निष्कंटक जीवन के लिए फाल्गुन पूर्णिमा को करिये महाविद्या धूमावती की साधना
मां धूमावती भूत-प्रेत,पिशाच,अन्य तंत्र बाधाओं से साधक वेसके परिवार की रक्षा करती हैजब धूमावती साधक से प्रसन्न होती है,तब साधक के शत्रुओं का भक्षण कर लेती हैऔर साधक को अभय प्रदान करती हैं।धूमावती दारुण विद्या हैं सृष्टि में जितने भी दुःख,व्याधियां है ,बाधाएं हैइनके शमन हेतु उनकी दीक्षा व साधना श्रेष्ठतम मानी जाती है साधक पर प्रसन्न होने पर,शत्रुओं का भक्षण तो करती ही हैसाथ उनके जीवन मेन्धन-धान्य, समृद्धि की कमी नहीं होने देती हैं,क्योंकि वह लक्ष्मी की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं का पूर्ण भक्षण कर लेती है।अतः लक्ष्मी प्राप्ति के लिये भी साधक को इस शक्ति की आराधना करना चाहिए।होली महोत्सव ऐसा ही वर्ष का श्रेष्ठतम महापर्व हैजिसके माध्यम से शारीरिक मानसिक शत्रुओं को पूर्ण भस्म कर सकें।ऐसी ही स्थितियों की प्राप्ति से जीवन मे शांति,सुबृद्धि,श्रेष्ठता,उच्चता की प्राप्ति का मार्ग निर्मित होता हैऔर इन क्रियाओं से।भौतिक सुखों की प्राप्ति सम्भव हो पाती हैं नृसिंहवतार की ब्याख्या से मनुष्य नृसिंहमय बन सकें और यह भावजीस साधक में दृढ़ निश्चयमयी स्वरूप होता है वही जीवन की अनेक विफलताओं को समाप्त कर सकता है अवश्यमेव ऐसी साधना सम्पन्नकर अपने जीवन को एक नया ओज व क्षमता देगा।होली कोऐसी तेजस्वी साधना अवश्य सम्पन्न करें।