आलू किसान, हो जायें सावधान

 

प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डॉ0 आर0के0 तोमर द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू की फसल में पिछेता झुलसा बीमारी के प्रबंधन के सम्बंध में सूचना जारी की गयी है। डॉ0 तोमर ने बताया कि प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में माह दिसम्बर के मौसम में लगातार आद्रता बनी हुई है। मौसम की यह स्थिति आलू फसल की पिछेता झुलसा बीमार के लिए अनुकूल है। इस परिस्थिति में सभी आलू किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि जिन किसानों की आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, वे मेन्कोजेब या प्रोपीनेब या क्लोरोथेंलोनील युक्त फफूंदनाशक दवा का 2.0-2.5 किग्रा0 मात्रा को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें । जिन खेतों में बीमारी लग चुकी है उनमें किसी भी सिस्टमिक फफूंदनाशक-साइमोक्सानिल$मेन्कोजब या फनोमिडो$ मेन्कोजेब या डाइमेथोमार्फ $मेन्कोजब का 0.3 प्रतिशत (3.0 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर 1000 लीटर पानी में) की दर से छिड़काव करें। यदि बारिश की सम्भावना बनी हुई है और पत्ती गीली है तो फफूंदनाशक के साथ 0.1 प्रतिशत स्टीकर का भी प्रयोग करें। साथ ही उन्होंने बताया कि फफूंदनाशक को दस दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव किया जा सकता है। बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ब्राह्मण वंशावली

मिर्च की फसल में पत्ती मरोड़ रोग व निदान

ब्रिटिश काल में भारत में किसानों की दशा