गन्ने में पायरिला कीट की रोकथाम

* पायरिला कीट गन्ने की फसल हेतु एक अभिशाप है इसके प्रकोप को रोकना अतिआवश्यक। 

* वातावरण में अधिक नमी और तापक्रम में दिन-प्रतिदिन अत्यधिक उतार-चढ़ाव पायरिला कीट के प्रकोप के लिए अनुकूल परिस्थतियाॅ है।

*उ.प्र. गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिको द्वारा गन्ना बाहुल्य जनपदोें में पायरिला कीट की जाॅच कराने तथा इस कीट की रोक-थाम हेतु निर्देष जारी। 

* गन्ना कृषकों को इसके परभक्षी कीट, अण्ड परजीवी एवं निम्फ परजीवी इपीरिकेनिया के बारे में जागरूक करते हुए बचाव के उपायों तथा प्राकृतिक नियन्त्रण पर जोर दिया गया। 

* पायरिला कीट की रोकथाम हेतु सुरक्षात्मक कीटनाशी इमिडाक्लोरोपिड 150-200 मि.ली. अथवा प्रोफेनोफास 750 मि.ली. को 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कराया जाय। 

* पायरिला कीट प्रभावी क्षेत्रों में सघन अभियान चलाकर कृषकों से जन सम्पर्क करके जागरूकता अभियान चलाने के निर्देष दिये गये।

* भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के संबंध में जारी सोशल एवं फिजिकल डिस्टेसिंग का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाय। 

 


 

    प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा गन्ने की फसल में लगने वाले पायरिला कीट की रोक-थाम के लिये दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होनें बताया कि प्रदेश के कुछ गन्ना बाहुल्य क्षेत्रों में पायरिला कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। पायरिला कीट गन्ने की फसल हेतु एक अभिशाप है इसके प्रकोप को रोकना अतिआवश्यक है, चूंकि वर्तमान समय में वातावरण में नमी अधिक है और तापक्रम में भी दिन-प्रतिदिन अत्यधिक उतार-चढ़ाव है तथा यह स्थिति पायरिला प्रकोप के लिए अनुकूल परिस्थितियां उत्पन्न करती है। अतः सभी गन्ना जनपदों में स्थलीय निरीक्षण करते हुए पायरिला कीट की जाॅच उ.प्र. गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिको द्वारा कराते हुए यदि उक्त कीट का प्रकोप पाया जाता है तो उसकी रोक-थाम की उचित व्यवस्था की जानी आवष्यक है।  

श्री भूसरेड्डी द्वारा विभागीय अधिकारियों को यह भी निर्देशित किया गया है कि जिन खेतों में पायरिला के प्राकृतिक शत्रु की संख्या नगण्य है वहां उ.प्र. गन्ना शोध परिषद की संस्तुति के अनुरूप चीनी मिलों द्वारा पावर स्प्रेयर से वृहद स्तर पर सुरक्षात्मक कीटनाशी इमिडाक्लोरोपिड 150-200 मि.ली. अथवा प्रोफेनोफास 750 मि.ली. को 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कराया जाय, साथ ही गन्ना कृषकों को पायरिला कीट से प्रभावित खेतों में तुरन्त सिंचाई एवं निराई कर के खेत में सफाई रखने हेतु सुझाव दिये जायें जिससे कि परजीवी कीट इपीरिकेनिया मेलैनोल्यूका ककून का तीव्रता से सम्वर्धन हो सके। जिन क्षेत्रों में पायरिला का प्रकोप ज्यादा है उन क्षेत्रों का विशेष ध्यान देते हुए उसकी तुरन्त रोक-थाम के लिए उ.प्र. गन्ना शोध परिषद से तत्काल सम्पर्क स्थापित कर यथा आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिये गये।  

आयुक्त द्वारा यह निर्देश भी जारी किये गये कि पायरिला कीट से प्रभावित क्षेत्रों में सघन अभियान चलाकर कृषकों से जन सम्पर्क करके जागरूकता गोष्ठियां कराये, एस.एम.एस. भेजकर एवं प्रचार साहित्य द्वारा गन्ना कृषकों को जागरूक करें, इसके परभक्षी कीट, अण्ड परजीवी एवं निम्फ परजीवी इपीरिकेनिया के बारे में बताया जाय एवं बचाव के उपायों के सम्बन्ध में जागरूक करते हुए प्राकृतिक नियन्त्रण पर जोर दिया जाय। इन सभी  क्रियाकलापों में भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के संबंध में जारी सोशल एवं फिजिकल डिस्टेसिंग का अनुपालन भी सुनिश्चित किया जाय।

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