नेता जी की अस्थियों के डीएनए जांच से होगा रहस्यों का पर्दाफाश- चंद्र कुमार बोस

नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती समारोहों के क्रम में पत्र सूचना कार्यलाय के लखनऊ क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से एक वेबिनार का आयोजन किया गया।नेता जी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्र कुमार बोस सहित कई वक्ताओ ने वेबिनार में विचार व्यक्त किए।बड़ी संख्या में पत्रकारों तथा अन्य लोगों ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया। कोलकाता से वेबिनार में जुड़ते हुए नेता जी के पौत्र श्री चंद्र कुमार बोस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयासों से नेता जी से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी भी कई दस्तावेज एसे हैं जो सार्वजनिक नहीं है उन्हें भी सार्वजनिक करने का प्रयास होना चाहिये।जर्मनी में नेता जी की पुत्री ने अस्थि कलश की डीएनए जांच की मांग की है।इससे पहले मुखर्जी कमेटी भी इस दिशा में प्रयास कर चुकी है।श्री बोस ने कहा कि अगर इस अस्थि कलश की डीएनए जांच करायी जाती है तो इससे कई रहस्य उजागर होंगे।उन्होंने कहा कि जर्मनी ने नेता जी से संबंधित 5 महत्वपूर्ण फाईले है, श्रीमती सुषमा स्वराज जब विदेश मंत्री थी उन्होंने इसे सार्वजनिक कराने का प्रयास किया था और उनके प्रयासो से दो फाइलें सार्वजनिक हो गयी है लेकिन तीन फाइलें अभी भी सार्वजनिक होना बाकी है।श्री चंद्र कुमार बोस ने कहा कि नेता जी के जीवन के बारे में देश के लोगों को सच्चाई का पता होना चाहिये।रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद नेता जी के आध्यात्मिक गुरु थे.नेता जी ने उनके सिद्दांतो  को आजाद हिंद फौज में लागू किया था। नेताजी जब 1921 में जब भारत वापस आये वे मुंबई में महात्मा गांधी से मिलें गांधी जी ने 1922 में नेता जी को बंगाल में काम करने का परामर्श दिया था।श्रीबोस ने कहा कि राजनैतिक मतभेद के बावजूद नेता जी और गांधी जी दोनों एक दूसरे का सम्मान किया करते थे।नेता जी ने पहली बार महात्मा गांधी को फादर आफ नेशन कहा था।श्रीबोस ने कहा कि लोग आसान रास्ते तलाशते हैं लेकिन नेता जी ने अपने लिया कठिन मार्ग चुना था .आईसीएस की परीक्षा पास करने के बावजूद उन्होंने उससे इस्तीफा देकर देशभक्ति का मार्ग चुना।वे कोलकाता से पेशावर,काबुल और मास्को होते हुए बर्लिन पहुंचे और हिटलर से मुलाकात की। रासबिहारी बोस ने जिस आजाद हिंद फौज का गठन किया था नेता जी ने उसके प्रधान कमांडर के रुप में उसके काम को आगे बढाया और साठ हजार भारतीय जाबांजो को इसमें शामिल किया। उन्होंने कहा कि नेता जी जाति और धर्म से उपर उठकर भारतीय होने की प्रेरणा देते थे।आजाद हिंद फौज में जो भी सिपाही थे उनकी कोई जाति नहीं थी वो सभी भारतीय थे।उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया था कि अंग्रेजों को नेता जी और आजाद हिंद फौज के भय से भारत छोड़ना पड़ा।उन्होंने कहा कि नेता जी और उनकी आजाद हिंद फौज ने आज तक कभी भी समर्पण नहीं किया नेता जी अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री थे।श्री बोस ने कहा कि युवाओं को नेता  से प्रेरणा लेनी चाहिए।आजाद हिंद फौज के सेनानी परमानंद यादव के पौत्र मनीष यादव ने भी वेबिनार में नेता जी से जुड़े पारिवारिक संस्मरण को साझा किया।विश्वभारती विश्वविद्दालय कोलकाता के प्रोफेसर विपलव लोहा चौधरी ने नेता जी के जीवन और दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने भारत के लोगों को एक महाजाति के रुप में देखा था.नेता जी लोगों में स्वाभिमान जागृत देखना चाहते थे .नेता जी निजी जीवन में बहुत बड़े आध्यात्मिक व्यक्ति थे और मां काली के उपासक थे।बाबासाहम भीमराव अंबेडकर विश्विविद्दालय के प्रोफेसर महेंद्र कुमार पाधी ने नेता जी के सामाजिक ,आर्थिक दर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हरिपुरा कांग्रेस के प्रमुख चुने जाने के बाद नेता जी ने आजाद हिंदुस्तान के विकास की एक रुप रेखा प्रस्तुत की थी ।1938 में नेता जी ने भारत की पहली योजना समिति का गठन किया था नेता जी का मानना था कि कृषि की भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन इसे रोजगार परक बनान होगा ।उन्होंने कहा कि नेता जी ने कृषि के क्षेत्र मे मौजूद प्रछन्न बेरोजगारी की भी चर्चा की है.नेता जी ने कहा था कि बेरोजगारी एक अभिशाप है और इसे हर कीमत पर मिटाना होगा।उन्होंने औद्दोगीकरण की भी चर्चा की थी और बड़े उद्दोगों के स्थापना का समर्थन किया था।

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