फसलों के बीजों की आपूर्ति एग्रोक्लाईमेटिक जोनवार जनपदों को दी जाये-
उत्तर प्रदेश के कृशि मंत्री, श्री सूर्य प्रताप शाहीने सभी अधिकारियों एवं कृशकों का कोरोना काल में किये गये उत्कृष्ट कार्यों हेतु बधाई एवं आभार व्यक्त किया। उन्होंने अवगत कराया कि प्रदेश में इस बार रिकाॅर्ड 37.51 लाख मै0टन गेहूॅ की खरीदी की गई जिसके लिए 7.68 लाख से अधिक किसानों को रू0 7400 करोड़ से अधिक की धनराशि का भुगतान किया गया। किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2020-21 के प्रथम चैमास हेतु कुल 261.50 लाख किसानों को मई माह में कुल रू0 5230 करोड़ की धनराशि उनके खाते में हस्तान्तरित की गई।
श्री शाही आज कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित वर्चुअल राज्य स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी-2021 में बतौर मुख्य अतिथि अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने डी0ए0पी0 खाद का मूल्य बढ़ने के भ्रामक प्रचार पर स्थिति स्पश्ट करते हुये अवगत कराया कि अन्तर्राश्ट्रीय बाजार में डी0ए0पी0 के कच्चे माल की कीमतें बढ़ने के कारण डी0ए0पी0 की कीमत प्रति बैग 2400 रू0 हो गयी है। उन्होंने बताया कि किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रति बोरी अनुदान 500 रू0 से बढ़ाकर 1200 रू0 कर दिया है। यह अनुदान में 140 प्रतिशत की वृद्धि है, जिसके फलस्वरूप किसानों को रू0 1200 प्रति बोरी की कीमत पर ही डी0ए0पी0 की उपलब्धता सुनिष्चित की जा रही है।
कृषि मंत्री ने बुन्देलखण्ड में आच्छादन वृद्धि के उद्देश्य से खरीफ बीजों का वितरण 80 प्रतिषत अनुदान पर किये जाने की जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि अनुदान पर बीज वितरण और खेत तालाब योजना का परिणाम यह रहा कि बुन्देलखण्ड में 5 लाख हे0 क्षेत्र आच्छादन विशेष रूप से दलहन एवं तिलहन सहित बढ़ा है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि बुन्देलखण्ड के साथ ही आगरा एवं अलीगढ़ मण्डलों में भी दलहन, तिलहन का उत्पादन बढ़ाने हेतु बीज व्यवस्था करायें। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि क्षेत्रीय परिस्थितियों और अनुकूलता के अनुसार ही विभिन्न फसलों के बीजों की आपूर्ति एग्रोक्लाईमेटिक जोनवार जनपदों को दी जाये।
श्री शाही द्वारा यह भी निर्देश दिये गये कि कृषि यंत्रों के अनुदान भुगतान हेतु सत्यापन में विलम्ब न किया जाए। उनके द्वारा सावां, कोदो, काकुन जैसे मोटे अनाजों के बीजों की व्यवस्था तथा रेज्ड बेड तकनीकी से उर्द, मूॅंग, अरहर की खेती की सलाह दी गई। उन्होंने कहा कि केवल खाद्यान्न उत्पादन से किसानों की आय नहीं बढ़ सकती, इसके लिए शाक-सब्जी, विविध फसलों के साथ गंगा के किनारे ऊंचे क्षेत्रों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाये। अपने उद्बोधन में उन्होंने गोष्ठी में उठाये गये समस्त समस्याओं को समेकित कर उनका त्वरित समाधान करने के निर्देश दिये गये।
कृशि राज्यमंत्री,श्री लाखन सिंह राजपूत द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों को किसानों से संवाद बनाये रखने ओर योजनाओं की जानकारी उन तक पहुॅचाने का आह्वाहन किया गया। उन्होंने किसान भाईयों को उत्पादकता वृद्धि, खेती की लागत घटाकर और अपने उत्पाद का मूल्य संवंर्धन कर आय में वृद्धि करने का मंत्र दिया।
