मधुमक्खियां खत्म तो हो सकता है मानव जीवन समाप्त
महान वैज्ञानिक ‘अल्बर्ट आइंस्टीन’ ने कहा था कि अगर धरती से मधुमक्खियाँ खत्म हो गई तो मानव प्रजाति ज्यादा से ज्यादा 4 साल ही जीवित रहेगी। आखिर क्यों? इसी प्रश्न का उत्तर ढूंढते-ढूंढते आज सोचा क्यों ना मधुमक्खियों के बारे में जाना जाय और वो जानकारी आपलोगों से भी शेयर की जाए।
तो सच में अगर धरती से सारी मधुमक्खियाँ खत्म हो गई तो मानव जीवन भी धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा, क्योंकि धरती पर मौजूद 90% खाद्य वस्तुओं का उत्पादन करने में मधुमक्खियों का बहुत बड़ा हाथ है। बादाम, काजू, संतरा, पपीता, कपास, सेब, कॉफी, खीरे, बैंगन, अंगूर, कीवी, आम, भिंडी, आड़ू, नाश्पाती, मिर्च, स्ट्राबेरी, अखरोट, तरबूज, सरसो, युकलिपटष, लिचि आदि का परागन मधुमक्खी द्वारा हीं होता है, जबकि गेँहू, मक्कें और चावल का परागण हवा द्वारा होता है। इनके मरने से 100 में 70 फसल तो सीधे तौर पर नष्ट हो जाएगी, यहाँ तक कि घास भी नही उगेगा।
मधुमक्खियाँ इतनी मेहनती होती हैं कि अपनी जिंदगी में कभी नही सोती। बेचारी एक बूँद शहद के लिए दूर-दूर तक उड़ती हैं। आजकल शहरीकरण के कारण कम हो गए हैं , पहले मधुमक्खियों के छत्ते जगह-जगह पेड़ो पर, दीवारों पर लटके मिल जाते थे पर आजकल ये दिखाई नही देते।