एक्सप्रेस-वे के किनारे जल्द ही बनेगें ट्रामा सेंटर
अपर मुख्य सचिव, गृह ने कहा कि सड़क दुर्घटना होने पर घायल व्यक्ति को अपनी गाड़ी में बैठाकर गोल्डन ऑवर के अन्दर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि सीटबेल्ट हमारे लिए रामबाण है। वाहन में आगे व पीछे बैठे सभी व्यक्तियों को सीटबेल्ट अवश्य लगाना चाहिए। उन्होंने गुड सेमेरिटन का विशेष स्वागत करते हुए कहा कि अगर हर व्यक्ति में आपके गुण आ सकें तो हम मृत्यु दर में भारी कमी ला सकते हैं। उन्होंने आमलोगों से आह्वाहन करते हुए कहा कि वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें।
यह विचार इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के समापन समारोह में व्यक्त किये। इस अवसर पर एन.आई.सी. द्वारा आई.आई.टी. चेन्नई के सहयोग से बनाया गया एप iRAD(intigrated road accident database)को लांच किया गया। उत्तर प्रदेश के 16 लाइट जनपदों में पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इस एप को लांच कर दिया गया है तथा शीघ्र ही प्रदेश के अन्य जनपदों में भी लागू कर दिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि एक्सप्रेस-वे के किनारे जल्द ही ट्रामा सेंटर की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है। ट्रामा सेंटर बनने से गोल्डन आॅवर में घायल व्यक्ति को इलाज मिलेगा और उसकी जान भी बच सकेगी। उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले परिवहन विभाग के चालकों के आंखों की जांच हुई। उनमें लगभग 500 चालकांे की आॅंखों की रौशनी या तो कम पाई गई या फिर उनमें कलर पहचानने की क्षमता कम पाई गई। मैं चाहूंगा कि परिवहन विभाग एक योजना बनाकर प्रदेश के सभी ड्राईविंग लाइसेंस धारकों की आँखों की जांच कराये।
इस अवसर पर परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव ने कहा कि मा0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में परिवहन विभाग लगातार प्रगति कर रहा है। परिवहन विभाग के अलावा छः विभागों के समन्वय से राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह को सफल बनाया गया। इस साल सड़क दुर्घटना में कमी आई हैं, जो सभी के प्रयासों से हासिल हुई है। यदि हम जीवन को बचाने के लिए कोई योजना बनाते हैं तो उसमें जो भी खर्च लगे वो कम है क्योंकि हमारा जीवन अमूल्य है। हमारा समय तो बहुमूल्य परन्तु जीवन अमूल्य है, इसलिए हमें ओवर स्पीडिंग नहीं करनी चाहिए, ना ही दूसरों को ओवर स्पीडिंग करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में मशीन बेस्ड फिटनेस सेंटर खोलने किं योजना है, जिसके माध्यम से इलेक्ट्रिक और मैकेनिक दोनो तरीके से वाहनों को बारीकी से जांच होगी।
परिवहन आयुक्त ने सड़क सुरक्षा माह में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी विभागों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सड़क सुरक्षा सप्ताह साल में चार बार मनाया जाता है। इस बार सड़क सुरक्षा माह का सफल आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि 37 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं ओवर स्पीडिंग की वजह से होती है। इसी तरह मोबाइल फोन पर बात करने में दुर्घटनायें 12 प्रतिशत होती हैं। गलत दिशा में गाड़ी चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं का प्रतिशत लगभग 11 है। उन्होंने यह भी बताया कि गाड़ी चलाते समय जिन चालकों द्वारा जानबूझकर इस ढंग से वहन चलाया जाता है कि जिससे सड़क दुर्घटना में किसी की मृत्यु हो जाये ऐसी दशा में उसके विरूद्ध पुलिस विभाग द्वारा आई.पी.सी. की धारा 304 भाग-2 के अन्तर्गत मुकदमा पंजीकृत कर कार्यवाही की जाएगी जिसके अन्तर्गत दस साल के कारावास का भी प्राविधान है। विभाग के प्रयास से वर्ष 2019 की अपेक्षा 2020 में सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मृत्युदर की घटना कम होना हमारे प्रयासों को सफल बना रहा है। सड़कों पर ब्लैक स्पाॅट को चिन्हित कर पी0डब्ल्यू0डी0 विभाग से लगातार ठीक कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एम-वाहन एप काफी सफल है, एन.आई.सी. के सहयोग से बने एप के माध्यम से वाहनों के फिटनेस चेकिंग को 30 जनपदों में लागू कर दिया गया है, जल्द ही शेष जनपदों में लागू कर दिया जायेगा।
कार्यक्रम में आइ.आर.एस.सी. द्वारा भी रोड सेफ्टी क्लब में प्रस्तुतीकरण किया गया तथा 32 रोड सेफ्टी क्लबों को परिवहन विभाग की तरफ से एक-एक मोमेंटो तथा प्रत्येक को 5000 रूपये का पुरस्कार प्रदान किये गये तथा प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये 37 गुड सेमेरिटन को भी परिवहन विभाग द्वारा सम्मानित किया गया। इसी के साथ-साथ उच्च प्राथमिक, माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के छात्रों के मध्य सड़क सुरक्षा पर कविता, लघु कहानी, छन्द, चैपाई, पेन्टिंग, चित्रकला, रंगोली तथा क्विज कला में विजेता छात्र/छात्राओं को अपने-अपने जनपद में सम्मानित किया गया तथा लखनऊ जनपद के 27 छात्र-छात्राओं को कार्यक्रम में सम्मानित किया गया।