मातृ शक्ति का किया सम्मान बढ़ाया मान

अब महिलाओं की सोच में परिवर्तन आया है। कम पढ़ी लिखी महिलाएं भी मजदूरी करके अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रही हैं, जिससे कि उनके बच्चे भी अच्छा जीवन यापन कर सकें। भारत अब रूढ़िवादी सोच से बाहर निकल रहा है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका महिलाएं निभा रही हैं। उक्त बातें  माननीय राज्यपाल/कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहीं। वह डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की ओर से आईईटी में आयोजित आविर्भाव दिवस 22 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर और मातृ दिवस के मौके पर बोल रहीं थीं। इस मौके पर उन्होंने मातृ शक्ति का सम्मान किया। परमार्थ संस्था के पांच बच्चों और उन्हें पढ़ाने वाली पांच आईईटी की छात्रा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुओं, निर्माण कार्य में लगी महिलाओं को सम्मानित किया। साथ ही गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की। वहीं प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया। उन्होंने आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी गेट का भी अनावरण किया।

महिलाओं को दिया टिप्स
अपने उद्बोधन के दौरान माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल महिलाओं के लिए अभिभावक की भूमिका में रहीं। उन्होंने बच्चों के सही पालन-पोषण के बारे में बताया। कहा कि बच्चों में बचपन से ही आत्मनिर्भर बनने की आदत डालनी चाहिए। माताओं को उन्हें ऐसा संस्कार देना चाहिए जिससे कि वो आगे चलकर किसी पर निर्भर न रहें। घर का वातावरण ऐसा बनाये जिससे कि बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े। क्योंकि ये बच्चे ही हमारे देश का भविष्य हैं। मां बनने का सौभाग्य हर महिला के लिए सुखद होता है। माताओं का सम्मान करना होगा। कहा कि अन्नप्राशन कराने की रस्म का लक्ष्य है कि छः माह के बच्चे को कौन-कौन सा पौष्टिक आहार दिया जाये जिससे कि उनका विकास अच्छे ढंग से हो। गोद भराई भी इसी तरह की प्रथा है, जिससे कि गर्भवती महिलाओं को ये बताया जाता है कि उनके लिए सही खान-पान क्या है। साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ घर में भेदभाव नहीं करना चाहिए। चाहे वो घर का काम करें या फिर बाहर नौकरी करने जाएं, उनका सम्मान हमेशा करना चाहिए। सेवा भाव नहीं बल्कि महिला और पुरूष को एक दूसरे का सहयोगी बनना चाहिए। उन्होंने आईईटी की छात्राओं की तारीफ की। कहा कि अपनी पढ़ाई में से समय निकाल कर इन गरीब बच्चों को पढ़ाना वाकई काबिले तारीफ है।
जिम्मेदारी का दिलाया एहसास
माननीय राज्यपाल ने कहा कि अभी भी 15 से 17 फीसदी बच्चों का जन्म अस्पताल में न होकर घरों में होता है। उन्होने कहा कि हमें अपने-अपने गांव या आस-पास की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलेवरी के लिए जागरूक करना चाहिए। साथ ही कुपोषित बच्चों और टीबी के मरीज बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जागरूक कर अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिए। बच्चों के जन्म दिवस को होटल में मनाने की बजाय यदि हम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों को खाना खिलाएं तो यह ज्यादा संतुष्टि देने वाला होगा।  
विश्वविद्यालयों में होंगे परंपरागत खेल
