नया कृषि कानून बढ़ायेगा किसानों कि आय

 


 कृषि आय और गैर-कृषि आय के बीच बढ़ती असमानता को पाटना आज के समय में किसी भी कृषि सुधार कानून का सबसे सार्थक पहलू होना चाहिये। कृषि के बाहर काम करने वाले लोग कृषि क्षेत्र में काम करने वालों की तुलना में बहुत तेजी से प्रगति कर रहे हैं। जहाँ एक ओर एक कृषक प्रति वर्ष लगभग Rs.80000 कमाते हैं, वहीं एक गैर-कृषि कार्यकर्ता प्रति वर्ष तीन गुना कमाता है यानी प्रति वर्ष 2.50 लाख रुपये से अधिक। नए कानूनों की आवश्यकता के लिए कई और कारण हैं जैसे किसानों द्वारा अधिक बाजार शुल्क देय, खंडित और अपर्याप्त बाजार; अपर्याप्त बुनियादी ढांचा और ऋण सुविधाएं; लाइसेंसिंग में प्रतिबंध; निर्यात प्रतिस्पर्धा में सुधार की आवश्यकता; भंडारण और गोदामों में कम निवेश और बाजार में स्थानीय व्यापारियों का प्रभुत्व; कृषि क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी और कम निवेश आदि। एक अनुमान के अनुसार कोविड महामारी के कारण अप्रैल से जून महीनों के दौरान किसानों को लगभग 20000 करोड़ रूपये का नुकसान इसीलिए उठाना पड़ा क्योंकि उनके पास स्थानीय स्तर पर भंडारण एवं प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी थी और मंडियाँ बंद होने के कारण उनका उत्पाद बर्बाद हो गया। कई बार किसान अपने उत्पादों को राज्य से बाहर ऊंचे मूल्य पर नहीं बेच पाते और आर्थिक लाभ से वंचित रह जाते हैं।

इन सभी पहलुओं को केन्द्रित करते हुए केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में तीन नए कृषि कानून बनाए और कृषि-खाद्य सामग्री के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1951 को भी संशोधित किया जो की देश के किसानों के लिए अति लाभकारी है। हालांकि, कुछ हितधारकों और विशेषज्ञों ने किसानों और कृषि क्षेत्र पर इन कानूनों के प्रभाव के बारे में गंभीर आशंका व्यक्त की है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के  निदेशक डॉ. ए. डी. पाठक इन आशंकाओं को स्पष्ट करते हुए, इस कानून के प्रावधानों की व्याख्या की, जिस पर नीचे चर्चा की गई है।

किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 (PPTC अधिनियम): इस कानून से किसानों को उपज की बिक्री और खरीद की स्वतंत्रता, APMC  के भौतिक परिसर के बाहर कुशल पारदर्शी और अवरोध मुक्त और अंतर-राज्य व्यापार और वाणिज्य कि सुविधा, APMC अधिनियम किसानों को अतिरिक्त विपणन चैनल प्रदान करता है, एमएसपी प्रावधान में कोई बदलाव नहीं तथा किसानों को भुगतान उसी दिन या 3 कार्य दिवसों के भीतर करना जैसे महत्वपूर्ण प्रावधान हैं।

Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020

किसानों और कृषि उपज की खरीद के प्रायोजकों के बीच समझौतों के लिए कानूनी ढांचा और कृषि सेवाओं के प्रावधान

केंद्र सरकार द्वारा मॉडल कृषि समझौतों के लिए दिशानिर्देश

अनुबंध में उपज की कीमत स्पष्ट रूप से उल्लिखित की जाएगी एवं स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट विवाद समाधान तंत्र:

किसानों और खरीदारों दोनों के अधिकारों की रक्षा करना

Essential Commodities (Amendment) Act, 2020 (आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020)- युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धि और प्राकृतिक आपदाओं जैसी असाधारण स्थिति में ही अधिनियम लागू होगा।

फार्म सुधार कानून के लाभ पर जानकारी देते हुए संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ॰ अजय कुमार साह ने बताया कि किसानों को एकीकृत बाजार उपलब्ध होने के साथ किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्रता होगी, एपीएमसी कार्टेल एकाधिकार का अंत हो जायेगा, एमएसपी किसानों के लिए सतत रूप से जारी रहेगा, किसान अधिकारों की रक्षा करने वाला कानूनी ढांचा, बाजार शुल्क, करों आदि में कमी, फार्म गेट के करीब अवसंरचना का विकास होगा, अनुबंध खेती के अंतर्गत मूल्य आश्वासन एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, और सबसे महत्वपूर्ण छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी खेती लाभदायक हो सकती है।

गन्ना क्षेत्र तथाकथित अनुबंध की सफलता का सबसे अच्छा उदाहरण है, खासकर गन्ने की खरीद में। पिछले 3-4 वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकों की आय में 70% से अधिक की वृद्धि हुई है, राज्य रिकॉर्ड चीनी उत्पादन और प्रति एकड़ गन्ना उत्पादन के साथ आगे बढ़ रहा है। राज्य में गन्ने की पैदावार 60 टन प्रति हेक्टेयर (2014) से बढ़कर 2019 में 81 हेक्टेयर प्रति हेक्टेयर हो गई है, वहीं इसी अवधि में चीनी की रिकवरी भी 9.50 से बढ़कर 11.50 हो गई है। इस प्रकार नए कृषि कानूनों के प्रावधानों से किसानों को अधिक लाभ की उम्मीद है, इसलिए हम किसानों के कल्याण के लिए सामूहिक रूप से काम करें।

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