56 गन्ना पर्यवेक्षकों को विभिन्न प्रकरणों में दिया गया लघु एवं वृहद दण्ड

 प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि न्याय की अवधारणा के अनुसार निर्दोष कार्मिको के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो यह सुनिश्चित कराना प्रत्येक विभागाध्यक्ष का परम कर्तव्य है। इसी सिद्धांत पर चलते हुये गन्ना विभाग द्वारा विभागीय कार्यवाही में निर्दोष पाये जाने के कारण 13 गन्ना पर्यवेक्षकों को दोषमुक्त करते हुये उनके विरुद्ध संस्थित की गयी अनुशासनिक कार्यवाही को बिना दण्ड के ही समाप्त कर दिया गया है, साथ ही 56 गन्ना पर्यवेक्षकों के विरूद्ध आरोप सिद्ध पाये जाने की वजह से उन्हें लघु एवं वृहद दण्ड देते हुए अनुशासनिक कार्यवाही का निस्तारण किया गया है।

इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये श्री भूसरेड्डी ने बताया कि विभाग को शासकीय कार्यों में लापरवाही, सर्वे कार्य में अनियमितता, सट्टा नीति का उल्लंघन, विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही, मृतक, भूमिहीन एवं अन्य अनियमित सट्टों के नियम विरूद्ध संचालन सम्बन्धी तथा अन्य आरोपों में गन्ना पर्यवेक्षकों के विरूद्ध गन्ना किसानों व अन्य माध्यमों से शिकायतें प्राप्त हुयी थी। शिकायतों की प्रथम दृष्टया जांच में दोषी प्रतीत होने वाले 69 गन्ना पर्यवेक्षकों के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही प्रतिस्थापित करते हुए परिक्षेत्र एवं जिला स्तरीय विभागीय अधिकारियों को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। जिसपर जांच अधिकारियों द्वारा अपचारी कार्मिकों पर आरोप पत्र प्रेषित करते हुए उनका स्पष्टीकरण मांगा गया तथा प्राप्त स्पष्टीकरण, अभिलेखीय साक्ष्यों के परीक्षणोपरान्त उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 के नियमों, शासनादेशांे के अन्तर्गत अपनी जांच आख्या प्रस्तुत की गयी।
उन्होने यह भी बताया कि जांच आख्या के सम्यक अनुशीलन के पश्चात आरोपी 69 गन्ना पर्यवेक्षकों में से 13 गन्ना पर्यवेक्षकों के विरुद्ध कोई आरोप सिद्ध न पाये जाने के कारण प्रचलित अनुशासनिक कार्यवाही को बिना किसी दण्ड के समाप्त करने का निर्णय लिया गया है। उक्त के अतिरिक्त 56 आरोपी गन्ना पर्यवेक्षकों के विरूद्ध जांच में आरोप सिद्ध पाये गये जिसके लिए उन्हें लघु एवं वृहद दण्ड दिया गया, इनमें से 32 पर्यवेक्षकों के विरूद्ध वसूली का आदेश देते हुए अनुशासनिक कार्यवाही का निस्तारण किया गया है।
गन्ना आयुक्त द्वारा इन प्रकरणों का निस्तारण कराते हुये कार्मिकों को संदेश भी दिया गया है कि गन्ना विभाग एवं इसकी सह-संस्थाओं में कार्यरत अधिकारी एवं कार्मिक पूरी निष्ठा से अपने दायित्वों का निर्वहन करें, किसी भी निर्दाेष कार्मिक को दण्डित नहीं किया जाएगा दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा। अधिकारियों और कार्मिकों को किसी भी माफिया, अराजकतत्वों एवं फर्जी शिकायत करने वालों से डरने की आवश्यकता नहीं है। विभाग द्वारा सदैव ईमानदार कार्मिकों के हितों की सुरक्षा की जाएगी। उन्होने ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि सभी भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टोलरेन्स की नीति अपनायी जायेगी तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही भी की जायेगी।
गन्ना आयुक्त द्वारा निर्दोष गन्ना पर्यवेक्षकों के हित में लिये गये निष्पक्ष निर्णय से गन्ना विभाग के कार्मिकों के मनोबल में वृद्धि हुयी है तथा अन्य कार्मिक भी निर्भीकता से एवं निष्पक्ष होकर अपने शासकीय दायित्वों के निर्वहन हेतु प्रेरित होंगे।

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