अपनी धरोहर अपनी पहचान

 
प्रदेश के विभिन्न स्मारकों/पुरास्थलों आदि के अनुरक्षण एवं विकास के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार की ‘‘एडाप्ट-ए-हेरिटेज पॉलिसी’’ की भाँति ‘एडाप्ट-ए-हेरिटेज पॉलिसी’- ‘‘अपनी धरोहर अपनी पहचान’’ नीति प्रख्यापित की गयी है। इस योजनान्तर्गत प्रथम चरण में पुरातत्व निदेशालय (संस्कृति विभाग) द्वारा ‘‘स्मारक मित्र’’ बनाये जाने के लिए 11 प्रमुख स्मारकों/स्थलों का चयन किया गया है। इस नीति से अप्रत्यक्ष रूप से जनसामान्य को रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त होंगे। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा क्रियान्वित वर्तमान फिल्म नीति का उद्देश्य भी प्रदेश की सांस्कृतिक, पौराणिक, ऐतिहासिक विरासत तथा गौरवशाली परम्परा को देश-विदेश में प्रचारित-प्रसारित कर उत्तर प्रदेश की सकारात्मक छवि को दर्शाना है। उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व में अभिवृद्धि करने, प्रदेश के फिल्म उद्योग को प्रोत्साहित करने, अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करने तथा संरक्षित स्मारकों/स्थलों का सम्यक प्रचार-प्रसार करने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रमुख सचिव संस्कृति  ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिये हैं। जारी शासनादेश में बताया गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग पुरातात्विक सर्वेक्षण, पुरास्थलों/स्मारकों के संरक्षण एवं जनसामान्य में पुरातात्विक चेतना जागृत करने में निरंतर प्रयत्नशील है। उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अनेकों स्मारक/पुरास्थल संरक्षित हैं, जो प्रदेश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर हैं।
उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित पुरास्थलों/स्मारकों पर शूटिंग किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पृथक से नियम बनाये जाने तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना 31 जुलाई 2015 को शुल्क निर्धारण हेतु उत्तर प्रदेश में यथावत अंगीकृत किया जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा निर्धारित शर्तों व नियमों के अधीन फिल्म बनाने के लिए निर्धारित शुल्क संरचना के आधार पर उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा प्रदेश में संरक्षित स्मारकों/स्थलों में फिल्मांकन के लिये रु. 10000/- (रु0 दस हजार मात्र) प्रत्यर्पणीय सुरक्षा जमा सहित रु0 50,000/- (रु0 पचास हजार मात्र) प्रतिदिन (सूर्योदय से सूर्यास्त तक) शुल्क निम्नलिखित नियमों एवं शर्तों के अधीन निर्धारित किया जाता है।
शासनादेश के अनुसार राज्य संरक्षित स्मारकों/स्थलों में फिल्म बनाने के लिए इच्छुक संस्थाओं को निदेशक उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग को कम से कम एक सप्ताह पूर्व आवेदन पत्र प्रेषित करना होगा। स्मारकों/स्थलों की सुरक्षा, संरक्षा एवं धरोहर को ध्यान में रखते हुए निर्धारित शर्तों के अनुसार ही निदेशक उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग द्वारा अनुमति प्रदान की जायेगी। निदेशक किसी भी संरक्षित स्मारक/स्थल के अन्दरूनी भागों को अर्थात किसी संरक्षित स्मारक के किसी एक भाग को, जो किसी प्रकार के वर्णन वाली छत से आच्छादित हो, फिल्माये जाने के लिए अनुमति नहीं प्रदान करेंगे, लेकिन यदि फिल्म का उद्देश्य शिक्षाप्रद हो या स्मारक की लोकप्रियता को बढ़ाना हो तो विशेष परिस्थिति में अल्प अवधि की अनुमति प्रदान की जायेगी। फिल्मांकन से प्राप्त शुल्क की धनराशि शासकीय कोष में जाम की जायेगी। स्मारक को कोई क्षति अथवा परिसर को गन्दा नहीं किया गया है, इस दृष्टि से स्मार के विभिन्न हिस्सों की फिल्मांकन करने से पूर्व तथा पश्चात में स्मारक की बीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की जायेगी।
शासनादेश के अनुसार आवेदन कर्ता द्वारा फिल्मांकन के पश्चात स्वयं के व्यय पर स्थल/परिसर में सफाई का कार्य कराया जायेगा। इसके उपरान्त नियमों के अनुपालन के आधार पर जमानत धनराशि अवमुक्त की जायेगी। कोई क्षति/गंदगी पाये जाने पर उ0प्र0 प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारकों तथा पुरातत्वीय स्थानों और अवशेषों का परिरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विधिक कार्यवाही की जा सकती है। फिल्मांकन प्रक्रिया हेतु एक निगरानी समिति का गठन किया जायेगा, जिसमें जनपद के जिलाधिकारी द्वारा नामित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, अध्यक्ष तथा निदेशक, संस्कृति एवं निदेशक, पुरातत्व द्वारा नामित उप निदेशक स्तर के अधिकारी सदस्य होंगे। किसी भी स्मारक/स्थल पर फिल्मांकन की अनुमति प्रदान किये जाने अथवा अस्वीकृत किये जाने का सर्वाधिकार उत्तर प्रदेश शासन/निदेशक, उ0प्र0 राज्य पुरातत्व विभाग के पास सुरक्षित होगा।

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