गन्ने की फसल में पायरिला कीट से बचाव
किसान भाइयों सचेत हो जाएं :-
इस समय आपके गन्ने के खेतों में पायरिला कीट ने दस्तक दे दी है यह कीट बहुत तेजी से अपना जीवन चक्र बढ़ाकर आपके गन्ने की फसलों को पूरी तरह बर्बाद करने की क्षमता रखता है जिन खेतों में पायरिला कीट अभी नहीं देखा गया है वह भी सचेत रहें क्योंकि यदि किसी अन्य के खेत में अगर प्रकोप हो गया है तो आप के खेतों तक इसे पहुंचने में देरी नहीं लगेगी
पायरिला कीट की पहचान :-
यह कीट हल्के पीले -भूरे रंग का 10-12 मीमी लम्बा होता है। इसका सिर लम्बा व चोंचनुमा होता है। इसके बच्चे तथा वयस्क गन्ने की पत्ती से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। इसका प्रकोप माह अप्रैल से अक्टूबर तक पाया जाता है।
लक्षण :-
इनके अंडे पत्तियों की निचली सतह पर झुंड में सफेद रोमों से ढंके रहते हैं। ग्रसित फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगती है, क्योंकि इस कीट के शिशु और वयस्कों द्वारा इनका रस चूस लिया गया होता है। पीली पत्तियों से कभी कभी किसानों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि फसल में किन्हीं पोषक तत्वों की कमी है, लेकिन ऐसा नहीं है रस चूसते समय यह कीट पत्तियों पर एक लसलसा सा पदार्थ छोड़ता है, जिससे पत्तियों पर काली फफूंद उगने लगती हैं। समूचे पत्ते काले पड़ने लगते हैं पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा पड़ने लगती है।
पायरिला से बचाव हेतु निम्न उपायों पर ध्यान दें
1) खेतों के आसपास खरपतवार न जमा होने दें ।
2) खेतों की सुबह-शाम निगरानी करते रहे।
3) यदि गन्ने की पत्तियों में सफेद रूई नुमा धागे वाई के आकार संरचना दिखाई दे रही है तो इन्हें तत्काल काटकर जला दें या गड्ढे में दबा दें।
4) जब तक कीटों का प्रकोप है यूरिया का प्रयोग ना करें।
5) रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग करने से बचें क्योंकि आप के खेतों में पायरिला के दुश्मन यानी किसानों का मित्र कीट इपिरकानिया मौजूद रहते हैं जो कि कीटनाशक डालने पर सबसे पहले नष्ट हो जाएंगे।
6) जैविक कीटनाशक मेटाराईजियम 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी का घोल बनाएं एवं इस घोल में कुछ मात्रा गुड़ का घोल मिला ले तत्पश्चात शाम के समय छिड़काव करें ।
कृषि विज्ञान केंद्र-2, कटिया, सीतापुर
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