उ.प्र. गन्ना शोध परिषद में पंजीकरण कराने हेतु दिशा-निर्देश जारी

प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश के गन्ना कृषकों को गुणवत्तापूर्ण बीज गन्ने की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु प्रगतिशील किसानों जो बीज गन्ने का उत्पादन कर दूसरे किसानों को विक्रय करने के इच्छुक हैं का गन्ना विभाग में बीज गन्ना उत्पादक कृषक के रूप में पंजीकरण किये जाने की व्यवस्था लागू की गई है।

पंजीयन की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि बीज गन्ने का उत्पादन कर विक्रय करने के इच्छुक किसानों को विभाग द्वारा जारी निर्धारित प्रारूप पर निदेशक, उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहॉपुर के समक्ष उचित माध्यम द्वारा अपना आवेदन प्रस्तुत करना होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि इन किसानों को आवेदन पत्र में नाम, पिता का नाम,   यू.जी.सी. कोड, गन्ना किस्म, गन्ना किस्म का क्षेत्रफल, विक्रय हेतु उत्पादित सीडलिंग की प्रस्तावित संख्या, उत्पादित बीज की मात्रा आदि का स्पष्ट उल्लेख करना होगा, साथ ही आवेदन पत्र के साथ आधार कार्ड एवं खतौनी की छायाप्रति, तथा नोटरी द्वारा सत्यापित  रू.100 के शपथ-पत्र पर विभागीय निर्देशों का पालन किये जाने सम्बन्धी स्वघोषणा एवं पंजीकरण शुल्क भुगतान का विवरण संलग्न कर सम्बन्धित ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक अथवा जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय को प्रस्तुत करना होगा। पंजीकरण शुल्क रू.1000 का भुगतान निदेशक, उ.प्र. गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर के नाम डिमाण्ड ड्राफ्ट या सीधे शोध परिषद के खाता संख्या-56800100001699, आई.एफ.एस. कोड BARB0BUPGB बडौदा    यू.पी. ग्रामीण बैंक, शाखा-लोधीपुर, शाहजहॉपुर में सीधे आर.टी.जी.एस. करके किया जा सकता है।

उपरोक्त के सम्बन्ध में निदेशक, उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद द्वारा बताया गया कृषकों के पंजीकरण हेतु निर्धारित प्रक्रिया जारी कर दी गयी है तथा पंजीकरण की तैयारी पूरी की जा चुकी है। कृषकों द्वारा आवेदन करने के उपरान्त 15 दिनों के भीतर पंजीकरण पूर्ण कर दिया जायेगा।

निदेशक ने यह भी बताया कि बीज गन्ना उत्पादक कृषकों की नर्सरी का  पादप-प्रजनन एवं फसल सुरक्षा से सम्बन्धित वैज्ञानिकों, सम्बन्धित जिला गन्ना अधिकारी एवं ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों द्वारा निरीक्षण कर बीज की गुणवत्ता का परीक्षण एवं प्रमाणीकरण किया जायेगा।

उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी किस्म को छद्म रूप से किसी अन्य लोकप्रिय एवं नव विकसित दूसरी किस्म के रूप में विक्रय करने के सम्बन्ध में कोई शिकायत मिलने पर किसान के विरूद्व बीज अधिनियम 1966 मेें वर्णित व्यवस्था तथा अन्य सुसंगत अधिनियमों एवं नियमों के अन्तर्गत कार्यवाही करने के लिए विभाग पूर्ण रूप से स्वतन्त्र होगा।

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