कोविड- 19 से निपटने में निगरानी समितियों की भूमिका महत्वपूर्ण -योगी
- आज पूरा देश, पूरी दुनिया इस कोरोना से लड़ाई लड़ रही है। यह कोई सामान्य बीमारी नहीं, महामारी है। हमारे शास्त्रों ने कहा है आपदाकाल में धैर्य सबसे बड़ा सहारा होता है। हमें धैर्य और संयम के साथ इस महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है।
- 40 लाख प्रवासी श्रमिकों के टेस्ट और ट्रैक करने की बात हो, उन्हें क्वारन्टीन सेंटर में व्यवस्थित करना हो, खाद्यान्न वितरण कराना हो, होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को मेडिकल किट उपलब्ध कराने हो, सभी क्षेत्रों में आपकी भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है।
- इस बार संक्रमण बहुत तेज है।गांवों-मोहल्लों को बचाने में आपकी सबसे बड़ी भूमिका है। सरकार पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं। आप हर रोज लोगों को बताएं मास्क लगाने के लिए। बीमार लोग घर से बाहर न निकलें। लोगों से कम मिलें-जुले। सैनिटाइजेशन की जानकारी दें। फॉगिंग को महत्व देना। हर निगरानी समिति इस कार्य को प्रभावी ढंग से करे।जागरूकता के इस कार्यक्रम में निगरानी समितियों की भूमिका बैक बोन जैसी है।
- 25 मार्च 2020 से आज 28 अप्रैल 2021 तक हर दिन हम लोग कोविड की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। रोज बैठक हो रही है। आपकी हर गतिविधि पर चर्चा होती है।
- आपदा के समय प्रबंधन से जुड़कर समाधान तलाशना महत्वपूर्ण है। इस महामारी में उत्तर प्रदेश की नियंत्रित स्थिति कुछ लोगों को अच्छी नहीं लग रही। ऐसे लोग कमियां निकालते हैं। अनावश्यक टीका टिप्पड़ी करने वाले यह लोग हमारे कोविड वॉरियर के कार्यों का अपमान कर रहे हैं। जिनकी प्रशंसा करनी चाहिए उनके काम में खोट निकालना अच्छा काम नहीं है।
- उत्तर प्रदेश कोविड के खिलाफ लड़ाई में पूरी प्रतिबद्धता के साथ लड़ रहा है। कोविड की पहली लहर के अनुभवों से सीखते हुए स्वास्थ्य संसाधनों को प्राथमिकता के साथ बेहतर किया गया है। यह काम लगातार जारी है। हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा। आज 116000 से अधिक एल-1 के बेड्स हैं तो एल-टू व एल-3 के 65000 से अधिक बेड हैं। हम इसे दोगुना करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें निजी क्षेत्र को जुड़ना पड़ेगा।
- उत्तर प्रदेश ने अब तक चार करोड़ से अधिक कोविड टेस्ट कर लिए हैं। बीते साल जब प्रदेश में पहला कोविड केस आया था, तब हमारे पास टेस्टिंग की क्षमता नही। आज उसी यूपी में सवा दो लाख टेस्ट हर दिन हो रहे हैं। जिस प्रदेश में जब पहला मरीज आया तो उसे बाहर भेज कर एडमिट कराना पड़ा था, आज वहां के अस्पतालों में 60,000 से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है। इस प्रदेश में 1 करोड़ 20 लाख वैक्सीनेशन डोज एडमिनिस्टर हो चुकी है। इन सभी कार्यों में सरकार के तंत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र ने पूरी तत्परता के साथ सहयोग किया है। इसके लिए उनका अभिनन्दन। टेस्टिंग कैपिसिटी को बढ़ाने का काम हो रहा है। होगा। 10 मई तक दोगुनी हो जाएगी। निजी लैब से सहयोग की अपेक्षा है।
- प्रदेश में इस समय 2.52 लाख लोग होम आइसोलेशन में हैं। हम इनसे लागातर संवाद में हैं। हर दिन जनपद स्तरीय आइसीसीसी इनका हाल चाल लेता है। इन्हें मेडिकल किट उपलब्ध कराई जा रही है। जिन्हें हॉस्पिटल की जरूरत है,उन्हें एडमिट कराया जा रहा है।
यह लड़ाई उस स्थिति में पहुंच चुकी है, जहां सबका सहयोग जरूरी है। आशा बहनें, आंगनवाड़ी, युवक मंगल दल, सिविल डिफेंस, स्वयंसेवी संस्थाएं, सभी सहयोग कर रहे हैं।
- हर निगरानी समिति के पास इंफ्रारेड थरमामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर, सैनिटाइजर, मास्क, ग्लव्स जरूर रहे। कोई प्रवासी आये तो उसका तापमान लें। पल्स ऑक्सीमीटर से उसका ऑक्सीजन चेक करें। जरूरत के अनुसार हेल्थ टीम को बताएं। उसका टेस्ट कराएं। पॉजिटिव आये तो उसे मेडिकल किट उपलब्ध कराएं। लक्षण मात्र भी हों तो भी कोविड प्रोटोकॉल का अनुसार ही इलाज दिलाने में मदद करें।
- आपके पास पल्स ऑक्सीमीटर है। यह दो चीज बताता है। पल्स रेट बतात है और ऑक्सीजन की स्थिति से अवगत कराता है। होम आइसोलेट मरीज को इसकी उपयोगिता बताएं।
- निगरानी समितियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका कंटेनमेंट ज़ोन को सफल बनाने में भी है। आप सभी अपने क्षेत्र में कन्टेनमेंट ज़ोन को प्रभावी बनाये। गांव हो या शहर ऐस चिन्हित क्षेत्रों में अनावश्यक आवाजाही बन्द कराएं। केवल जरूरी गतिविधियां ही जारी रहें। कोई दिक्कत हो तो सीडीओ को बताएं, डीएम से मिलें, आइसीसीसी को जानकारी दें। और किसी तरह का सहयोग चाहिए तो 24×7 सीएम हेल्पलाइन 1076 को फोन करें।