भूगर्भ जल संरक्षण हेतु प्रदेश सरकार के सराहनीय कदम

प्रदेश सरकार के भूगर्भ जल विभाग द्वारा प्रदेश में भूजल के नियोजित विकास एवं प्रबन्धन हेतु वर्षा जल संचयन, भूजल सम्पादन की उपलब्धता व गुणवत्ता का आकलन तथा भूजल से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन एवं अनुसंधानात्मक सर्वेक्षण एवं विश्लेषण का कार्य किया जा रहा है। प्रदेश की भूजल सम्पदा का सर्वेक्षण, आकलन, प्रबन्धन व नियोजन तथा उससे जुड़ी समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन, भूगर्भ जल दोहन पर नियंत्रण, भूजल संरक्षण, संचयन तथा रिचार्ज योजनाओं का तकनीकी समन्वय व अनुश्रवण करते हुए जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

प्रदेश में भूजल गुणवत्ता की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों का सीमांकन कराया जा रहा है। प्रदेश में कई स्थानों पर भूजल की गुणवत्ता प्रभावित/दूषित होने के प्रकरण संज्ञान में आए हैं। इस हेतु भूगर्भ जल विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय विष विज्ञान संस्थान, लखनऊ के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित किया है। इससे हिण्डन बेसिन एवं घाघरा बेसिन में भूजल नमूनों के भूजल गुणवत्ता का समग्र आंकलन किया जा सकेगा। आंकलन की संस्तुतियों के आधार पर विभिन्न कार्यदायी विभाग पेयजल एवं कृषि उपयोग हेतु सुरक्षित जलापूर्ति के क्षेत्रों को चयनित कर सकेंगे।
नवीनतम भूजल संसाधन आंकलनके लिए विभाग ने वर्ष 2017 के आंकड़ों के आधार पर नवीनतम भूजल संसाधन आंकलन किया है, जिससे कि संकटग्रस्त भूजल क्षेत्रों की अद्यतन स्थिति पता चल सके। भूजल संसाधन के वर्ष 2017 के आंकड़ों पर आधारित आंकलन के अनुसार वर्तमान में प्रदेश के 82 विकासखण्ड अतिदोहित, 47 विकासखण्ड क्रिटिकल एवं 151 विकासखण्ड सेमीक्रिटिकल श्रेणी में वर्गीकृत किए गये हैं, तद्नुसार इन क्षेत्रों को अधिसूचित किया गया है।
भूजल स्तर की रियल-टाइम मानीटरिंग हेतु भूजल स्तर मापन के क्षेत्र में विभागीय पीजोमीटर को डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर से युक्त करने का निर्णय लिया गया है। इन डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर से टेलीमेट्री के माध्यम से प्रत्येक 12 घण्टे के अन्तराल पर रियल-टाइम भूजल स्तर प्राप्त किए जा रहे हैं जिससे भूजल संसाधन आंकलन को और अधिक प्रमाणित किया जा सकेगा।
प्रदेश के विभिन्न एक्यूफर में भूजल स्तर का अध्ययन किये जाने हेतु कार्य किया जा रहा है। प्रदेश मंे गत वर्षों तक केवल उथले ;ैींससवूद्ध एक्यूफर के भूजल स्तर का ही अध्ययन किया जाता था। भूजल दोहन बढ़ने के साथ-साथ गहरे एक्यूफर से भी पानी की निकासी की जा रही है। इस हेतु विभाग ने प्रदेश के संकटग्रस्त विकास खण्डों में मल्टीपल मानीटरिंग नेटवर्क का निर्माण किया गया है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक स्थल पर विभिन्न गहराईयों पर 03 उच्च क्षमता के भूजल स्तर मानीटरिंग वेल का निर्माण किया जा रहा है। ये मानीटरिंग वेल डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर से भी युक्त होेंगे, जिससे कि एक साथ तीनों एक्यूफर के रियल-टाइम भूजल स्तर का अनुश्रवण किया जा सकेगा।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा