आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा नान कंफर्मिंग उपयोगों को जारी रखने हेतु आदर्श उपविधि की गई निर्गत

उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास अधिनियम 1973 की धारा 16 के अंतर्गत महायोजना अथवा परिक्षेत्रीय योजना के लागू होने के दिनांक को स्थल पर विद्यमान किसी भूमि अथवा भवन का उपयोग उस प्रयोजन अथवा प्रयोजनों के लिए और उस सीमा तक, जहां तक उसका उपयोग योजना के लागू होने के दिनांक पर किया जा रहा था, को जारी रखने की व्यवस्था है। अधिनियम की धारा 57 के अंतर्गत इस हेतु उपविधि बनाए जाने का प्राविधान है। आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा तदक्रम में आदर्श उपविधि तैयार करते हुए इसे समस्त विकास प्राधिकरणों को अंगीकार किए जाने हेतु प्रेषित किया गया है।

मुख्य प्राविधानों की जानकारी देते हुए उप सचिव मनोज कुमार मौर्य ने बताया कि महायोजना पर क्षेत्रीय योजना के लागू होने के दिनांक को स्थल पर विद्यमान किसी भूमि अथवा भवन का उपयोग उस प्रयोजन अथवा प्रयोजनों के लिए और उस सीमा तक जहां तक उसका उपयोग योजना के लागू होने के दिनांक पर किया जा रहा था, को जारी रखने हेतु प्राधिकरण से सत्यापन हेतु प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। योजना के उल्लंघन में भूमि अथवा भवन का उपयोग जारी रखने हेतु स्वामी द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन पत्र आवश्यक अभिलेख/अनुज्ञापित व्यक्ति द्वारा तैयार किए गए मानचित्र के साथ प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को प्रस्तुत किया जाएगा। इस हेतु आवेदक को मानचित्र शुल्क के समतुल्य प्रोसेसिंग फीस देय  होगी।
आवेदन पत्र के साथ स्वामी को योजना प्रभावी होने की तिथि से पूर्व स्थल पर किए जा रहे भूमि अथवा भवन के उपयोग के संबंध में वैधानिक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने होंगे। आवेदन पत्र प्राप्त होने के उपरांत प्राधिकरण के उपाध्यक्ष द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रत्येक योजना प्रभावी होने की तिथि को स्वामी द्वारा मौके पर भूमि अथवा भवन का उपयोग उस प्रयोजन अथवा प्रयोजनों के लिए और उस सीमा तक किया जा रहा है तथा यह योजना लागू होने से पूर्व के उपयोग के अनुरूप है।
मौके पर भूमि अथवा भवन का उपयोग प्रदूषणकारी अथवा संकटमय उद्योग अथवा इस प्रकृति की अन्य क्रियाओं हेतु किया जा रहा हो, तो उसे जारी रखने हेतु संबंधित विभागों यथा पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, अग्निशमन, विद्युत-सुरक्षा आदि से अनापत्ति प्राप्त की जानी अनिवार्य होगी।
अनापत्ति पत्र प्राप्त होने के उपरांत पूर्व से संचालित ऐसी क्रियाओं को तब तक जारी रखने की अनुमति प्राधिकरण द्वारा इस शर्त के अधीन दी जाएगी कि इन प्रक्रियाओं से जन सामान्य के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़ता हो अथवा संबंधित विभाग द्वारा इन क्रियाओं के संचालन हेतु अनापत्ति देने से इंकार ना कर दिया जाए।
उपर्युक्त की पुष्टि तथा आवश्यकतानुसार अनापत्ति प्राप्त होने के उपरांत उपाध्यक्ष अथवा उसके द्वारा अधिकृत प्राधिकारी द्वारा निर्धारित प्रपत्र पर प्रमाण पत्र निर्गत किया जाएगा। प्रमाण पत्र जारी करने की अधिकतम अवधि 30 दिवस रखी गई है। यह बायलाज मगपेजपदह वूदमते  जिनके भवन वर्तमान महायोजना लागू होने से पूर्व बने हैं तथा वर्तमान महायोजना में उनका उपयोग पूर्व उपयोग से अन्यथा दर्शाया गया है, के लिए हितकर होंगे क्योंकि बायलाज के अंतर्गत प्रमाण पत्र प्राप्त करने के उपरांत उन्हें भू उपयोग के विरुद्ध अथवा अनाधिकृत निर्माण की श्रेंणी  में नहीं माना जाएगा।

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