पत्रकारों से बदसूलूकी करने से बाज़ नहीं आ रहीं उत्तर प्रदेश पुलिस !

लखनऊ ठाकुरगंज का  बाला गंज चौरहा फिर सुर्खियों में वरिष्ठ पत्रकार खालिद रहमान साहब के साथ बाला गंज चौकी पर तैनात दरोगा एस पी सिंह  द्वारा की गई बदसलूकी?


वरिष्ठ पत्रकार ख़ालिद रहमान साहबको लॉक डाउन पास होने पर भी बताया फ़र्ज़ी पत्रकार?
 
 इस हादसे से छोटे पत्रकारो मे भय का माहौल है जब वरिष्ठ पत्रकारो के साथ इस तरह से हो सकता है तो हम लोगो के साथ पुलिस का रवैया क्या होगा?
सरकर और पुलिस को सोचना चाहिये के इस कोरोना वायरस महामारी के चलते सभी पत्रकार दैनिक का हो सप्ताहिक का हो  पोर्टल का हो सब पुलिस के साथ साथ कन्धे से कंधा मिलाकर इस महामारी को पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी से निभा रहे है  खबरे  बखूबी सभी के पास पहुच रही  में सरकार का ध्यान इस तरफ कराना चाहता हूं पत्रकार इस देश का चौथा स्तंभ है वो स्वतंत्र है कहि भी आ जा सकता है लकिन हमारे देश की पुलिस को क्या हुआ है  वो देश के चौथे स्तंभ के साथ भी वही रवैया अपना रही है जो एक आम नागरिक के साथ अपनाती है इस कोरोना वायरस महामारी में देश के चौथे स्तंभ की तरफ केन्द्र सरकार और राज्ये सरकार किसी का भी ध्यान  नहीं जा रहा है के वो भी अपने परिवार को छोड़ कर सुबह अपनी जान हथेली पर लेकर घर से निकलता है देश मे जो महामारी फैली हुई है उस की परवाह किये बगैर हर उस गरीब की मदद करता है और सभी को देखते हुए अपनी ज़िम्मेदारी ईमानदारी से निभाता है उसके बाबजूद पुलिस का शिकार बनता है  पुलिस को तनख्वाह सरकार से मिल जाती है लेकिन पत्रकार शहर में हो या ग्रामीण क्षेत्रों में हो उसको कोई सहायता नही मिलती है इस तरफ शासन प्रसाशन को देखना चाहिये उसका भी परिवार है वो अपनी जेब से ख़र्च करके दिलो जान से  इस महामारी में सभी जगाहों पर जाकर खबरे कवरेज करता है उसके बाबजूद पुलिस की नजरों में एक मुज़रिम की तरह नजर आता है इस पर सरकार को अंकुश लगाना चाहिये और पत्रकारो के लिए सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए धन्यवाद


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