अपर मुख्य सचिव कृषि , डा0 देवेश चतुर्वेदी ने इस अवसर पर बताया कि चालू खरीफ में किसानों के लिए पर्याप्त कृशि निवेषों की व्यवस्था पहले से ही कर ली गई है। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि कृषि निवेशों की गुणवत्ता और उनकी वितरण व्यवस्था पर कड़ी नजर रखी जाये। कृषि यंत्रीकरण के कार्यक्रम को पूर्व की भांति सफलतापूर्वक संचालित किया जाना है इसके लिए अभी से तैयारी अवश्यक है। पराली प्रबन्धन पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि इसके लिए गत वर्ष के सफल अनुभवों से सीख लेते हुये पराली दो खाद लो, मनरेगा के अभिसरण से गड्ढा तैयार कर खाद बनाना और कटाई उपरान्त फसल अवशेष को पानी और यूरिया तथा वेस्ट-डी-कम्पोजर का उपयोग कर शीघ्रता से सड़ाने जैसे कार्यों के प्रति कृषकों की जागरूकता और क्रियान्वयन पर विषेश ध्यान दिया जाये। खरीफ फसलों की मौसम, कीट एवं रोग के प्रति अधिक संवेदनशीलता को देखते हुये फसल बीमा कार्यक्रम के प्राविधानों का कृष कों के बीच सामयिक और पर्याप्त प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये गये। गत वर्श टिड्डी दल के प्रकोप और उसके नियंत्रण के लिए की गई कार्यवाही के सम्बन्ध में चर्चा करते हुये इस वर्श भी टिड्डी दल के आक्रमण के प्रति सजग रहने के निर्देष दिये गये।
निदेषक पशुपालन द्वारा खरीफ में चारे की व्यवस्था के क्रम में लोबिया और ज्वार के बीज उपलब्ध होने की जानकारी दी गई। साथ ही आगामी बरसात के सीजन के पूर्व मॅुहपका-खुरपका बीमारी के टीकाकरण हेतु कृशकों को जागरूक करने की सलाह दी गई। उन्होंने पशुओं का बीमा तथा सेक्स षार्टेड सीमेन का उपयोग कर मादा संतति ही प्राप्त करने सम्बन्धी जानकारी दी गई। मत्स्य विभाग के निदेश क द्वारा प्रदेष में मछली के बीज की उपलब्धता तथा विभागीय योजनाओं के बारे में बताया गया। सिंचाई एवं विद्युत विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा भी पानी और बिजली की व्यवस्था से अवगत कराया गया। निदेषक कृषि सांख्यिकी एवं फसल बीमा द्वारा फसली ऋण व्यवस्था, किसान क्रेडिट कार्ड के साथ ही फसल बीमा अन्तर्गत विभिन्न फसलों और उन पर देय प्रीमियम की जानकारी दी गई।
कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आज राज्य स्तरीय खरीफ उत्पादकता गोष्ठी -2021 का आयोजन एन0आई0सी0 के माध्यम से ऑनलाईन किया गया। इस गोश्ठी का किसानों के लिए लाईव स्ट्रीमिंग के माध्यम से सजीव प्रसारण भी किया गया। कृषि निदेशक, उ0प्र0 द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये प्रदेश में रिकाॅर्ड खाद्यान्न उत्पादन के लिए कृषक जन को बधाई देते हुये यह अपेक्षा की गयी कि सरकार और विभाग के सहयोग से प्रदेष आगे भी नये कीर्तिमान स्थापित करेगा।
गोष्ठी में आयुक्त सहारनपुर, बरेली, झांसी, चित्रकूट धाम, आयोध्या, वाराणसी द्वारा अपने मण्डलों से सम्बन्धित कतिपय समस्याओं से अवगत कराया गया। इनमें मुख्य रूप से रिक्त पदों पर तैनाती, सोलर पम्प स्थापना एवं मरम्मत व्यवस्था और उर्वरक आपूर्ति तथा रेक प्वाइंट जैसे बिन्दुओं को उठाया गया। इस सम्बन्ध में उचित और सामयिक निदान हेतु उन्हें आश्वासन दिया गया।
गोष्ठी के तकनीकी सत्र में कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के वैज्ञानिक डाॅ0 महक सिंह द्वारा तिल, मूंगफली, सोयाबीन और अरण्डी की खेती की जानकारी दी गई। बासमती निर्यात फाउण्डेषन के धान विषेशज्ञ डाॅ0 रितेश षर्मा द्वारा बासमती धान निर्यात हेतु किसानों द्वारा उत्पादन के लिए अपनायी जाने वाली बारिकीयों को विस्तार से बताया गया। गोष्ठी का संचालन श्री आर0के0 सिंह, संयुक्त कृशि निदेश क (ब्यूरो) द्वारा करते हुये अन्त में सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया।
गोष्ठी में बीज विकास निगम, बीज प्रमाणीकरण, उद्यान विभाग, मत्स्य, पशुपालन विभाग के निदेषक और पी0सी0एफ0, सिंचाई, विद्युत आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। एन0आई0सी0 के माध्यम से जनपदों/मण्डलों से आयुक्त, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, कृषि विभाग एवं अन्य सम्बद्ध विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा भी गोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत किये गये।