एक गांव ऐसा भी जहाँ सिर्फ महिलाएं ही वसती हैं

लेखक - अमरेन्द्र सहाय अमर


कहते हैं महिला और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक होते है।  दाम्पत्य जीवन और वंश बेल को आगे बढ़ाने में महिला और पुरुष की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण और बराबरी की होती है।  यह परम्परा सदियों से चली  आ रही है और आगे भी चलती रहेगी।  बिना महिला और पुरुष के किसी गाँव, नगर और शहर की कल्पना नही की जा  सकती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गाँव की जानकारी देने जा रहे है  जहाँ सिर्फ और सिर्फ महिलाये रहती है।  इस गाँव में  पुरुष नहीं रह सकते ।  बल्कि यह कहें यहाँ  पुरुषो का रहना पूर्णतया वर्जित है।  यह दुनिया का एक अनोखा और एकलौता गाँव है जहाँ पुरुष नही सिर्फ महिलाएं ही रहती है।   अफ्रीका के उत्तरी केन्या  के समबुरू  इलाके का एक गाँव है उमोजा, उमोजा गाँव अपने आप में इसलिए खास है कि यहां पुरुषों के रहने पर प्रतिबन्ध है।  स्वाहली भाषा में उमोजा का मतलब होता है एकता यानि संगठन।  यहां पिछले 27 सालों से यही नियम लागू है । बहरहाल, शुरुआत में  इस गांव को वर्ष 1990  में  15 महिलाओं के लिए एक आश्रय स्थल के तौर पर बसाया गया था ।   यह वह महिलाएं हैं जिनका ब्रिटिश सैनिकों  बलत्कार  किया गया था।  हालांकि आज यह गांव ऐसी महिलाओं को आश्रय और आजीविका देने के मामले में यादगार मिसाल पेश कर रहा है, जो महिलाएं किसी भी हादसे जैसे यौन उत्पीड़न, रेप, घरेलू हिंसा या बाल विवाह आदि से उबरने में कामयाब हुई हैं। 

समबुरु लोग आदिवासी परंपराओं में जकड़े हुए होते हैं ।  यह अर्द्ध घुमंतू और काफी हद तक बहुविवाह करने वाले होते हैं ।  यह  मासाई जनजाति  से निकटता भी रखते है।  उमोजा में इस समय 50 महिलाओं ने अपने लगभग 200 बच्चों के साथ मिलकर अपने लिए एक अर्थव्यवस्था बनाई है।  यहाँ की महिलाएं आधुनिक समाज से कटी हुई हैं।  महिलाएं और बच्चे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नियमित आय कमाते हैं।  हालांकि यह भी एक रोचक तथ्यन है कि इस गाँव के नियम इतने कठोर और सख्त हैं कि जब  इनके लड़के 18 वर्ष की उम्र तक पहुंचते हैं, तो उन्हें गांव छोड़ देना पड़ता  है।    इस गाँव को देखने के लिए देश - विदेश से पर्यटक भी आते है।  इस पर्यटन द्वारा भी महिलाओं की आय बढ़ती है।  यहां की महिलाएं गांव में प्रवेश करने के बदले में आने वाले पर्यटकों से प्रवेश शुल्क वसूलती हैं।  यहां गांव में एक शिल्प केंद्र भी है।  इसमें महिलाएं रंगीन मनके, हार, चूड़ियां, पायल और महिलाओं से संबंधित अन्य आभूषण बनाती हैं, जिन्हें बिक्री के लिए रखा जाता है।  उमोजा गाँव में उन महिलाओं को शरण मिलती है जो खतना, रेप और घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं.  गाँव कि महिलाये न सिर्फ इन्हें आश्रय देती हैं  अपितु इनके लिए रोज़गार की भी व्यवस्था करती हैं ताकि पीड़ित महिला आत्मनिर्भर हो सके । 
इस गाँव में बच्चों की  पढ़ाई के लिए विद्यालय भी है।  इस विद्यालय में आस पास के गाँव के बच्चे भी शिक्षा के लिए आते हैं । 
इनके बीच जो बड़ी उम्र की महिलाएं होती हैं वे अपने से छोटी उम्र की लड़कियों और महिलाओं को सामाजिक मानदंडों जैसे महिला जननांग विकृति, जबरन गर्भपात आदि के बारे में जानकारी देती रहती हैं । 
यह सच है कि इस गाँव में पुरुषो के आने पर प्रतिबन्ध है लेकिन गाँव की महिलाएं अपने गाँव से निकल कर पास के बाज़ार या गाँव में नियमित रूप से जाती रहती हैं ।  उमोजा गाँव की महिलाओं का सिर्फ एक ही उदेश्य है कि वे इज्ज़त और स्वाभिमान से अपना जीवन जी सकें । 

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