ओमिक्राॅन के बारे में वैज्ञानिकों की राय
कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी लहर में अपने गणितीय मॉडल सूत्र के माध्यम से आकलन करने वाले प्रो. अग्रवाल ने दक्षिण अफ्रीका में फैले ओमीक्रोन वेरिएंट पर स्टडी शुरू कर प्रारंभिक स्टडी जारी की है। इसके मुताबिक यह ओमीक्रोन वैक्सीन को बाईपास कर रहा है। अब तक जितने भी केस स्टडी सामने आई हैं, उसमें संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन बहुत अधिक घातक नहीं मिला है। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि सितंबर माह में ही तीसरी लहर को लेकर जो आकलन किया था, वह सच साबित होता दिख रहा है। कई देशों में फैलने के बाद भारत में भी ओमीक्रोन के केस मिलने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जब तीसरी लहर पीक पर होगी, तब रोजाना एक से डेढ़ लाख के बीच संक्रमित मरीजों के मिलने की संभावना है।
बच्चों पर इसका असर कम होगा
प्रो. अग्रवाल के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर का भी बच्चों पर असर कम होगा। उनमें लक्षण भी कम नजर आएंगे और वे जल्दी रिकवर हो जाएंगे।
जल्द रिकवर होंगे लोग
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि ओमीक्रोन से संक्रमित मरीज जल्दी रिकवर होंगे। उन्हें सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण होंगे लेकिन दूसरी लहर की तरह अधिक परेशान नहीं होंगे।
नेचुरल इम्युनिटी को ज्यादा बाईपास नहीं कर रहा
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि यह वेरिएंट नेचुरल इम्युनिटी को ज्यादा बाईपास नहीं कर रहा है। नेचुरल इम्युनिटी का मतलब जो लोग एक बार कोरोना संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें अधिक घबराने की जरूरत नहीं है। वे संक्रमण से नहीं बच पाएंगे लेकिन अधिक दिक्कत जैसी स्थिति नहीं होगी।
वैक्सीन व सावधानी बचाव का माध्यम
उनके मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर से बचने का सबसे अच्छा माध्यम सावधानी बरतना और वैक्सीन है। जिन लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज या अभी पहली ही डोज नहीं लगवाई है, वे तुरंत वैक्सीन लगवा लें। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन वाले लोगों को संक्रमण के चांस हैं लेकिन बहुत हल्का होगा। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि अगले सप्ताह पूरी स्टडी रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।
हल्के लॉकडाउन की बन सकती हैं स्थिति
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए पूरा लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता नहीं है। बचाव की चीजों को ही अगर सख्ती से पालन कराया जाए तो काफी है। जरूरत पड़ने पर हल्का लॉकडाउन लगाया जा सकता है।
पहली व दूसरी लहर में सही था आकलन
प्रो. अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल सूत्र से पहले व दूसरी लहर में भी स्टडी की थी। उनकी रिपोर्ट का आकलन काफी हद तक सही साबित हुआ था।