हे प्रभु हम पर दया करो!

 डा0 जगदीश गांधी, प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं 

संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ




(1) हे प्रभु दया निदान हम पर दया करो:-

तू दयालु है, तेरे दरबार से कोई खाली नहीं जाता। तू सबकी झोली भर देता है। रावण भी मृत्यु के पूर्व भगवान राम की शरण में आकर मुक्त होकर इस संसार से गया है। सच्चे हृदय से शरण में आने से तू अपनी दया से सबको सराबोर कर देता है। संसार में ऐसा कोई नहीं है जिसने सच्चे हृदय से भगवान की प्रार्थना की हो और वह खाली हाथ गया हो। द्रोपदी ने चीर हरण के समय जब सच्चे हृदय से तुझे पुकारा तो एक पल की देर किये वगैर तू कृष्ण के रूप में नंगे पाव दौड़ा चला आया।

(2) प्रभु राह में ध्येयपूर्वक कष्ट उठाना चाहिए:-  

देवकी के सात पुत्रों को उसके ही संगे भाई दुष्ट कंस ने पैदा होते ही मार दिया। देवकी का आंठवा पुत्र कंस का काल बनकर पैदा होगा ऐसी भविष्यवाणी हुई थी। देवकी ने अपने मासूम सात पुत्रों के दुःख में प्राण नहीं त्यागे। वह ध्येयपूर्वक अपने आंठवे पुत्र को जन्म देने की प्रतीक्षा करती रहीं। प्रहलाद ने जब तुझे पुकारा तब तू हिरण्यकश्यप को दण्ड देने के लिए नरसिंह अवतार के रूप में प्रगट हुआ। मीरा ने जब भजन गाकर पुकारा ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूजा न कोय’ तो परमात्मा उसे अपनी छत्रछाया देने कृष्ण के रूप में आ गये। 

(3) पवित्र हृदय करके प्रभु शरण आने से अपने अस्तित्व का बोध होता है:- 

जन्म से दोनों आंखों से अन्धे सूरदास को धरती पर आकर सारा ज्ञान दे दिया। महात्मा बुद्ध को वट वृक्ष के नीचे बोध ज्ञान की प्राप्ति हो गयी। कोई भी भगवान के द्वार से खाली नहीं जाता है। प्रभु की शरण में गांधी जी आ गये और अंग्रेजी साम्राज्य की गुलामी से देश को मुक्त करा दिया। अब्राहीम लिंकन ने विश्व से काले-गोरे का भेदभाव मिटा दिया।

(4) प्रभु दर्शन को आखियाँ प्यासी:-

परमात्मा दर्शन दे दो कि प्रार्थना हम रोजाना कई बार करते हैं। परमात्मा जब राम के रूप में दर्शन देने को अवतरित हुआ तब हमने उन्हें 14 वर्ष का वनवास दे दिया। परमात्मा जब कृष्ण के रूप में दर्शन देने के लिए संसार में अवतरित हुआ तो हमने उन्हें अनेक प्रकार से कष्ट दिया। कृष्ण को धरती पर बढ़ते अन्याय के स्थान पर न्याय की स्थापना के लिए महाभारत की रचना करनी पड़ी। कृष्ण जीवन पर्यन्त लोक कल्याण के लिए मुसीबतों से जुझते रहे।

(5) परमात्मा के अवतार जब दर्शन देते हैं तो हम उन्हें पहचानते नहीं:- 

बुद्ध ने जब दर्शन दिये तो उनके शिष्यों ने उन्हें पाखण्डी कहकर अकेला छोड़ दिया। ईशु ने दर्शन दिये तो लोगों ने उन्हें सूली पर ठोक दिया। मोहम्मद साहेब ने दर्शन दिये तो उन्हें कई प्रकार से कष्ट दिये गये। नानक ने दर्शन दिये तो उन्हें भी जीवन पर्यन्त अनेक कष्ट उठाने पड़े। परमात्मा जब बहाउल्लाह के रूप में अवतरित हुआ तो उन्हें 40 वर्षो तक कारावास में डाल दिया गया। वह कारावास से ही अपनी लेखनी के द्वारा सारे विश्व को प्रभु सन्देश देते रहे।

(6) जब जब राम ने जन्म लिया तब तब पाया वनवास:-

परमात्मा जब जब दया करके राम, कृष्ण, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह आदि के रूप में अवतरित हुआ हमने उन्हें वनवास, सूली, कारावास के अलावा तरह-तरह से कष्ट दिये। यह संसार एक पागलखाना है जब कोई आध्यात्मिक चिकित्सक अवतार या महापुरूष के रूप में हमारा इलाज करने आते हैं तो हम अपने रक्षक को ही नहीं पहचानते और उन्हें अनेक प्रकार से कष्ट देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि जब जब राम ने जन्म लिया तब तब पाया वनवास। 

(7) परमात्मा ने हमारे मार्गदर्शन एवं कल्याण के लिए अपने अवतारों द्वारा पवित्र पुस्तकें भेजी हैं:-

परमात्मा के अवतार राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह आदि के रूप में युग-युग में किसी माँ की कोख से जन्म लेकर संसार में आये और परमात्मा द्वारा युगानुकूल ज्ञान की पवित्र पुस्तकें हमारे कल्याण के लिए देकर प्रभु के दिव्य लोक को लौटकर चले गये।

(8) परमात्मा की पवित्र पुस्तकों के ज्ञान को जानकर उन पर चलने से हमारा कल्याण होता है:- 

अवतार परमात्मा से लाये ज्ञान को गीता, कुरान, बाईबिल, गुरू ग्रन्थ साहिब, त्रिपटक, किताबे अकदस आदि पवित्र पुस्तकों में मानव जाति को दे जाते हैं। परमात्मा की शरण में जाने के मायने है इन पवित्र पुस्तकों में दी गई शिक्षाओं की शरण में आना। अर्थात पवित्र पुस्तकों की शिक्षाओं को समझकर उन्हें जीवन में आत्मसात करना। इन पवित्र पुस्तकों में संग्रहित शिक्षाओं पर चलने से किसी की कभी कोई हानि नहीं हुई है। एक सुन्दर प्रार्थना है - मैं साक्षी देता हूँ कि मैं तुझे जाँनू तथा तेरी पूजा करूँ। तुझे जानने के मायने हैं कि पवित्र ग्रन्थों में दी गई तेरी शिक्षाओं को जाँनू। तथा पूजा के मायने उन शिक्षाओं की गहराई में जाकर उसे अच्छी प्रकार जानकर उन पर दृढ़तापूर्वक चलूँ। 

(9) परमात्मा अपने सारे गुणों के खजाने के साथ पवित्र हृदय में रहता है:-

कोयले की खदानों से कुछ उपकरणों की सहायता द्वारा अनेक वर्षो तक गहराई तक खुदाई करके असीमित मात्रा में कोयला रोजाना निकाला जाता है। इसके लिए खदान में रोशनी की भी आवश्यकता पड़ती है। इसी प्रकार सारा ज्ञान-विज्ञान हमारे हृदय में कोयले की खदान की तरह असीमित मात्रा में भरा पड़ा है। परमात्मा भी अपने सारे गुणों के खजाने के साथ पवित्र हृदय में निवास करता है। आप देखे, पवित्र हृदय करके दयालु कृष्ण अपने हृदय के अंदर जाकर गीता का ज्ञान ले आये, दयालु बुद्ध अपने अंदर से त्रिपटक ले आये, दयालु ईशु अपने अंदर से पवित्र बाईबिल ले आये, दयालु मोहम्मद साहब अपने हृदय से पवित्र कुरान ले आये। दयालु नानक अपने अंदर से गुरू ग्रन्थ साहेब ले आये। दयालु बहाउल्लाह अपने अंदर से पवित्र पुस्तक किताबे-अकदस ले आये। 

(10) सारा ज्ञान हमारे अंदर ही भरा पड़ा है:-

इसी प्रकार तुलसी अपने अंदर जाकर युगों-युगों से मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा देने वाली रामायण ले आये तथा अनेक वैज्ञानिक अपने मस्तिष्क के अंदर जाकर बल्व, टेलीफोन, हवाई जहाज, कम्प्यूटर आदि की तकनीक ले आये हैं। साहित्यकार प्रेरणादायी साहित्य, गीतकार, संगीतकार, कलाकार अपने हृदय-आत्मा के अंदर से ही इन्द्रधनुषी रंगों तथा सुरों से ओतप्रोत युग संगीत-कला ले आये हैं।

(11) प्रभु से प्यार करने के मायने है पवित्र ग्रन्थों की शिक्षाओं पर चलना:- 

परमात्मा से प्यार करने के मायने है परमात्मा द्वारा अवतरित तथा पवित्र ग्रन्थों में संकलित शिक्षाओं का पालन करना। परमात्मा द्वारा युग युग में मानव कल्याण के लिए भेजे गये अवतारों राम, कृष्ण, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, नानक, बहाउल्लाह का अवतरण धरती पर हुआ है। ये अवतार परमात्मा की ओर से मानव कल्याण के लिए युगानुकूल शिक्षायें लेकर आते हैं। मनुष्य का कर्तव्य है कि पवित्र हृदय धारण करके प्रभु की राह में आने वाली कठिनाईयों को धैर्यपूर्वक सहन करना। जब हम दृढ़तापूर्वक प्रभु की राह पर चलते हैं तब जीवन की हर परिस्थितियों में प्रभु के असीम प्रेम का अमृत हर पल बरसने की अनुभूति होती है। तू ही तू, तू ही तू, तू ही तू, हर शह में बसा है तू। मोहम्मद, ईसा, कृष्ण तुम्ही हो, नानक की पहचान तुम्ही हो!




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