लचीली और आनंददायी स्कूली शिक्षा बजट


कोविड 19 महामारी द्वारा स्कूली शिक्षा में लाए गए अवरोधों का प्रभाव शायद शिक्षार्थियों की एक पूरी पीढ़ी द्वारा महसूस किया जाएगा। एक तरफ जहां बंद हुए स्कूलों ने शिक्षा प्रदान के तरीकों में परिवर्तन किया हैए वहीं इसी स्कूलबन्दी ने बच्चों के ज्ञानात्मक पक्षए भावनात्मक पक्ष एवं मनोक्रियात्मक पक्ष के विकास में स्कूलों की पक्की भूमिका को भी दृढ़ता से रेखांकित किया है। महामारी ने एक तरफ कुछ कमियां प्रकट की हैं जिन्हें ठीक करने की ज़रूरत हैए वहीं दूसरी ओर इस महामारी ने स्कूली शिक्षा क्षेत्र की कुछ नया करने की अंतर्निहित क्षमता और प्रवृत्ति को भी प्रगट किया है। पिछले कुछ वर्षों में हम शिक्षा क्षेत्र में बड़ी तस्वीर को बारीकी से देख रहे हैं और नामांकन दरए सकल पहुंच अनुपातए छात्र शिक्षक अनुपातए उपलब्धि दर इत्यादि में प्रगति दर्ज कर रहे हैं। इस महामारी के कारण हमें सूक्ष्म स्तर पर जाकरए हर बच्चेए हर स्कूल और हर अध्यापक को ट्रैक करने की आवश्यकता पड़ी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अध्यापन एवं सीखने की प्रक्रिया विभिन्न रचनात्मक स्वरूपों में जारी रह पाए एवं कोई भी बच्चा इससे पीछे न छूटने पाए। हालांकि लचीलेपन की बात प्रबंधन या आपदाओं के शमन या यहां तक कि अर्थव्यवस्था के लिए प्रायः कही जाती रही हैए लेकिन यह पहली बार है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीतिए 2020ए जिसे निचले स्तर से परामर्श की विस्तृत प्रक्रिया के बाद महामारी के बीच जारी किया गया थाए ष्जब भी और जहां भी शिक्षा के परम्परागत एवं वैयक्तिक तौर तरीक़े संभव न होंए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के वैकल्पिक साधनों के लिए तैयार रहनेष् की आवश्यकता की बात करती है।

स्कूल शिक्षा क्षेत्र के लिए हाल ही में की गई बजट घोषणाओं को उपरोक्त बात के आलोक में देखने की आवश्यकता है। छात्र छात्राओं को केंद्र में रखते हुएए वित्तीय वर्ष 2021.22 में शिक्षा हेतु आवंटन का फोकस स्कूलों के गुणात्मक सुदृढ़ीकरण और समावेशीए समग्र और खुशहाल शिक्षा प्रदान करने के लिए सभी शिक्षकों के गहन क्षमता निर्माण पर है जिसका साथ शिक्षा के लिए एक व्यापक सूचना प्रौद्योगिकी अवसंरचना द्वारा भी दिया जाता है।

किसी बच्चे के मस्तिष्क में केवल कक्षा और स्कूल में सकारात्मक बौद्धिक और भावनात्मक अनुभवों के माध्यम से सीखने का आंनद आजीवन रहने वाले एक कौशल के रूप में स्थान ले लेता है। यह योजना बनाई गई है कि देश भर से लगभग 15ए000 स्कूलों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने वाले उत्कृष्ट स्कूलों के रूप में उभारने के लिए तीन से पांच वर्ष की अवधि में एक निष्पक्षए समावेशी और खुशहाल स्कूली वातावरण. जो विविध पृष्ठभूमियोंए बहुभाषी जरूरतों और बच्चों की विभिन्न अकादमिक क्षमताओं का ख्याल रखता हो. में अच्छे बुनियादी ढांचेए अच्छी तरह से प्रशिक्षित शिक्षकों और रचनात्मक शिक्षण विधियों से लैस कर दिया जाएगा। इनके अलावा अन्य सभी सरकारी स्कूलों को आधारभूत अवसंरचनाए सुविधाएं एवं पहुंचए गुणवत्ता तथा निष्पक्षता बढ़ाने के लिए संसाधनों हेतु बजट आवंटित कर विकसित किया जाना जारी रहेगा।

