बिना मिट्टी सब्जियों की खेती
शैलेंद्र राजन
निदेशक
केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा, लखनऊ 226101
बिना मिट्टी, पौधे उगाना कल तक प्रयोगशालाओं तक ही सीमित था लेकिन आज मिट्टी रहित माध्यम पर सब्जियों की खेती संभव हो गई है| बिना मिट्टी के पौधों को उगाने की इस पद्धति को हाइड्रोपोनिक्स कहा जाता है| पौधों की वृद्धि करने के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है जिसे वह मिट्टी से अवशोषित करते हैं परंतु यदि ये आवश्यक तत्व उन्हें पानी के साथ उपलब्ध करा दिए जाएं तो मिट्टी की आवश्यकता नहीं पड़ती है| इस विधि से नियंत्रित वातावरण में इनडोर खेती संभव होने के कारण अनुपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी में भी फसलें उगाई जा सकती है | मिट्टी की विषाक्तता एवं खरपतवार के बुरे प्रभाव से भी निजात मिल जाती | कई स्थानों पर मिट्टी के स्वस्थ ना होने के कारण पौधे उसमें से हानिकारक तत्वों का अधिक अवशोषण कर लेते हैं जो मनुष्य तथा जानवरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालता है| कई स्थानों की मिट्टी में अधिक मात्र में पाए जाने वाले आर्सेनिक, कैडमियम आदि के मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रभाव को विश्व के बहुत से स्थानों पर गंभीर समस्या के रूप में जाना जा रहा है|
हाइड्रोपोनिक्स खेती के कई लाभ हें| इस तकनीकी से 90% तक पानी की बचत की जा सकती है क्योंकि पानी रीसायकल किया जाता हे| मिटटी के मुकाबले उतने ही स्थान में 2-8 गुना उत्पादन किया जा सकता है| हाइड्रोपोनिक्स मैं पौधों की वृद्धि दर तेज होने के कारण कम समय में सीमित स्थान में ही कई फसलें उगाई जा सकती हैं| हाइड्रोपोनिक पौधे तेजी से बढ़ते हैं। मिटटी से पौधों में कई कीटों और रोग फैलते है, इसलिए हाइड्रोपोनिक्स बीमारी की कम समस्याओं के साथ एक अधिक स्वच्छ बढ़ती प्रणाली भी है। चूंकि हाइड्रोपोनिक्स इनडोर होते हें अत: पौधों की वृद्धि के लिए आदर्श है, इसलिए पूरे वर्ष उत्पादन करने के लिए उपयोग में लाये जा सकते हैं।
मिट्टी के स्थान पर बजरी, पर्लाइट या कोकोपीट का उपयोग करके पौधों को उगाया जाता है| इन पौधों की जड़ों को पानी में पोषक तत्वों का घोल नियमित रूप से उपलब्ध कराते हैं| हाइड्रोपोनिक्स की भी कई तकनीकी हें, कुछ में पोषक तत्वों का घोल निरंतर प्रवाहित होता रहता है तथा कुछ में इसको कुछ समय बाद बदला जाता है| हाइड्रोपोनिक्स की एयरोपोनिक्स विधि में पानी की सूक्ष्म बूंदों के फव्वारे द्वारा जड़ों को पोषक तत्व उपलब्ध कराए जाते हैं और जड़ें हवा में लटकी रहती है|
हाइड्रोपोनिक पद्धति में पौधे की जड़े पोषक तत्वों से भरपूर पानी के संपर्क में आती हैं और मिट्टी में उगाए गए पौधों की अपेक्षा अपनी आवश्यकता अनुसार आसानी से पोषक तत्वों का अवशोषण कर लेती है| आसानी से पोषक तत्व के उपलब्ध होने के कारण जड़ बहुत अधिक नहीं फैलती हैं और जड़ों के विकास के लिए आवश्यक ऊर्जा पौधे के अन्य भाग के विकास के लिए उपलब्ध होने के कारण उपज अधिक होती है|
हाइड्रोपोनिक पद्धति से खेती करने में कुछ समस्याएं भी हैं और भारत वर्ष में यह तकनीकी इसलिए भी लोकप्रिय नहीं हो पाई क्योंकि शुरुआत में अधिक लागत और तकनीक जानकारी के आभाव कम लोग हिम्मत जुटा पाते हैं| भारतीय नए-नए सरल एवं सस्ते तरीके निकालने के लिए विश्व में मशहूर है और इसी विशेषता के कारण कई लोग इसे अपना जीविका का साधन बनाने के लिए भी प्रयत्न शील है|महंगे पार्ट्स का सस्ता विकल्प खोजने में प्रयत्नशील लोगों ने घरेलू मॉडल बनाने प्रारंभ किए हैं| वे सोचते हैं कि भविष्य में लोग इनका उपयोग करके अपने घर में ही सब्जी उत्पादन करने के लिए जरूर आगे आएंगे| खेती योग्य भूमि के घटते क्षेत्रफल, कीटनाशको का अंधाधुन्द प्रयोग एवं शहरों में सब्जियां उगाने के लिए मिट्टी उपलब्ध ना होने के कारण इस विधि को अपनाने के इच्छुक हैं|
लखनऊ निवासी एक शहरी ने इंटरनेट से देख कर प्रोटोटाइप डिजाइन तो तैयार कर लिया परंतु पौधों की सही वृद्धि ना होने के कारण शुरुआत में सफलता नहीं मिली| तत्पश्चात विभिन्न स्थानों से पोषक तत्वों को खरीदने के लिए प्रयत्न किया| क्योंकि तत्वों के फॉर्मूलेशन काफी महंगे पड़ रहे हैं अतः इस क्षेत्र में उन्होंने जानकारी प्राप्त करनी प्रारंभ की| इसके बाद वे केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के संपर्क में आये जहां पर कई तरह के हाइड्रोपोनिक्स मॉडल सब्जियां उगने के लिए प्र्यौग में लाये जा रहे हें| सफल उत्पादन देखने के बाद उन्होंने संस्थान के साथ तकनिकी सहयता हेतु अनुबंध करने की इच्छा जाहिर की| संस्थानों सस्ते फार्मूलेशन उपलब्ध कराकर तकनीक आम आदमी तक पहुंचाने के लिए सहायता करेगा|
संस्थान ने विभिन्न फसलों के लिए पोषक तत्व की आवश्यकता अनुसार फॉर्मूले बनाए हैं संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एसआर सिंह बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा खासतौर पर बीज रहित खीरे को उगाने में नयी पतियों ने पोषक तत्व न्यूनता के लक्षण दिखाएं| लेकिन बाद में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्धि कराने के पश्चात स्वस्थ पौधे उगाना एक सरल कार्य हो गया है| संस्थान में बहुत सारी प्रयोगिक सुविधाएं उपलब्ध है जिनकी सहायता से कठिन प्रक्रिया को भी सरल बनाना संभव हो पाया| इन तकनीकों को सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए डॉ एसआर सिंह निरंतर शोध कर रहे हैं| भविष्य में यह उद्यमिता विकास के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा और घर में लगाने हेतु मॉडल बनाकर बिक्री हेतु उपलब्ध होंगे| संस्थान द्वारा बनाई गई तकनीकी से पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उप्लंध कराने में भी सरलता होगी|