भारत मीडिया मुक्त की ओर - कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया


कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा अखबारों के विज्ञापनों को लेकर की गई टिप्पणी वर्तमान परिपेक्ष में  समाचार पत्रों  के समक्ष  उत्पन्न  विषम परिस्थितियों के अनुकूल नहीं है। समाचार पत्रों का प्रकाशन पहले से ही बेहद संकट के दौर से गुजर रहा है।  
गौरतलब है कि देश में प्रिंट मीडिया पिछले कई वर्षों से  संक्रमण काल में चल रहा है। काफी समाचार पत्र पहले से ही बंदी की कगार पर खड़े हैं। पिछले वर्षों में अखबारों में प्रयुक्त होने वाले न्यूज़ प्रिंट पर लगाए गए जीएसटी ने  प्रकाशको की कमर तोड़ने का कार्य किया है। सरकारी व निजी क्षेत्र के विज्ञापनों से लगातार राजस्व प्राप्तियां घटती जा रही हैं।
वर्तमान परिस्थिति में पूरा विश्व कोरोना (कोबिड -19) के संक्रमण से जूझ रहा है। हमारा पूरा देश जहां इस वायरस के संक्रमण के खिलाफ जंग लड़ रहा है वहीं मीडिया क्षेत्र में काम करने वाले कर्मवीर भी पूरी जी जान से इस लड़ाई में जुटे हैं। अपने निजी संसाधनों के द्वारा मीडिया संस्थान कोरोना से लड़ने में सरकार के दिशानिर्देशों को जन-जन तक पहुंचाने व आम जनमानस को जागरूक करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
ऐसे में कांग्रेस अध्यक्षया का ऐसा सुझाव देश में प्रकाशित हो रहे लघु व मझोले समाचार पत्रों को विज्ञापन के अभाव में बंद कराने का एक प्रयास माना जाएगा। हालांकि ऐसे समय में सरकारों द्वारा लघु व मझोले समाचार पत्रों को आर्थिक पैकेज देने व इनमें कार्यरत मीडियाकर्मियों को जीवन सुरक्षा आदि देने के प्रयास किए जाने चाहिए मगर इसके विपरीत कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा '2 साल तक अखबारों को विज्ञापन बंद किए जाने का सुझाव' स्पष्ट तौर पर मीडिया मुक्त भारत की ओर ले जाएगा। 
हमारा अनुरोध है कि कृपया इन परिस्थितियों में अखबारों को मजाक का मुद्दा न बनायें।


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