भारतीय कृषि के लिए ऐतिहासिक दिन


      संसद के दोनों सदनों में दो ऐतिहासिक कृषि विधेयकों के पारित होने के साथ ही हमने किसानों को उद्यमियों के रूप में परिवर्तित करने के विज़न को पूरा करने की तरफ एक राष्ट्र के रूप में अगला कदम उठाया है जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और उनका जीवन बेहतर होगा। यह कदम वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा और "आत्मनिर्भर कृषि" को सुनिश्चित करेगा।


      यह हमारे प्रधानमंत्री के दूरदर्शी और सक्षम नेतृत्व के तहत पिछले 6 वर्षों में सरकार के अंतहीन समर्पण और दृढ़ संकल्प का परिणाम है।


      संसद में दोनों विधेयकों का पारित होना वास्तव में भारतीय कृषि के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।



      भारत के कृषि की वास्तविक क्षमता को उजागर करने की उनकी दृष्टि के लिए मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभारी हूं।


      संसद के दोनों सदनों में स्पष्टता और दृढ़ विश्वास के साथ विधेयकों के सभी पहलुओं को समझाने के लिए कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर को मैं बधाई दूंगा और उनकी सराहना करूंगा।


      पिछले कुछ वर्षों में हमारी सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई साहसिक पहलें की हैं जिसमें 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के गठन के लिए 6,685 करोड़ रुपये की योजना शामिल है जो किसानों को बाजारों, वित्त और उत्पादन प्रौद्योगिकियों तक अच्छी पहुंच बनाने के लिए उन्हें आत्मनिर्भर समूहों में संगठित करेगी। इसमें अपनी तरह का एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फ़ंड भी शामिल है जो सामुदायिक कृषि संपदा बनायेगा और फ़सल की कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा। इसके अलावा वर्ष 2022 तक कृषि निर्यात को दोगुना करके 60 बिलियन डॉलर करने के लिए  राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति बनाई गई है।


      प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत 90,000 करोड़ रुपये से अधिक का किसानों को प्रत्यक्ष लाभ वितरित किया गया है जो किसानों के लिए आजीविका सुरक्षा प्रदान करने में सहायक बना है। इन नवीनतम सुधारों के साथ अब कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020, और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020 के जरिये हमने कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का एक आधुनिक और विश्व स्तर का आधार तैयार किया है जो न केवल किसानों को बल्कि उपभोक्ताओं, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा स्टार्ट-अप्स को भी लाभान्वित करेगा।


      कुछ ऐसे लोग हैं जो मानते हैं कि इन सुधारों का नतीजा यह होगा कि एफसीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाएगी, मौजूदा कृषि उपज विपणन समितियों को बंद कर दिया जाएगा तथा किसानों की जमीनें बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पास चली जाएगी।


      मैं उन सभी को आश्वस्त करना चाहूंगा कि चाहे वह न्यूनतम समर्थन मूल्य हो या कृषि उपज विपणन समितियां, सभी मौजूदा प्रणालियां जारी रहेंगी। हमने किसानों को किसी भी कदाचार से बचाने के लिए इन अधिनियमों में कड़े सुरक्षा उपाय किए हैं।


      मौजूदा प्रणालियों को खत्म करने की बजाय, इन सुधारों से इन प्रणालियों में प्रतिस्पर्धा और दक्षता तथा निपुणता आएगी। साथ ही साथ किसानों को चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी।  


      किसानों की बात से शुरू करते हैं। एक कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ), जिसमें किसानों का एक इकट्ठा होते हैं, किसानों को उच्च सौदेबाजी की ताकत प्रदान करता है और उन्हें आर्थिक पैमाने पर लाभ कमाने में मदद करता है। कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और बाज़ार के सुधारों से किसानों को अतिरिक्त सक्षमता मिलेगी तथा कृषि उत्पादन संगठनों के लिए नए अवसर खुलेंगे।


