत्व प्रबंधन पर भी ध्यान देना चाहिए।  


भुनगा कीट:  इस साल जनवरी में हुई अत्यधिक ठंडक के कारण भुनगा कीट का वंश काफी हद तक नष्ट हुआ है जिसके परिणाम स्वरूप यह कीट कुछ बागों को छोड़कर अभी तक अधिकांश बागों में नही दिखाई पड़ा है। लेकिन जिन बागों में इनकी संख्या अधिक है वहां पर इनके नियंत्रण हेतु थायमेथोक्जाम 25 डब्लू0 जी0 की 1 ग्राम मात्रा का प्रति 3 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
  मिज़ कीट: इस वर्ष भी आम की फसल में मिज कीट का प्रकोप दिखाई पड़ रहा है जो कि शुरू से ही बौर को क्षति करता रहा और अब नन्हें फलों को भी क्षतिग्रस्त कर रहा है। इस कीट के प्रकोप से फलों पर छोटे से काले धब्बे दिखाई पड़ते हैं जिसके बीचोंबीच में बारीक छेद भी हो जाता है। इसके प्रबंधन के लिए क्विनालफास 25 ई0 सी0 की 2 मिलीलीटर या डाईमेथोएट 30 ई0 सी0 की 2 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना चाहिए।


स्केल कीट:  कुछ पेड़ों में इस बार इस कीट का प्रकोप दिखाई पड़ रहा है। यह कीट सफेद रंग के दिखाई पड़ते हैं जो पत्तियों टहनियों बौरों एवं फलों पर चिपके हुए पाए जाते हैं तथा रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। इनके प्रबंधन के लिए डाईमेथोएट 30 ई0 सी0 की 2 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना चाहिए।


थ्रिप्स:  इस साल लगातार वर्षा और ओलाबृष्टि ने थ्रिप्स कीट को मिट्टी में ही मार दिया। जिसके परिणाम स्वरूप अभी तक बागों में इस कीट के प्रकोप का पता नहीं चला है। 


खर्रा रोग: इस रोग का प्रकोप कई बागों पाया गया है अभी भी खर्रा रोग के लिए तापमान अनुकूल है और यह विलंबित बौर पर क्षति कर सकता है। इसके प्रबंधन हेतु हेक्साकोनाज़ोल 5 एस0 एल0 की 1 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना चाहिए।


एंथ्रेक्नोज़ रोग: इस साल कुछ बागों में इस रोग का प्रकोप नई पत्तियों पर पाया गया है। अधिक ओस या वर्षा होने की स्थिति में नन्हें फलों और नई पत्तियों पर एंथ्रेक्नोज़ रोग होने की संभावना बनी हुई है। इस पर नियंत्रण के लिए इस समय डाईफेनोकॉनाज़ोल 5 एस0 एल0 की 0.5 मिलीलीटर या कार्बेन्डाजिम 50 डब्लू0 पी0 की 1 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना चाहिए। 


सिंचाई प्रबन्धन:  फलों के अच्छे विकास के लिए उचित नमी का होना भी आवश्यक है।
इस वर्ष लगातार हुई वर्षा के कारण अधिकांश क्षेत्रों में इस समय सिचाई की अधिक जरूरत नहीं है लेकिन जिन क्षेत्रों में नमी की कमी हो तो मटर के दाने के आकार के फल हो जाने पर सिंचाई कर देना चाहिए तथा अन्य क्षेत्रों में भी उचित नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकतानुसार सही समय पर सिंचाई करना चाहिए। 


पोषक तत्व प्रबंधन:  अधिकतर बागों में फल झड़ने की भी समस्या आ रही है या आ सकती है अतः नन्हे फलों को झड़ने से बचाने के लिए प्लानोफिक्स 4.5 % की 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना चाहिए। फलों की अच्छी बृद्धि के लिए घुलनशील उर्वरक एन0 पी0 के0 19:19:19 के 5 ग्राम और सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण के 5 ग्राम को प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करना  चाहिए। 


खरपतवार प्रबंधन:
जिन किसानों ने परागण कीटों को बढ़ावा देने के लिए और थ्रिप्स कीट को मिट्टी से निकलने से रोकने के लिए अभी तक जुताई नहीं की है और उनके बागों में खरपतवार हों तो वह 15 अप्रैल के बाद खरपतवार नियंत्रण हेतु जुताई कर सकते हैं।


ध्यान देने योग्य बातें: 
1. ध्यान रखें कि कीट और रोग नाशी के साथ उर्वरक न मिलाएं।
2. रसायन विश्वस्त विक्रेता/इकाई से लें।
3. रसायनों का प्रयोग उचित मात्रा, समय एवं उचित तरीके से करें।
4. रसायनों का प्रयोग सुरक्षित तरीके से करें।


 


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