प्रयागराज में शीतकालीन अमरूद के कम उत्पादन के कारण

प्रयागराज और कौशाम्बी उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण अमरूद उत्पादक क्षेत्रों में से एक है। हालाँकि 2020 के दौरानए राज्य के अधिकांश भाग में फसल विफल रही, परन्तु इस विश्व प्रसिद्ध अमरूद उत्पादक क्षेत्र में जाड़े की कम फसल एक विचारणीय विषय है।  प्रयागराज में सर्दियों की फसल की विफलता के कारणों की खोज और अमरूद के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के डी डी   प्रयास हेतु एक समिति का गठन किया गया थाए जिसमें डॉ. एस. राजन, निदेशक, आई.सी..आर.-सी.आई.एस.एच लखनऊ डॉ. पी.  के.  शुक्ल, प्रधान वैज्ञानिकए पादप रोग, डॉ गुंडप्पा, वैज्ञानिक, कीट विज्ञान शामिल थे। समिति ने सर्दियों के दौरान फसल की विफलता के कारणों को समझने के लिए अमरूद उत्पादकोंए उद्यान विभाग के अधिकारियों और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। समस्या के विश्लेषण के लिए किसानों और अधिकारियों सहित एक केंद्रित समूह चर्चा भी आयोजित की गई। इसके अतिरिक्तए प्रयागराज और कौशाम्बी के गहन अमरूद उत्पादक क्षेत्रों में विभिन्न बागों का अध्ययन किया गया। चर्चाओं और बागों के भ्रमण के आधार परए सर्दियों के दौरान फलों की उत्पादकता के लिए निम्न कारक जिम्मेदार पाए गए।

1 बारिश के मौसम की फसल अत्यधिक थी और यह सितंबर तक जारी रही। बरसात के मौसम की फसल की अधिकता के कारण सर्दियों की फसल के उत्पादन के लिए फूल नहीं आये क्योंकि बारिश के मौसम की फसल अधिक होने के कारण नए कल्ले नहीं निकले। किसानों ने बताया कि सर्दियों की फसल पिछले वर्ष की फसल का लगभग 20 प्रतिशत थी। वर्षा ऋतु की फसल का अधिक मात्रा में होने का एक अन्य कारण हल्का तापमान ग्रीष्मकाल के दौरान सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम था। ग्रीष्मकाल के दौरान लगातार बारिश भी वर्षा ऋतु के फलों के विकास के लिए जिम्मेदार थी जो अप्रैल.जून फूल से विकसित हुए थे।

2 मृदा में पानी की कमी और उच्च तापमानए बरसात के मौसम की फसल को समाप्त करने का प्राकृतिक तरीका है। गर्मी में मिट्टी में कम नमी के कारण फूल और छोटे फल गिर जाते हैं। इस वर्ष गर्मी में नियमित वर्षा और सामान्य से कम तापमान के कारण उक्त परिस्थिति उत्पन्न नहीं हुई। परिणाम स्वरूप बरसात की फसल की फलत अधिक रही और जुलाई से सितंबर तक फूल निकलने नहीं पाये और यह स्थिति सर्दियों की कम फसल के लिए जिम्मेदार थी।

3 नियमित बारिश के कारण फलों की मक्खी का प्रकोप अधिक था और फल इस कीट द्वारा बड़ी मात्रा में संक्रमित हुए जिससे यह उपयोग के लिए अयोग्य थे। फल मक्खी का प्रकोप अक्टूबर.नवंबर तक था जो असामान्य है।

4 अधिकांश किसान नया बाग विकसित करने के लिए बीजू पौधों का उपयोग कर रहे हैंए जिसके कारण एक ही बाग में सभी पेड़ों की उत्पादकता एक समान नहीं है। कई पेड़ अच्छी उपज दे रहे हैं लेकिन बहुत से पौधे बहुत कम उपज देने वाले हैं। यह कम उत्पादकता के कारणों में प्रमुख है। किसान कटाई.छंटाई का प्रयोग भी नहीं कर रहे हैं जो बाग की एक आयु के बाद बहुत आवश्यक है जहां पेड़ पर नए प्ररोह का उत्पादन सीमित हो जाता  है।

5 कई स्थानों पर गहरी जुताई से जड़ों को हानि पहुँचती है और जिससे संक्रमण को निमंत्रण मिलता है और पौध उकठा रोग के कारण सूख जाते हैं। छाल खाने वाला कीट इंडरबेला को कई बागों में ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया हैए इस प्रकार उकठा की घटना बढ़ रही है और अच्छी फसल के लिए आवश्यक नई शाखा के खराब होने के कारण कई बाग बेकार हो रहे हैं।

सुझाव

1 कीटों और बीमारी के उचित प्रबंधन के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

2 तकनीकों को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाये जाने हेतु प्रक्षेत्र प्रदर्शन स्थापित किये जाने चाहिए।

3 अप्रैल.मई के दौरान छंटाई के माध्यम से फसल नियमन का अभ्यास किया जा सकता है ताकि सर्दियों की फसल के लिए नए कल्ले विकसित हों और बारिश के मौसम की फसल को समाप्त किया जा सके।

4 इलाहाबाद सफेदा और लाल सेबी अमरूद के क्लोन को विकसित किया जाना चाहिए और नए बागान के लिए ग्राफ्टिंग द्वारा इसे कई गुना बढ़ाया जाना चाहिए ताकि किसानों को बाग में जल्दी उपज और उत्पादकता में एकरूपता मिल सके।

5 तकनीकी के विस्तार  से सम्बद्ध लोगों के प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि वे किसानों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं का समाधान करने के साथ.साथ नई उत्पादन तकनीकों का प्रसार कर सकें।

(एसराजन)

निदेशक

भा.कृ.अनु..-के..बा.सं.

रहमानखेड़ा लखनऊ

 

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