      वे कृषि उपकरण और बुनियादी ढांचे में निवेश कर सकते हैं और कृषि व्यवसायों के साथ करार करके बाज़ार में गहरे संबंध बना सकते हैं। इन करारों से सलाहें, प्रौद्योगिकी और निवेश तक पहुंच बेहतर बनाने में मदद मिलेगी तथा बाजार की मांग के अनुरूप काम काज का मिश्रण और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी जिससे किसान बढी हुई आय पा सकेंगे।


      एक सफल कृषक उत्पादन संगठन का सबसे बड़ा उदाहरण है महाराष्ट्र में सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड। यह एक छोटे संगठन के रूप में शुरू हुआ था और अब वह भारत के अंगूर और कई अन्य फसलों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक के रूप में उभरा है।


      कृषक उत्पादन संगठन के तहत 8,000 से अधिक सीमांत किसान पंजीकृत हैं जो आज हर सीजन में 16,000 टन से अधिक अंगूर का निर्यात करते हैं। यह किसानों को तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं की प्रमुख कंपनियों के साथ करार करने और उच्च आय वाले बुनियादी ढांचे तक पहुंच बनाने में मदद करता है जिससे किसान की आमदनी को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलता है।


      लेकिन लोग अक्सर पूछते हैं कि "सह्याद्री जैसे सैकड़ों खेत क्यों नहीं हैं?" इसका एक कारण वर्तमान प्रतिबंधात्मक ढांचा और स्थितियां है जिन्होंने कृषि में निवेश को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं दिया।


      इन पहलों और सुधारों से हमारे पास इस तरह की सफलता की हजारों कहानियां होंगी। अध्यादेशों के जारी होने के बाद पिछले तीन-चार महीनों में हमने देश भर में जो देखा है वह तो शुरूआत है। 


      बेहतर बाजार लिंकेज के साथ हम यह भी देखेंगे कि हमारे किसान उत्पादन में क्या परिवर्तन करते हैं। लंबे समय से भारत चावल, गेहूं सहित कई फसलों में आत्मनिर्भर हो गया है और हम साल दर साल अधिशेष में रहते हैं। कृषि मांग के साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव के जरिये बाजार की मांग और रुझानों की समझ में वृद्धि से किसान फसल में और मिश्रण और विविधता लायेंगे और उन्हें ऊंचे बाज़ार मूल्य मिलेंगे तथा देश की आयात पर निर्भरता कम होगी। उदाहरण के लिए कम घरेलू उत्पादन के कारण भारत वर्तमान में 10 बिलियन डॉलर से अधिक खाद्य तेलों का आयात करता है।


      इसी प्रकार हम शहरों में कीवी, एवोकाडो आदि जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग देख रहे हैं जो मुख्य रूप से आयात से पूरी होती है। इन सुधारों के साथ निवेश आ सकता है और किसान बाज़ार की जानकारी रख कर तथा सुरक्षित रह कर  फसल मिश्रण में विविधता लायेंगे जिससे आयातित फसलों की अपेक्षा घरेलू उत्पादकता बढ़ेगी और वे आत्मनिर्भरता पाने में भारत का नेतृत्व करेंगे।


      इन सुधारों से कृषि व्यवसायियों द्वारा किसानों से सीधी खरीद किए जाने से उन्हें एक सुसंगत और मानकीकृत किस्म की निरंतर आपूर्ति बनाने का अवसर मिलेगा। इससे कृषि व्यवसायियों को अपने कार्यों को अधिक कुशलता से चलाने में मदद मिलेगी और हमारे निर्यात की मात्रा और खाद्य प्रसंस्करण की हिस्सेदारी बढ़ेगी। कृषि कारोबार को बिचौलियों तथा लाने ले जाने जैसी अक्षमताओं से निजात मिलेगी।


      उदाहरण के लिए, पंजाब, उत्तरी हरियाणा और पश्चिमी यूपी में आलू का बीज उत्पादित करने वाले 1000 से अधिक किसानों ने टेक्निको एग्री साइंसेज लिमिटेड (आईटीसी की एक सहायक कंपनी) के साथ समझौता करके उत्पादकता में 10 से 30 प्रतिशत बढ़ोतरी पाई है और लागत पर 35 प्रतिशत मार्जिन का लाभ उठाया है।


