गोवंश के नस्ल सुधार होने से ग्रामीण समाज लाभान्वित

 

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पशुपालकों के हित में विभिन्न लाभकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं जिसके माध्यम से पशुपालक आत्मनिर्भर हो रहे हैं। गो संरक्षण-संवर्धन, गो आधारित कृषि, कृषि आधारित ग्राम्य विकास एवं गोवंश के नस्ल सुधार होने से ग्रामीण समाज लाभान्वित होगा तथा किसान आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेगा और उसकी आय भी बढ़ेगी एवं गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन होगा।

यह विचार आज यहां उतर प्रदेश के दुग्ध विकास ,पशुधन एवं मत्स्य विकास मंत्री  ने पशुपालन विभाग के तत्वावधान में गोरखपुर में स्थानीय एनेक्सी भवन में आयोजित ‘‘गो-संरक्षण एवं आत्मनिर्भर पशुपालक‘‘ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी में व्यक्त किए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को और अधिक बढ़ाये के लिए कृत्रिम गर्भाधान योजना पर विशेष बल दिया जा रहा है ताकि उच्च गुणवत्ता युक्त दुधारू पशुओं की प्राप्ति हो और पशुपालकों की आय भी दोगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि पशु नस्ल सुधार आज के समय की आवश्यकता है, लेकिन सामंजस्य बैठाते हुए हमें अपनी देसी गाय की नस्लों के संरक्षण एवं संवर्धन पर भी कार्य करना चाहिए ।
समृद्ध, सुखी और सशक्त भारत के निर्माण मे गौ केंद्रित अर्थव्यवस्था की  भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। गाय मे विज्ञान भरा हुआ है और इसके संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी हम सभी को लेनी होंगी ।   पंडित दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान केंद्र मथुरा के कुलपति  ने कहा कि  पशुपालन कृषि आधारित आर्थिकी को नियंत्रित करता है । राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के सदस्य ने कहा कि दूध ,मूत्र और गोबर सभी पवित्र है और यह हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार बन सकते हैं ।
डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के सदस्य ने इस अवसर पर कहा कि छोटे यंत्रों के विकास और गांव आधारित उत्पाद बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। 

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