भारत के आतंरिक क्षेत्रों में कोविड-19 के खिलाफ जंग !
झारखंड के अंदरूनी हिस्से में चलने वाले स्पिरिट के एक कारखाने का योगदान बहुत छोटा, लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 से निपटने के भारत के प्रयासों की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। झारखंड के महत्वाकांक्षी जिले बोकारो के बालीडीह औद्योगिक क्षेत्र में स्थित इस कारखाने ने लगभग 10,000 लीटर सेनिटाइज़र का निर्माण किया है। ‘स्माइलिंग बोकारो’ नाम का यह सेनिटाइजर डब्ल्यूएचओ के मानदंडों का पूरी तरह अनुपालन करते हुए निर्मित किया गया है और यह जिले के निवासियों के लिए 210 रुपये प्रति लीटर मूल्य पर उपलब्ध है।
बोकारो से चार घंटे की दूरी पर स्थित झारखंड का एक अन्य जिला दुमका है। दुमका प्रशासन ऑनलाइन गेम और प्रतियोगिताओं का आयोजन करके लोगों का घरों में रहना सुनिश्चित कर रहा है। ‘डैज़लिंग दुमका’ नाम के ट्विटर अकाउंट और फेसबुक पेज पर निवासी विभिन्न कौशल-आधारित प्रतियोगिताओं के लिए अपनी प्रविष्टियां अपलोड कर सकते हैं।‘कोरोना में कुछ करो न ’ नामक पहल का उद्देश्य लॉकडाउन के दौरान निवासियों को अपने शौक जानने के लिए प्रेरित करना है। 200 से अधिक लोग अब तक अपनी प्रविष्टियां भेज चुके हैं।
डीसी, दुमका राजेश्वरी बी. का कहना है, “हमने स्थानीय केबल नेटवर्क के साथ भी साझेदारी की है और फिल्मे दिखाना शुरु कर दिया है, ताकि लोग सामाजिक समस्याओं के प्रति सजग रहें और साथ ही उस दौरान उनके पास करने को कुछ हो।”
भारत द्वारा सामाजिक दूरी सुगम बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी कड़े लॉकडाउन के साथ कोविड-19 के खिलाफ अपनी जंग को आगे बढ़ाते ही , देश के 112 महत्वाकांक्षी जिलों में से अनेक इसमें साझेदार बनने के लिए तथा देश के प्रयासों को मजबूत बनाने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं।
झारखंड की ओर से ऐसी अनेक प्रशंसनीय पहल की जा रही हैं। कोयल नदी के तट पर स्थित पालमू जिला, झारखंड का एक एलडब्ल्यूई प्रभावित जिला है, जिसके काफी बड़े हिस्से में घने वन हैं। भौगोलिक बाधाओं के बावजूद, जिले ने सभी निवासियों के घरों तक आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कराने के लिए सम्मिलित प्रयास किए हैं। प्रशासन ने ग्राहकों की ऑन-कॉल डिमांड्स पूरा करने के लिए सात विक्रेताओं को अधिकृत किया है। वस्तुओ की आपूर्ति में जुटे कार्मिक संपर्क रहित वितरण प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं; हर टच प्वाइंट को सेनिटाइज किया जा रहा है। जिला प्रशासन सभी जरूरतमंदों को दो घंटे के भीतर नि:शुल्क राशन के पैकेट उपलब्ध करा रहा है।
झारखंड की राजधानी रांची ने प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक नागरिकों को समझाने और सहायता प्रदान करने के लिए एक ‘मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन ’शुरू की है।
रांची के डीएम राय महिपत रे का कहना है, “यह सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है कि इस लॉकडाउन के दौरान - कमजोर वर्गों के लिए पके हुए भोजन और सूखे राशन से लेकर हमारे वरिष्ठ नागरिकों के लिए समर्पित सहायता तक- समाज के किसी भी वर्ग की अनदेखी न हो। हमें सामाजिक संगठनों से भी उत्कृष्ट प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है”।
पड़ोसी राज्य बिहार में डीएम, नवादा द्वारा मोबाइल ऐप ‘गो कोरोना: सतर्कता ही बचाव’ लॉन्च किया गया है। जिला त्वरित ट्रैकिंग और तत्काल चिकित्सा उपलब्ध कराने को लक्षित कर रहा है। वहां से पश्चिम की ओर चंद घंटों की दूरी पर स्थित गया और औरंगाबाद में सामाजिक दूरी को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है। बाजारों में प्रतीक्षा करते समय व्यक्तियों को कतारों में एक-दूसरे से कम से कम छह फुट की दूरी पर खड़ा किया जाना सुनिश्चित करने के लिए सभी स्थानों को रेखांकित किया गया है।
छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा मुख्य रूप से एक जनजातीय जिला है और इसे भारत में सबसे पुराने बसे स्थानों में से एक माना जाता है। प्रशासन ने सबसे अधिक जरूरतमंद 241निवासियों-खानाबदोशों, भिखारियों, कचरा बीनने वालों और अल्प सुविधा प्राप्त वरिष्ठ नागरिकों की पहचान की है और उन तक भोजन के पैकेट की निरंतर आपूर्ति करना सुनिश्चित किया है। छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देशों के अनुसार, दंतेवाड़ा एसएएम (गंभीर तीव्र कुपोषण) और एमएएम (मध्यम तीव्र कुपोषण) से पीड़ित बच्चों के लिए ‘टेक होम राशन ’का वितरण सुनिश्चित कर रहा है।
असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने नवंबर 2019 में गोलपाड़ा जिले में आरएसईटीआई (ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान) में दिव्यांगों के एक समूह को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू की थी। इस समूह को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कपड़े के शॉपिंग बैग बनाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। आज वही समूह सक्रिय रूप से अच्छी गुणवत्ता वाले मास्क बना रहा है और जिला प्रशासन इन मास्क की बिक्री सुनिश्चित कर रहा है और साथ ही साथ लॉकडाउन की अवधि के दौरान इन श्रमिकों को आमदनी का जरिया पाने में भी समर्थ बना रहा है।
गोलपाड़ा की विभिन्न सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं में 85 से अधिक आइसोलेशन बेड की व्यवस्था की गई है। क्वारंटीन सुविधाओं की पहचान की गई है और उन्हें साथ-सुथरी हालत में रखा गया है तथा साथ ही उन इमारतों के प्रभारी निर्दिष्ट कर दिए गए हैं। आशा कार्यकर्ताओं की आवाजाही को रिकॉर्ड और ट्रैक करने के लिए बड़े पैमाने पर गूगल स्प्रेडशीट का उपयोग किया जा रहा है। अस्पताल के बिस्तर और अन्य चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्थानीय संसाधनों की कार्यात्मकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्णाली डेका, डीसी, गोलपाडा़ के अनुसार, “आपको जीवन में एक और मौका नहीं मिलेगा। घर पर रहें और सुरक्षित रहें।”
कोविड-19 संकट ने भविष्य में इसी तरह की परिस्थितियों के लिए बेहतर स्तर की तैयारियों की आवश्यकता को उजागर किया है। यह महामारी भारत के लिए अपनी आपदा-प्रबंधन क्षमताओं का आकलन करने और उनमें सुधार लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। डिजिटल हस्तक्षेपों- ऑनलाइन जोखिम मूल्यांकन प्लेटफ़ॉर्म, ट्रैकिंग एप्लिकेशन, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का बेहतर प्रशिक्षण, पुलिस और अर्धसैनिक बलों को अधिक संवेदनशील बनाने और वंचितों की सुरक्षा और सहायता के लिए पहले से सामाजिक-आर्थिक उपाय करने को कोविड-19 संकट का समाधान हो जाने के बाद भी प्राथमिकता बनाए रखना चाहिए।
इस जंग में वास्तविक संघर्ष हमारे नागरिकों को सुरक्षित, प्रेरित और आशावादी बनाए रखने का है। जमीनी स्तर से जुड़ी मनोबल बढ़ाने वाली ये कहानियां इस वैश्विक महामारी के मद्देनजर भारतीयों के अटूट साहस का प्रमाण हैं। ये सर्वोत्तम पद्धतियां भारत के कुछ सबसे अविकसित राज्यों से सामने आ रही हैं और अन्य राज्यों द्वारा किए जा रहे इस संकट में कमी लाने के प्रयासों में उनके लिए महत्वपूर्ण टच प्वाइंट्स की भूमिका निभा सकती हैं। भारत के महत्वाकांक्षी जिले भारत की आबादी का लगभग 18% हैं और देश की विकास गाथा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा के प्रमुख मापदंडों पर सबसे कठिन और सबसे पिछड़े जिलों में से हैं। बहुसंख्य सफल कदमों और ज़मीनी गतिविधियों के साथ, ये जिले नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की अथक लड़ाई में उसका नेतृत्व कर रहे हैं।
अमिताभ कांत नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं और राजेश्वरी सहाय युवा व्यवसायी हैं। व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।