काकीनाडा के गहरे-समुद्री बंदरगाह से चावल की खेप रवाना


भारत की चावल निर्यात क्षमता को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह से चावल की खेप को रवाना किया गया है। निकटवर्ती बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़भाड़ बढ़ने के चलते आंध्र प्रदेश सरकार ने चावल के निर्यात के लिए काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह के उपयोग को मंजूरी दी थी। काकीनाड़ा के गहरे पानी के बंदरगाह से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ;एपीडाद्ध के सदस्य निर्यातक एमध्एस सत्यम बालाजी राइस इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ;उत्पादितए बीज और प्रसंस्कृत छत्तीसगढ़द्ध द्वारा एक शिपमेंट 12 फरवरीए 2021 को भेजा गया।

काकीनाडा बंदरगाह पर फ्लैग.ऑफ समारोह में डॉ. एम अंगमुथु, अध्यक्षए एपीडा,  डी मुरलीधर रेड्डीए जिला कलेक्टरए पूर्वी गोदावरीए डॉ. जी लक्ष्मीशा, संयुक्त कलेक्टरए पूर्वी गोदावरी, एम मुरलीधर, सीईओ, काकीनाड़ा सी पोर्टए एसएस नैयरए महाप्रबंधक और श्रीमती विनीता सुधांशुए उप.महाप्रबंधकए एपीडा और उद्योग एवं निर्यात संवर्धन निदेशालय के अधिकारीए बंदरगाह के अधिकारीए पीक्यू अधिकारीए व्यापार और श्रम के प्रतिनिधि आदि शामिल हुए।

चावल के निर्यात का पंजीकरण और प्रबंधन करने वाले एपीडा ने आंध्र प्रदेश सरकार से आग्रह किया था कि निर्यातकों को काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह का उपयोग करने दिया जाए। आंध्र प्रदेश मैरीटाइम बोर्ड के नियंत्रण में काकीनाडा के गहरे पानी के बंदरगाह का उपयोगए भारत के चावल निर्यात क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा। काकीनाडा के निकटवर्ती बंदरगाहों पर जहाजों की भीड़ की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। भारत से चावल की मांग में चालू वित्त वर्ष ;2020.21द्ध में तेज वृद्धि देखी गई है। राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशनए काकीनाडा ने भी आंध्र प्रदेश सरकार से इसी तरह का अनुरोध किया था।

चालू वित्त वर्ष 2020.21 की पहली तीनों तिमाही में चावलए गेहूं और मोटे अनाज के निर्यात में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अप्रैल से दिसबंर.2020 के दौरान कुल 49ए832 करोड़ रुपये का अनाज निर्यात किया गया। पिछले साल की इसी अवधि में कुल 32ए591 करोड़ रुपये का अनाज निर्यात हुआ था। इस तरह निर्यात में 52ण्81 फीसद की वृद्धि हुई और यह डेढ़ गुना हो गया और अमेरिकी डॉलर में 45ण्81 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। ;एपीडाद्ध अनुसूचित उत्पादों के कुल निर्यात में अनाज निर्यात के मूल्य का कुल शेयर रुपये के संदर्भ में 48ण्61 प्रतिशत था।

आंकड़ों के अनुसारए अप्रैल.दिसंबरए 2020 के दौरान बासमती चावल का निर्यात 22ए038 करोड़ रुपये ;2947 मिलियन डॉलरद्ध था। वहींए पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 20ए926 करोड़ ;2936 मिलियन डॉलरद्ध रुपये का निर्यात हुआ था। बासमती चावल का निर्यात रुपए के संदर्भ में 5ण्31 प्रतिशत  और डॉलर के संदर्भ में 0ण्36 प्रतिशत वृद्धि देखी गई।

वित्त वर्ष 2020.21 की पहली तीन तिमाहियों के दौरानए गैर.बासमती चावल के शिपमेंट में प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है। गैर.बासमती चावल का निर्यात अप्रैल.दिसंबरए 2020 के दौरान 22ए856 करोड़ रुपये ;3068 मिलयन डॉलरद्ध थाए जबकि अप्रैल. दिसंबरए 2019 की अवधि के दौरान 10ए268 करोड़ रुपये ;1448 मिलयन डॉलरद्ध था। गैर.बासमती के निर्यात में रुपए के संदर्भ में 122ण्61 प्रतिशत और डॉलर के संदर्भ में 111ण्81 प्रतिशत वृद्धि देखी गई।

गैर.बासमती चावल के निर्यात में इस तरह की वृद्धि के पीछे एक प्रमुख कारण कोविड.19 महामारी के दौरान कई अफ्रीकी और एशियाई देशों से मांग में वृद्धि थी। कई देश चावल का भंडारण करना चाहते थे ताकि आपात स्थिति के दौरान उसका उपयोग किया जा सके।

एक दूसरा कराण जिसने भारत के गैर.बासमती चावल के निर्यात में मदद कीए वह थाए भारत के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चावल निर्यातक थाईलैंड जहां पिछले साल सूखा पड़ा था जिससे उसका उत्पादन प्रभावित हुआ था। चावल के निर्यात में तेजी से वृद्धिए विशेष रूप से एक ऐसे समय मेंए जब विश्व स्तर पर कोविड.19 महामारी के चलते कई वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हुईए सरकार द्वार कोविड.19 से संबंधित सभी सुरक्षा सावधानीयों को बरतते हुए चावल के निर्यात को सुनिश्चित करने का श्रेय दिया जाना चाहिए।


 

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