इस तरह करें अनाज का सुरक्षित भण्डारण

ध्यान देने योग्य बाते :- 


किसान भाइयों फसलों की कटाई के उपरान्त सबसे आवश्यक कार्य अनाज का उचित समय पर एवं उचित तरीके से भंडारण का होता है। जिससे अनाज को हानि पहुंचाने वाले चूहे, कीटों, फफूंद आदि से बचाया जा सके। किसान भाइयों को भण्डारण की सही जानकारी न होने से अथवा ध्यान न देने से लगभग 10 से 15 प्रतिशत तक अनाज नमी, कीट पतंगों द्वारा नष्ट हो जाता है। अतः निम्न बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है:


1. अनाज को रखने के लिए गोदाम की अच्छे तरीके से सफाई कर पुराने अवशेष आदि को नष्ट कर देना चाहिए।


2.  दीवारों, फर्श/ जमीन आदि में यदि दरार हो तो उन्हे सीमेंट, ईट आदि से बंद कर देना चाहिए।


3.  गोदाम में पक्षियों एवं चूहों के आने-जाने के रास्ते को भी बंद कर देना चाहिए।


4. अनाज से भरे बोरे को भण्डार गृह में फर्श या जमीन पर सीधे नहीं रखना चाहिए तथा रखने के लिए फर्श से 20 से 25 सेमी की ऊंचाई पर बांस या लकड़ी के तख्ते का मंच तैयार करना चाहिए, जो दीवार से कम-से-कम 75 सेमी की दूरी पर हो। बोरियों के छल्लियों के बीच भी 75 सेमी खाली स्थान रखना है। 


5. भण्डार-गृह हवादार होना चाहिए एवं जरूरत पड़ने पर वायुरूद्ध करने की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
    
6. भण्डारण से पूर्व पक्का भण्डार गृह एवं धातु की कोठियों को साफ-सुथरा करके कीटमुक्त  कर देना चाहिए। कीट मुक्त करने के लिए मैलाथियान 50 ई0 सी0 के 10 मिलीलीटर/ लीटर पानी की दर से बने घोल का छिड़काव भण्डारण गृह की दीवार/फर्श आदि पर करना चाहिए।


7. भण्डारण में प्रयुक्त होने वाली बोरियों को अनाज भर कर रखने के पहले इन बोरियों को 20-25 मिनट खौलती नीम की पत्ती वाले पानी में शोधित कर अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए अथवा  मैलाथियान 50 ई0 सी0 के 10 मिलीलीटर/ लीटर पानी की दर से बने घोल में बोरियों को डुबाकर फिर बाहर निकालकर सुखा लेना चाहिए। ठीक से सूख जाने के बाद ही उसमें अनाज भरना चाहिए।


8. अनाज में ज्यादा नमी रहने से फफूंद एवं कीटों का आक्रमण अधिक होता है अतः अनाजों को अच्छी तरह से साफ-सुथरा कर धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे कि दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रहने पाए। अनाज को सुखाने के बाद दांत से तोड़ने पर कट की आवाज करें तो समझना चाहिए कि अनाज भण्डारण के लायक सूख गया है।


9. सुखाने के उपरान्त अनाज को छाया में रखने के बाद ठंडा हो जाने के बाद ही भण्डारण करना चाहिए।


10. अनाजों व दालों का भंडारण कुछ पारंपरिक अन्न भंडारण के तरीकों को अपनाना चाहिए जैसे अनाजों व दालों मे कड़वा तेल लगाना, नीम की पत्ती, लहसुन  बिछाना, सूखे हुए लहसुन के डंठल रखना आदि। 


11. अनाज भंडारण में नीम की पत्ती का प्रयोग करते समय नीम पत्ती सूखी होनी चाहिए। इसके लिए नीम पत्ती को भण्डारण से 15 दिन पहले किसी छायादार स्थान पर कागज पर रख कर सुखा लेना चाहिए उसके बाद ही अन्न की बोरी में रखना चाहिए। 


12. धूम्रण के लिए सल्फास के 3 ग्राम की तीन टिकिया का प्रयोग प्रति 10 कुंतल की दर से करना चाहिए। इसके लिए 10 ग्राम के पाउच का भी प्रयोग किया जा सकता है। 


13. धूम्रण के लिए भंडारगृह आवासीय स्थल से अलग होना चाहिए तथा पूर्णतः वायुरोधी होना चाहिए धूम्रण करने के पश्चात बखारी आदि के मुंह को अच्छी तरीके से बंद करके गीली मिट्टी का लेप लगा देना चाहिए।


14. बीज को भंडारित करने के लिए एक किलोग्राम मैलाथियान 5% धूल का प्रयोग प्रति कुंतल की दर से किया जा सकता है अथवा एक किलोग्राम नीम की गूदी के पाउडर का प्रयोग भी किया जा सकता है।


 सम्पर्क सूत्र: 
डा0 विनोद कुमार सिंह
9005092478


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