ICAR-CISH, लखनऊ ने विश्व खाद्य दिवस मनाया
संरक्षित खेती के तहत टमाटर और शिमला मिर्च जैसी फसलों की औसत पैदावार अक्सर खेत में खेती की तुलना में 10 गुना अधिक होती है। उन्होंने विशिष्ट उदाहरण देते हुए बताया कि संरक्षित खेती ने लद्दाख जैसे पर्यावरण की दृष्टि से कठोर क्षेत्रों में बागवानी उत्पादन में क्रांति ला दी है। इन लाभों को देखते हुए, निजी उद्यमी संरक्षित बागवानी में तेजी से निवेश कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी में निरंतर सुधार को देखते हुए, संरक्षित खेती धीरे-धीरे भारतीय बागवानी उद्योग के स्वचालन का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जिसमें शिक्षित और नवीन युवाओं को बागवानी की दुनिया की ओर आकर्षित करने की विशाल क्षमता है। उन्होंने प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में जलवायु-नियंत्रित हाई-टेक बागवानी, जैव-फिल्म (बायोडिग्रेडेबल) मल्चिंग, सस्ती हाइड्रोपोनिक्स उत्पादन तकनीक, एरोपोनिक्स, मछली की खेती के लिए एक्वापोनिक्स, सूक्ष्म साग, तैरती खेती, ऊर्ध्वाधर खेती और रसोई सहित इस क्षेत्र में उभरते अवसरों के बारे में बताया। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बागवानी फसलों की रक्षा करते हुए संरक्षित खेती कम से अधिक उत्पादन करने का सबसे अच्छा साधन है, और इस प्रकार बागवानी उत्पादन के स्थायी गहनता में अत्यधिक योगदान दे सकती है।
जैसे-जैसे हम धीरे-धीरे स्वचालित संरक्षित खेती प्रौद्योगिकियों की ओर बढ़ते हैं, बागवानी की यह ज्ञान-गहन शाखा निश्चित रूप से पेशे के लिए बहुत आवश्यक गौरव लाएगी तथा खेती को एक आनंदमय और पुरस्कृत गतिविधि बनाना संभव है। नीति निर्माताओं से संरक्षित खेती पर एक राष्ट्रीय संस्थान स्थापित करने का आह्वान करने की आवश्यकता है तथा संरक्षित खेती को विश्वविद्यालयों में कोर्स का हिस्सा बनाकर अधिक संख्या में विशेषज्ञों का विकास किया जा सकता है। डॉ. शैलेन्द्र राजन, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएसएच, लखनऊ ने बताया कि संरक्षित खेती द्वारा कम लागत से अधिक उत्पादन संभव है तथा वर्ष भर उत्पादन भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है| संरक्षित खेती को वातावरण के अनुकूल बना कर सिंचाई योग्य जल एवं अन्य संसाधनों का भरपूर उपयोग किया जा सकता है क्योंकि इसमें सामान्य खेती के तुलना में केवल 10 से 20% जल की आवश्यक जल की आवश्यकता पड़ती है| संरक्षित बागवानी ही बागवानी का भविष्य है और संभवत आने वाले समय में उत्पादकों को प्रौद्योगिकी में निपुण होने की आवश्यकता पड़ेगी| छोटे से स्थान में बागवानी फसलों का गुणवत्तापूर्ण अधिक उत्पादन प्रौद्योगिकी के कारण संभव हो सकेगा|