यू पी में कब कौन
यूपी के मुख्यमंत्रियों की सूची नीचे दी गई है-
गोविंद बल्लभ पंत
कार्यकालः (26 जनवरी 1950 - 27 दिसंबर 1954) - 4 वर्ष, 335 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पंडित गोविंद बल्लभ पंत एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जो आधुनिक भारत के एक वास्तुकार भी थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम एवं उसके बाद भारत सरकार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंत 1937 से 1939 तक संयुक्त प्रांत के मुख्यमंत्री थे। आजादी के बाद, वह उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने।
संपूर्णानंद
कार्यकालः (28 दिसंबर 1954 - 6 दिसंबर 1960) - 5 वर्ष, 344 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
संपूर्णानंद एक शिक्षक के साथ ही राजनेता भी थे जिनका जन्म बनारस (वर्तमान में वाराणसी) में हुआ था। वर्ष 1922 में संपूर्णानंद को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के लिए चुना गया था और तब से वह स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन में भी भाग लिया था। उन्होंने लगभग 6 वर्षों तक उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। बाद में उन्हें राजस्थान के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।
चंद्र भानु गुप्ता
कार्यकालः प्रथम अवधिः (7 दिसंबर 1960 -1 अक्टूबर 1963) - 2 वर्ष, 298 दिन
द्वितीय अवधिः (14 मार्च 1967 - 2 अप्रैल 1967) - 19 दिन
तृतीय अवधिः (26 फरवरी 1969 - 17 फरवरी 1970) - 356 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री के रूप में चंद्र भानु गुप्ता ने तीन बार सेवा की है। वह 17 वर्ष की उम्र से एक सक्रिय राजनेता थे। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए और उन्होंने रोवलट विरोधी विधेयक में भी भाग लिया। 1929 में सीबी गुप्ता को लखनऊ के लिए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। राजनेता होने के अलावा, गुप्ता एक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद भी थे।
सुचेता कृपलानी
कार्यकालः (2 अक्टूबर 1963 - 13 मार्च 1967) - 3 वर्ष, 162 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उत्तर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री भी थीं। पंजाब (वर्तमान में हरियाणा) के अंबाला में जन्मी, वह एक प्रोफेसर और एक स्वतंत्रता सेनानी भी थीं जो स्वतंत्रता संग्राम में बेहद सक्रिय थीं। सुचेता वर्ष 1940 में स्थापित अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की संस्थापिका भी थी।
चरण सिंह
कार्यकालः प्रथम अवधिः (3 अप्रैल 1967 - 25 फरवरी 1968) - 328 दिन
द्वितीय अवधिः 18 फरवरी 1970 - 1 अक्टूबर 1970) - 225 दिन
पाटीः भारतीय क्रांति दल
चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के 9वें मुख्यमंत्री थे। उन्हें प्रायः ‘भारतीय किसानों के चौंपियन’ के रूप में जाना जाता है। इतना ही नहीं, चरण सिंह भारत के 5वें प्रधानमंत्री भी थे। उन्होंने महात्मा गांधी की नीतियों का पालन किया और भारत की आजादी के लिए एक अहिंसक संघर्ष का नेतृत्व किया। हालांकि, उन्हें कई बार जेल भेजा गया था।
चरण सिंह ने लोगों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू करके उत्तर प्रदेश के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम किया। उन्होंने अपनी पार्टी भारतीय क्रांति दल का गठन किया बाद में जिसका विलय जनता दल के साथ हो गया। उत्तर प्रदेश के लोगों द्वारा चरण सिंह को बहुत याद किया जाता है। उनकी मृत्यु के पश्चात उत्तर प्रदेश में मेरठ विश्वविद्यालय को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रूप में नामित किया गया है। उनकी मृत्यु के पश्चात, लखनऊ में अमौसी हवाई अड्डे का नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया था।
त्रिभुवन नारायण सिंह
कार्यकालः (18 अक्टूबर 1970 - 3 अप्रैल 1971) - 167 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
त्रिभुवन नारायण सिंह उत्तर प्रदेश के 12वें मुख्यमंत्री थे। बाद में उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उन्होंने लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और उद्योग एवं इस्पात मंत्री के रूप में भी कार्य किया था। वर्ष 1977 से 1980 तक सिंह कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने रहे। यह सक्रिय राजनेता राज्य विधायिका के किसी भी सदन के सदस्य बने बिना नियुक्त किए जाने वाले पहले मुख्यमंत्री बनने के लिए प्रसिद्ध थे।
