भारतीय कृषि को टिकाऊ और लाभदायक बनाएं -उपराष्ट्रपति


उपराष्ट्रपति ने  भारतीय कृषि को टिकाऊ और लाभदायक बनाने के लिए बहुपक्षीय प्रयास किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम अपने दृष्टिकोण और प्रक्रियाओं में बदलाव लाकर कम क्षेत्र में ही अधिक उत्पादन प्राप्‍त करने में सक्षम होंगे। रंगा ट्रस्‍ट द्वारा आयोजित आचार्य एन.जी. रंगा के 120वीं जयंती समारोह का उद्घाटन करते हुए, श्री नायडू ने उनका एक महान स्वतंत्रता सेनानी, एक किसान नेता, एक समाज सुधारक और एक उत्कृष्ट सांसद के रूप में उल्‍लेख किया। उन्होंने कहा कि एक सच्‍चे धरती पुत्र को स्वामी सहजानंद सरस्वती के साथ भारतीय किसान आंदोलन का जनक माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी किसानों की सुरक्षित आय सुनिश्चित करने से आचार्य एन.जी. रंगा की महत्‍वपूर्ण आकांक्षा को पूरा करने में मदद मिलेगी, जो किसानों के लिए कल्याणकारी थी।


आचार्य रंगा के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव का स्‍मरण करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे आचार्य एन.जी. के जीवन और दृष्टिकोण से बहुत ज्‍यादा प्रभावित हैं। उन्‍होंने श्री एन. जी. रंगा को गरिमा का प्रतीक बताया। उन्‍होंने कहा कि आचार्य रंगा के लिए राजनीति और सार्वजनिक जीवन एक मिशन था और उन्होंने हमेशा मूल्य आधारित राजनीति का अनुपालन किया।


आचार्य रंगा के बहस और संसदीय आचरण के उच्‍च मानकों के बारे में बात करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि जब श्री आचार्य रंगा संसद में बात करते थे तो उन पर विशेष ध्यान दिया जाता था। उन्होंने  ने यह भी कहा कि उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में, उन्हें बहस के मानकों में हो रही गिरावट को देखकर बहुत पीड़ा होती है। उन्होंने सभी कानून निर्माताओं से आचार्य रंगा के जीवन और शिक्षा का अध्ययन करने का अनुरोध किया और कहा कि सांसदों को उनके आचरण से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। बहस रचनात्मक होनी चाहिए विघटनकारी नहीं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आचार्य रंगा संसद में किसानों की आवाज थे और उन्‍होंने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि किसानों को उनकी कड़ी मेहनत का फल मिलना चाहिए।


उन्होंने पारंपरिक ज्ञान और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बीच प्रभावी तालमेल स्‍थापित करने आह्वान किया। श्री नायडू ने कहा कि स्थानीय नवाचारों को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है ताकि उनका अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग किया जा सके। कृषि में प्रौद्योगिकी की नई लहर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह ट्रैक्टरों के उपयोग की तरह मशीनीकरण की ओर एक बदलाव से कहीं अधिक महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि बुनियादी मशीनीकरण का देश के सभी क्षेत्रों में विस्तार किया जाना चाहिए, हमें अत्याधुनिक तकनीकों पर पर्याप्‍त ध्यान देना चाहिए क्‍योंकि ये पूरी दुनिया में प्रचलित कृषि के तरीकों में परिवर्तन ला रहीं है। अधिक जलवायु लचीली बीज प्रजातियों के विकास का आह्वान करते हुए उन्‍होंने सुनिश्चित-कृषि प्रक्रियाओं को अपनाने पर जोर दिया, जो ड्रिप सिंचाई, ड्रोन और सेंसरों के उपयोग के साथ अब रोजमर्रा का क्रम बन गये हैं और एक-एक पौधे की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। जापान जैसे देशों में कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग की ओर इशारा करते हुए उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि "हमें ऐसी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने में पीछे नहीं रहना चाहिए"। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्‍नता जाहिर की कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसने इस महामारी के दौरान अच्छा काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 ने हमें अपनी खान-पान की आदतों में बदलाव लाने की जरूरतों के बारे में महत्‍वपूर्ण सबक भी सिखाया है।


उन्होंने ने कहा कि उपभोक्ता अपने भोजन में पोषण के उच्च स्तर की उम्मीद कर रहे हैं। यह कृषि में नवोदित उद्यमियों के लिए एक अच्‍छा अवसर उपलब्‍ध कराता है इसके साथ-साथ उत्‍पादकों को लाभदायक और स्थिर आय भी प्रदान करता है।


हाल के दशकों में मौसम की बढ़ती हुई विषम घटनाओं में बढ़ोत्‍तरी पर चिंता जाहिर करते हुए उन्‍होंने कहा कि हर प्रतिकूल घटना में किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। किसान पानी और कृषि मजदूरों की कमी, समय पर गुणवत्‍ता युक्‍त संसाधनों की कमी मशीनीकरण की कमी, कोल्‍ड स्‍टोरेज की सुविधाओं और समय पर ऋण तक पहुंच की कमी के साथ-साथ प्रभावी विपणन प्रणाली की अनुपस्थित जैसी बारहमासी विभिन्‍न समस्‍याओं का सामना करते हैं। ये ऐसे कारण हैं जिनसे कृषि पूरी तरह से अपनी क्षमताओं तक नहीं पहुंच पा रही है। उपराष्‍ट्रपति ने किसानों के सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे उपायों की श्रृंखला की सराहना करते हुए कहा कि सरकार के ई-नाम पोर्टल जैसे बेहतर मूल्‍यों के खोज तंत्र प्रशंसनीय पहल हैं। हमें किसानों को यह निर्णय लेने की स्‍वतंत्रता देनी चाहिए कि वे कब, कहां और किसको अपनी फसल बेचें। विविधीकरण के बारे में किसानों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता के बारे में उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि किसानों को बागवानी, सेरीकल्चर, एक्वाकल्चर, डेयरी, पोल्ट्री, और खाद्य प्रसंस्करण जैसी संबंधित गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि उन्‍हें आय के विभिन्‍न स्रोत उपलब्‍ध हों। अनाजों और दलहनों की खेती के अलावा, किसानों को व्यावसायिक फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उपराष्‍ट्रपति ने मिट्टी की गुणवत्‍ता कम करने वाली अनेक कृषि पद्धतियों के बारे में चिंता जाहिर करते हुए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड के उपयोग के माध्‍यम से रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने का आह्वान किया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों का किसानों को लाभान्वित करने वाले अनुसंधान पर ध्यान देने का आह्वान किया और कहा कि "लैब-टू-लैंड ही इन कृषि विश्वविद्यालयों का मंत्र होना चाहिए।


उन्होंने किसानों के लिए 'इनोवेशन, जनरेशन और मोटिवेशन' का मंत्र भी दिया ताकि वे समय के बदलाव और अनिश्चितताओं का मुकाबला कर सकें। इस मंत्र का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी नवाचारों का लाभ उठाया जाना चाहिए। अगली पीढ़ियों को कृषि चुनौतियों का सामना करना चाहिए। किसानों को मदद की जरूरत है तथा उन्‍हें उनके महान प्रयासों के लिए प्रोत्‍साहित भी किया जाना चाहिए। 


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा