दूध ऊर्जा युक्त एक संपूर्ण आहार है।

दूध का इतिहास ईसा से सात से आठ हज़ार वर्ष पूर्व का है, दूध ऊर्जा युक्त एक संपूर्ण आहार है। दूध में मौजूद संघटक हैं :- पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसा विहिन ठोस। दूध में कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक, फास्फोरस, आयोडीन, आयरन, पोटैशियम, फोलेट्स, विटामिन ए, विटामिन डी, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी-12, प्रोटीन आदि मौजूद होते हैं। गाय के दूध में प्रति ग्राम 3.14 मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। 

चरक शास्त्र में दूध के गुणों का वर्णन इस प्रकार किया गया है : स्वादु शीतं मृदु स्निग्धं बहलं श्लक्ष्णपिच्छिलम् । गुरु मन्दं प्रसन्नं च गव्यं दशगुणं पयः ।। अर्थात गाय का दूध मीठा, ठंडा, शीतल, नर्म, चिपचिपा, चिकना, पतला, भारी, सुस्त और स्पष्ट – इन दस गुणों से युक्त है | इस प्रकार यह समानता के कारण समान गुणों वाले ओजस को बढ़ाता है।

प्रॉफेट मोहम्मद ने भी गाय के दूध को 'आब-ए-हयात' कहकर मुख़ातिब किया है।

भारत में दूध का उत्पादन 14 करोड़ लीटर लेकिन खपत 64 करोड़ लीटर है। इससे साबित होता है की दूध में मिलावट बड़े पैमाने पर हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दूध में मिलावट के खिलाफ भारत सरकार के लिए एडवायजरी जारी की थी और कहा था की 'अगर दूध और दूध से बने प्रोडक्ट में मिलावट पर लगाम नहीं लगाई गई

तो देश की करीब 87 फीसदी आबादी 2025 तक कैंसर जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी का शिकार हो सकती है।' हमे यह नहीं भूलना चाहिए की “राष्ट्र के समुदाय का स्वास्थ्य ही उसकी संपत्ति है।”अतएव विश्व दुग्ध दिवस पर भारत को दूध में होने वाले मिलावट के बारे में सोचना होगा और इससे उबरने के लिए भारत सरकार  ठोस रणनीति बनाने की जरुरत है। जिससे भारत के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो सके और शुद्ध दूध लोगों तक पंहुच सके। 

जहाँ पूरा विश्व कोविड-19 महामारी से जूझ रहा है, अभी तक न तो कोई सटीक दवा बन पाई है और न ही कोई वैक्सीन। इस महामारी में जंहा कोई आस नहीं दिख रही वंहा हल्दी वाले दूध ने लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। इस महामारी में  लोगों ने  दूध और हल्दी  का प्रयोग कर अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाया है।

यदि दूध मिलावट रहित है तो यह कहने में आश्चर्य नहीं होगा की दूध वैश्विक भोजन का आधार है। दूध पर निर्भरता वैश्विक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करती है। अतएव दूध पर निर्भरता वैश्विक स्वास्थ्य का द्योतक है।

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