कमलापति त्रिपाठी
कार्यकालः (4 अप्रैल 1971 - 12 जून 1973) - 2 वर्ष, 69 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कमलापति त्रिपाठी एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ एक प्रेरणादायक लेखक भी थे। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में दो बार अपनी सेवा प्रदान की। स्वतंत्रता सेनानी होने के नाते त्रिपाठी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया। उन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्ष 1973 में प्रांतीय सशस्त्र पुलिस विद्रोह के कारण त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
हेमवती नंदन बहुगुणा
कार्यकालः (8 नवंबर 1973 - 29 नवंबर 1975) - 2 वर्ष, 21 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे जो बाद में भारतीय लोक दल में शामिल हो गए और चरण सिंह के साथ काम किया। उन्होंने कांग्रेस से अपना रास्ता अलग कर लिया जब इंदिरा गांधी ने राज्य में आपातकाल घोषित कर दिया और लोकसभा के लिए नए चुनाव की मांग की और कांग्रेस के लिए लोकतंत्र (सीएफडी) नामक एक नये दल का गठन किया। उनकी बेटी रीता बहुगुणा जोशी भी राजनीति में हैं और वर्तमान में योगी के मंत्रिमंडल में मंत्री हैं।
एन डी तिवारी
कार्यकालः प्रथम अवधिः (21 जनवरी 1976 - 30 अप्रैल 1977) - 99 दिन
द्वितीय अवधिः (3 अगस्त 1984 - 24 सितंबर 1985) - 1 वर्ष 52 दिन
तृतीय अवधिः (25 जून 1988 - 5 दिसंबर 1989) - 1 वर्ष, 163 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में तिवारी को तीन बार नियुक्त किया गया था। उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया है। वह दो राज्यों के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। इसके अलावा, तिवारी ने 2007 से 2009 तक आंध्र प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया है।
राम नरेश यादव
कार्यकालः (23 जून 1977 - 27 फरवरी 1979) - 249 दिन
पाटीःर् जनता पार्टी
राम नरेश यादव एक सफल वकील और एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। वह जनता पार्टी के सदस्य थे लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। यादव ने 26 अगस्त 2011 से 7 सितंबर 2016 तक मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। यादव कथित रूप से व्यापम घोटाले में शामिल थे। उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत भी आरोपित किया गया था।
बनारसी दास
कार्यकालः (28 फरवरी 1979 - 17 फरवरी 1980) - 354 दिन
पाटीः जनता पार्टी
बनारसी दास एक भारतीय राजनेता थे जिन्होंने 1979 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। बनारसी दास एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई बार जेल गए थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले, दास बुलंदशहर से भारतीय संसद के सदस्य थे।
वी पी सिंह
कार्यकालः (9 जून 1980 - 18 जुलाई 1982) - 2 वर्ष, 39 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
विश्वनाथ प्रताप सिंह एक भारतीय राजनेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और भारत के 8 वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। सिंह ने पिछड़ी जातियों के लिए सक्रिय रूप से काम किया और प्रधानमंत्री के रूप में काफी लोकप्रिय हुए। उन्होंने 1984 और 1987 में वित्त और रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया है।
श्रीपति मिश्रा
कार्यकालः (19 जुलाई 1982 - 2 अगस्त 1984) - 2 वर्ष, 14 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले श्रीपति मिश्रा ने 1980 में विधानसभा अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। वह उन राजनेताओं में से एक हैं जिन्होंने गाँव की राजनीति से राज्य में शीर्ष स्थान हासिल करने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत की। मिश्रा ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
वीर बहादुर सिंह
कार्यकालः (24 सितंबर 1985 - 24 जून 1988) - 2 वर्ष, 274 दिन
पाटीः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वर्ष 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। सिंह ने 1988 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संचार मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में भी कार्य किया है।
मुलायम सिंह यादव
कार्यकालः प्रथम अवधिः (5 दिसंबर 1989 - 24 जून 1991) -1 वर्ष, 201 दिन
द्वितीय अवधिः (4 दिसंबर 1993 - 3 जून 1995) - 1 वर्ष, 181 दिन
तृतीय अवधिः (29 अगस्त 2003 - 13 मई 2007) - 3 साल, 257 दिन
पाटीः जनता दल, समाजवादी पार्टी
मुलायम सिंह एक भारतीय राजनेता हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में लगातार तीन बार और 1996 से 1998 तक रक्षा मंत्री के रूप में भी कार्य किया है। वह समाजवादी पार्टी के संस्थापक भी हैं और वर्तमान में आजमगढ़ से लोकसभा में संसद सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। यादव ने उत्तर प्रदेश की विधानसभा में आठ कार्यकालों के लिए विधानसभा सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
मायावती
कार्यकालः प्रथम अवधिः (3 जून 1995 - 18 अक्टूबर 1995) - 137 दिन
द्वितीय अवधिः (21 मार्च 1997 - 21 सितंबर 1997) - 184 दिन
तृतीय अवधिः (3 मई 2002 - 29 अगस्त 2003) - 1 वर्ष 118 दिन
चतुर्थ अवधिः (13 मई 2007 - 15 मार्च 2012) - 4 वर्ष 307 दिन
पाटीः बहुजन समाज पार्टी
मायावती बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के रूप में 4 बार कार्य किया है। मायावती भारत की पहली महिला अनुसूचित जाति की मुख्यमंत्री थीं। हल्की शुरुआत से मायावती के उदय को पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने “लोकतंत्र का चमत्कार” के रूप में परिभाषित किया है। 2007 में टाइम मैगजीन द्वारा उन्हें भारत की प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया था।
कल्याण सिंह
कार्यकालः प्रथम अवधिः (24 जून 1991 - 6 दिसंबर 1992) - 1 वर्ष, 165 दिन
द्वितीय अवधिः (21 सितंबर 1997 -12 नवंबर 1999) - 2 वर्ष, 52 दिन
पाटीः भारतीय जनता पार्टी
राजस्थान के वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक भारतीय राजनेता हैं। उन्होंने 1991 और 1997 में दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। कल्याण सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपनी भूमिका के लिए जाने जाते हैं।
राम प्रकाश गुप्ता
कार्यकालः (12 नवंबर 1999 - 28 अक्टूबर 2000) - 351 दिन
पाटीः भारतीय जनता पार्टी
राम प्रकाश गुप्ता उत्तर प्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश के राज्यपाल भी थे। वह भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती पार्टी, भूतपूर्व भारतीय जनता संघ के सदस्य थे। गुप्ता अपने राजनीतिक करियर में कई विवादों में उलझे हुए था।
राजनाथ सिंह
कार्यकालः (28 अक्टूबर 2000 - 8 मार्च 2002) - 1 वर्ष, 131 दिन
पाटीः भारतीय जनता पार्टी
राजनाथ राम बदन सिंह प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में गृहमंत्री हैं। उन्होंने वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। सिंह ने पूर्व में विभिन्न महत्वपूर्ण पदभारों को संभाला हैं जिनमें वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद और भाजपा का अध्यक्ष पद (दो बार) शामिल हैं। उन्होंने गाजियाबाद और लखनऊ से संसद सदस्य और 2003 में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया है।
अखिलेश यादव
कार्यकालः (15 मार्च 2012 - 19 मार्च 2017) - 5 वर्ष, 4 दिन
पाटीः समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। वह 38 वर्ष की आयु में पद संभालने वाले सबसे युवा व्यक्ति हैं। अखिलेश भूतपूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं।
योगी आदित्यनाथ
कार्यकालः (19 मार्च 2017 - पदस्थ)
पाटीःर् भारतीय जनता पार्टी
अजय मोहन बिष्ट के रूप में पैदा हुए योगी आदित्यनाथ, एक भारतीय साधु और राजनेता हैं जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 19 मार्च 2017 से पदभार संभाला है। आदित्यनाथ 1998 से लगातार पाँच कार्यकालों के लिए गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य रहे हैं। आदित्यनाथ ने गणित विषय के साथ अपनी स्नातक की उपाधि पूरी की है। वर्तमान में वह गोरखपुर के एक हिंदू मंदिर, गोरखनाथ मठ के महंत या मुख्य पुजारी भी हैं।