शिक्षक सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैंए वह एक रीढ़ और ऐसा बल हैं जो एक गुणात्मक स्कूली शिक्षा प्रणाली को बनाए रखता है। इन उत्कृष्ट स्कूलों के नज़रिये को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षकों को सीखनेए फिर से सीखने के साथ.साथ नये तरीक़े से सीखने एवं निश्चित मानकों को प्राप्त करने का प्रयास करने की आवश्यकता होगी। ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखने और बोलने के तौर तरीक़ों पर अत्यधिक निर्भरता से आगे बढ़कर शिक्षकों को रचनात्मक शिक्षण के बारे में जानने की ज़रूरत होगी जैसे. कलाध् खेलकूदध् कहानी कहने की कलाध्सूचना प्रौद्योगिकीध् गतिविधिध् जीवन कौशलध् मूल्य एकीकृत अधिगमए शुरुआती वर्षों में मातृभाषा को सेतु.भाषा के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाएए स्टेज एप्रोप्रियेट लर्निंग आउटकमध् कसौटी संदर्भित मूल्यांकन आदि। वर्ष के दौरान देश भर के सभी शिक्षक सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध ऑनलाइन छप्ैभ्ज्भ्।ध् निष्ठा ;नेशनल इनिशिएटिव फ़ॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स फ़ॉर हॉलिस्टिक एडवांसमेंटद्ध प्रशिक्षण मॉड्यूल का सहारा ले सकते हैं जो शुरुआती वर्षों से बारहवीं तक पढ़ाने के लिए इन सभी और कई अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों को समेटे होंगे। सभी शिक्षकों द्वारा प्राप्त किए जाने वाले व्यावसायिक गुणए ज्ञान एवं कौशल हरेक क्लासरूम में उनकी गतिविधियों का मार्गदर्शन करने के लिए नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स फ़ॉर टीचर्स के माध्यम से एक बेंचमार्क के रूप में निर्धारित किए जाएंगे। यह बदलाव रातों रात नहीं हो सकते। समूची परिवर्तनकारी प्रक्रिया में शिक्षकों एवं शिक्षाविशारदों के लिए एक व्यवस्थित परामर्श के माध्यम से हस्तक्षेप की योजना बनाई गई है।

इन सब के केंद्र में हमेशा छात्र होगा। प्राथमिक से लेकर ग्रेड 12 छात्रों के लिए एक अद्वितीय खिलौना आधारित सीखने और शिक्षण की प्रक्रिया निर्माण के दौर में है। इसमें शिक्षण तथा सीखने की प्रक्रिया में न सिर्फ स्वदेशी खिलौने होंगे बल्कि गेम्स  ;बोर्ड गेमए कार्ड गेमए इलेक्ट्रॉनिक गेम समेतद्धए पहेलीए कठपुतलियांए गतिविधियां इत्यादि का उपयोग भी भाषा से लेकर विज्ञानए गणितए इतिहास आदि से जुड़े विषयों पर बच्चों को शिक्षित करने में किया जाएगा। इस साल शिक्षकए माता.पिताए स्वयं एवं साथियों द्वारा हर छात्र की विशिष्टता का मूल्यांकन एक हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड के माध्यम से बुनियादी वर्षों के लिए शुरू किया जाएगा। यह रटने एवं पाठ्यपुस्तकध् पाठ्यक्रम पूरा करने पर फोकस को कम करेगा एवं बच्चे को उत्कृष्ट रचनात्मकता और संचार कौशल के साथ एक महत्वपूर्ण विचारक और समस्या का समाधान करने वाला बनने में मदद करेगा। समग्र भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को  मानकीकृत किया जाएगा। सीबीएसई द्वारा बोर्ड परीक्षा सुधार पहले ही शुरू किए जा चुके हैं और इससे बदलाव की प्रक्रिया में तेजी आएगी।

उपरोक्त हस्तक्षेपों के साथ.साथ छ.क्म्।त्  के माध्यम से स्कूल शिक्षा क्षेत्र में लचीलापन लाया जाएगा। नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर का खाका इसी साल तैयार हो जाएगा। इसकी परिकल्पना एक खुलीए स्केलेबल और अंतःप्रचालनीय डिजिटल अवसंरचना के रूप में की जा रही है जो स्कूली शिक्षा की योजनाए प्रशासन और संचालन दोनों में केंद्र और राज्यों के लिए फायदेमंद होगा। यह शिक्षकोंए छात्रों और स्कूलों को बाधारहित डिजिटल लर्निंग का अनुभव भी प्रदान करेगा। जैसे हमें महामारी का उफ़ान थमने का इंतज़ार हैए इस साल का बजट स्कूली शिक्षा को ख़ुशनुमा और लचीला बनाने का वायदा करता है जिसमें बच्चों का हित सर्वोपरी रखने का रवैया है।


अनीता करवाल,

सचिवस्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग,

शिक्षा मंत्रालय,

भारत सरकार

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा