11 अक्टूबर से चलेगा पीएम - किसान समाधान अभियान
कृषि निदेशक विवेक सिंह ने बताया कि पीएम किसान समाधान दिवस के आयोजन का व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए, जिन किसानों का आधार नंबर गलत होने या आधार के अनुसार नाम सही न होने के कारण प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल रहा है, वे 11 से 13 अक्टूबर के बीच कार्यालय अवधि में अपने विकासखंड के राजकीय कृषि बीज भण्डार पर आधार कार्ड एवं बैंक पासबुक की फोटो कॉपी के साथ पहुंचकर अपना डाटा सही करा सकते हैं, उन्होंने बताया कि जिन किसानों को योजना के तहत कम से कम एक किस्त प्राप्त हुई है लेकिन उनका आधार संख्या या नाम त्रुटिपूर्ण है तो ऐसे किसानों का विवरण संबंधित बैंकों से प्राप्त कर उनका शत-प्रतिशत सत्यापन करा कर डाटा दुरुस्त कराने का निर्देश दे दिए गए हैं, इसके लिए कृषि विभाग व अन्य विभागों में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों को भी 3 दिन के लिए राजकीय कृषि बीज भण्डारों पर तैनात किया गया है।
उप जिला कृषि निदेशक उन्नाव डा. मुकुल तिवारी ने बताया कि किसानों के कल्याण के लिए संचालित प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य हो जाने के कारण काफी संख्या में ऐसे किसान जिनका आधार संख्या इनवेलिड है या आधार कार्ड में लिखे नाम के अनुसार डेटाबेस में नाम फीड नहीं हुआ है उनकी सम्मान निधि का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा रोक दिया गया है, ऐसे प्रकरणों के निस्तारण के लिए पीएम किसान समाधान दिवस के रूप में तीन दिनी अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने योजना से वंचित किसानों से अपील किया है कि अपने विकास खण्ड के राजकीय बीज भण्डार पर आयोजित शिविर में अपने अभिलेखों के साथ पहुंचकर अपना डाटा सही कराएं, ताकि उन्हें भी योजना से लाभान्वित कराया जा सके। साथ ही उन्होंने कहाँ किसान भाई किसी भी किसी दसा पराली न जलाये इसे गोशालाओं दान करके दो ट्राली पराली के बदले एक ट्राली गोबर की खाद लें जाएं और अपने खेतों की मृदा में जीवांश कार्बन बढ़ाए। गोबर की खाद में उपस्थित 50% नाइट्रोजन, 20% फास्फोरस व पोटेशियम पौधों को शीघ्र प्राप्त हो जाता है। इसके अतिरिक्त गोबर की खाद में सभी तत्व जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा व जस्ता आदि तत्व सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते हैं गोबर में उपस्थित पदार्थ एवं गुण कई बातों पर निर्भर करते हैं, जैसे पशु की जाति, अवस्था, चारा, दिनचर्या आदि। चरनेवाले या काम करनेवाले पशुओं का गोबर एक स्थान पर बँधे रहनेवालों से भिन्न रहता है। दूध पीनेवाले बच्चों या बछवों का गोबर मनुष्यों के मल से कुछ कुछ मिलता जुलता है। अधिक भूसा एवं कम खली खाने वाले पशुओं के गोबर में नाइट्रोजनयुक्त पदार्थ एंव वसा की मात्रा कम तथा सैलूलोज जैसी वस्तुएँ अधिक रहती हैं, किंतु अधिक खली खानेवाले पशुओं के गोबर में इसके विपरीत नाइट्रोजनवाले पदार्थ एवं वसा की मात्रा अधिक रहती है। गायों के गोबर में भी बच्चे के पेट में आने की अवस्था से लेकर दूध देने की अवस्था तक परिवर्तन होते रहते हैं। युवा पशु लगभग 70 प्रतिशत खाद्य शरीर में पचाता है, परंतु दूध देनेवाली गाय केवल 25 प्रतिशत ही पचा पाती है। शेष गोबर एव मूत्र में निकल जाता है। अन्न के दाने प्राय: मूल अवस्था में गोबर में विद्यमान रहते हैं; किंतु टूटे हुए, या पिसे हुए, अन्न के भाग पाचन क्रिया से प्रभावित हा जाते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ द्रव भी गोबर में रहता है। कहा जाता है कि यह द्रव कीटाणुनाशक होता है। गाय के गोबर में 86 प्रतिशत तक द्रव पाया जाता है। गोबर में खनिजों की भी मात्रा कम नहीं होती। इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन, चूना, पोटाश, मैंगनीज़, लोहा, सिलिकन, ऐल्यूमिनियम, गंधक आदि कुछ अधिक मात्रा में विद्यमान रहते हैं तथा आयोडीन, कोबल्ट, मोलिबडिनम आदि भी थोड़ी थोड़ी मात्रा में रहते हैं। अस्तु, गोबर खाद के रूप में, अधिकांश खनिजों के कारण, मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। पौधों की मुख्य आवश्यकता नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटासियम की होती है। वे वस्तुएँ गोबर में क्रमश: 0.3- 0.4, 0.1- 0.15 तथा 0.15- 0.2 प्रतिशत तक विद्यमान रहती हैं। मिट्टी के संपर्क में आने से गोबर के विभिन्न तत्व मिट्टी के कणों को आपस में बाँधते हैं, किंतु अगर ये कण एक दूसरे के अत्यधिक समीप या जुड़े होते हैं तो वे तत्व उन्हें दूर दूर कर देते हैं, जिससे मिट्टी में हवा का प्रवेश होता है और पौधों की जड़ें सरलता से उसमें साँस ले पाती हैं। गोबर का समुचित लाभ खाद के रूप में ही प्रयोग करके पाया जा सकता है।