इस मौके पर माननीय राज्यपाल ने कहा कि हम अपने पारंपरिक खेलों से दूर हो गये हैं। जबकि ये खेल हमें एक दूसरे से जुड़ने का मौका देते थे। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पारंपरिक खेल जैसे, कबड्डी, खो-खो, लट्टू, गिल्ली-डंडा, लंगड़ी का आयोजन किया जाएगा। जिसमें छात्र से लेकर अध्यापकों तक की भागीदारी होगी। कहा कि हर विश्वविद्यालय परिसर में बरगद का पेड़ लगाना चाहिए।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्राविधिक शिक्षा मंत्री श्री आशीष पटेल जी ने एकेटीयू के 22 वर्षीय यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस 22 साल में विश्वविद्यालय ने बहुत से उतार-चढ़ाव को देखते हुए तकनीकी शिक्षा के विकास में योगदान दे रहा है। कहा कि विश्वविद्यालय न केवल तकनीकी शिक्षा बल्कि उद्यमिता, नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ाने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है। कहा कि हिन्दी में बीटेक की पढ़ाई करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। उन्होने इस विश्वविद्यालय से जुड़े जितने कालेज हैं उन्होंने अपने यहां अपने स्रोतों से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की न्यूनतम एक छात्रा को पढ़ाने की पहल की है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो0 प्रदीप कुमार मिश्र ने माननीय राज्यपाल /कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल का आभार जताया। कहा कि 22 वर्ष पहले प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में प्राविधिक शिक्षा के विकास को नया आयाम देने के लिए इस विश्वविद्यालय शुरूआत की थी। अपने स्थापना के उद्देश्य को पूरा करता हुआ यह संस्थान ं सिर्फ तकनीकी शिक्षा ही नहीं बल्कि सामाजिक सरोकार का भी भागीदार बन रहा है। कहा कि शिक्षा का तात्पर्य तभी पूरा होता है जब हम समाज के लिए कुछ कर सकें। इस दिशा में विश्वविद्यालय अपने दायित्वों का निर्वहन करने का प्रयास कर रहा है। कहा कि आज मातृ दिवस के शुभ अवसर पर हमें सभी माताओं के सम्मान का संकल्प लेना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन जिलाधिकारी श्री अभिषेक प्रकाश ने दिया। उन्होंने कहा कि मातृ दिवस और विश्वविद्यालय के आविर्भाव दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम निश्चित ही हमें प्रेरणा देगा। उन्होंने माननीय राज्यपाल का आभार जताया। इसके पहले कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रगान से हुई। विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलगीत गाया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के 22 वर्षों के इतिहास को समेटे एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी। इसके पहले माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल से आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी द्वार का उद्घाटन किया।
आईईटी के विद्यार्थियों की ओर से परमार्थ संस्था बनाकर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को निःशुल्क पढ़ाया जाता है। इस मौके पर माननीय राज्यपाल ने पांच बच्चों काजल, शांति, अभिलाषा, स्वाति लक्ष्मी और पांच आईईटी की छात्राओं आंचल, उन्नति, शिल्पी, रीना शालिनी को सम्मानित किया जो इन बच्चों को पढ़ाती हैं। साथ ही विश्वविद्यालय कर्मचारियों के गोद लिये अनाथ बच्चों राजमणि और शिवानी का सम्मान किया। वहीं, आईईटी तीन महिला कर्मियों का भी सम्मान किया। इसके अलावा दो महिला ग्राम प्रधान आकांक्षा और राधा शुक्ला, स्वयं सहायता समूह की दो महिलाओं कंचन व सविता, बच्चों के लिए कार्य करने वाले दो गैर सरकारी संगठनों यूनीसेफ और वर्ल्ड विजन का सम्मान किया गया। जबकि विशिष्ट कार्य के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/आशा बहुओं और एएनएम का अभिनंदन किया गया।
गोदभराई और अन्नप्राशन से खिल उठे चेहरे
कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल ने पांच गर्भवती महिलाओं पूजा, सना, सुमन, रंजना और दीपमाला को पौष्टिक आहार भेंटकर गोदभराई की। वहीं पांच प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को राज्यपाल ने खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा श्री सुभाष शर्मा, कुलसचिव श्री नंदलाल सिंह, उपकुलचिव डॉ0 आर0के0 सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 वंदना सहगल ने किया।

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