      देश भर के किसानों के साथ काम करने वाले कृषि व्यवसायियों के हजारों ऐसे उदाहरण हैं जिससे किसानों आय बढ़ी है और कृषि कारोबार का विस्तार हुआ है। हाल के भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के खाद्य व्यापार लाइसेंस के आंकड़ों के आधार पर कह सकते हाइओन कि आवेदनों की संख्या में साल-दर-साल लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इसी तरह की प्रवृत्ति आगे भी बढ़ने की उम्मीद है जो कृषि क्षेत्र में भारी निवेश को बढ़ावा देगी।


      ये बाज़ार के सुधार पारंपरिक कृषि व्यवसाय में निवेश से परे इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देंगे और नए व्यापार मॉडल विकसित करने की रह प्रशस्त करेंगे। विभिन्न व्यवसाय जैसे कि खेत प्रबंधन सेवाएं, गुणवत्ता ग्रेडिंग और परख केंद्र, ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग कंपनियां, डिजिटल मार्केटप्लेस आदि वर्तमान में नए नए हैं लेकिन वे बढ़ रहे हैं।


      उदाहरण के लिए 300 से अधिक क्षेत्रों और 30 से अधिक देशों के स्टार्टअप्स में निवेश और रुझानों पर नज़र रखने वाले वैश्विक मंच, ट्रेक्सकन बताता है कि 2018 के बाद से अपने नवीनतम वित्त पोषण दौर में भारतीय कृषि स्टार्टअप ने कृषि आदानों और सेवाओं, कृषि बाज़ार, रसद और भंडारण में 150 मिलियन से अधिक जुटाये है। नैसकॉम का  अनुमान है कि एग्री-टेक स्टार्टअप द्वारा 2019 में 250 मिलियन डॉलर से अधिक उठाये गए।


      कृषि क्षेत्र की मुक्ति के साथ, नवोन्मेषी व्यवसाय मॉडल निवेशकों का अधिक धन आकर्षित करेगा और जिससे लाखों किसान लाभ हासिल कर सकेंगे। कृषि प्रबंधन में नवाचार से  उत्पादकता में सुधार आएगा,  फसल की कटाई के बाद के प्रबंधन में सुधार से अपव्यय कम होगा, डिजिटल बाजारों में पहुंच बढ़ेगी और बाजार से जुड़ाव होगा।


      सबसे उत्साहवर्धक चीज है कि बाजार सुधार कृषि क्षेत्र में निजी पूंजी निर्माण को बढ़ावा देंगे जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। कृषि और संबद्ध उद्योगों में पिछले पांच 5 वर्षों में पूंजी निर्माण 2 प्रतिशत  से कम सीएजीआर के पर स्थिर रहा है और निजी क्षेत्र के निवेश पहुंच में कमी के कारण घट रहे हैं। नए बाजार सुधारों के साथ हम मूल्य श्रृंखला में निजी क्षेत्र के निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि देखेंगे।


      यह सहयोगी क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करेगा जैसे कि लॉजिस्टिक्स सर्विस प्रोवाइडर, वेयरहाउस ऑपरेटर, प्रोसेसिंग यूनिट स्टाफ आदि। हम बहु-जनहितकारी कृषि कार्य भी देखेंगे। जैसे फार्मवर्कर्स के बच्चे अब खरीद और विपणन के लिए एफपीओ सीईओ या प्रबंधक बनने की ख्वाहिश रख सकते हैं, ऐसे अवसर पाने के लिए शहर गए बिना। कुल मिलाकर, बाजार सुधार कई सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान करेगा जैसे किसानों के लिए उच्च आय, नई नौकरियां, ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास, आदि।


      भारत कृषि विकास के एक नए पायदान पर है – एक ऐसी पायदान जिसे किसान, व्यवसायी, सरकार और उपभोक्ता  मिलकर बनाएंगे। सरकार की कई अलग-अलग पहलों के जरिये हम इस राह पर आए हैं और दो अधिनियमों के पारित होने के बाद अब हम किसानों की आय को दोगुना करने, भारत को दुनिया की खाद्य टोकरी के रूप में विकसित करने और कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सार्थक आजीविका प्रदान करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं। 


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