आगामी पांच वर्षों में लगेंगे 175 करोड़ पेड़
जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के शमन एवं अनुकूलन कार्याें हेतु पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उ0प्र0 द्वारा “कांफ्रेंस ऑफ पंचायत 2022” का आयोजन किया गया। जलवायु परिवर्तन कार्य योजना को सुनिश्चित करने एवं जनमानस को जागरूक करने हेतु पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, उ0प्र0, कैफ्री (सी0ए0एफ0आर0आई0), स्विस विकास सहयोग (एस0डी0सी0), जर्मन विकास सहयोग (जी0आई0जेड0) “विश्व पर्यावरण दिवस” दिनांक 5 जून, 2022 के अवसर पर इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान, लखनऊ में एक दिवसीय “कांफ्रेंस ऑफ पंचायत (सी0ओ0पी0), 2022” आयोजित कराई गयी। ग्राम पंचायतो को “क्लाइमेट स्मार्ट” बनाने हेतु सरकार द्वारा सौर ऊर्जा, प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ सुविधाँए, मौसम की निगरानी, मृदा संरक्षण, ग्रीन बेल्ट इत्यादि से सम्बन्धित कार्य ग्राम पंचायतो में किये जा रहे हैं।
“कांफ्रेंस ऑफ पंचायत” स्थानीय चुनौतियों, आवश्यकताओं, जलवायु परिवर्तन पर कार्यवाही को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए 58,000 राज्य पंचायतों, पंचायती राज संस्थानों और कार्यकर्ताओं को एक मंच के तहत एक साथ लाया गया। “कांफ्रेंस ऑफ पंचायत, 2022” यूनाइटेड नेशन इनवायरमेंट प्रोग्राम (यू0एन0इ0पी0) की थीम “केवल एक पृथ्वी” तथा “स्थानीय स्तर पर जलवायु संवेदी बदलाव हेतु सामूहिक प्रयास” पर आधारित है।
केन्द्रीय पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के मर्करी हॉल में आयोजित ‘‘कान्फ्रेंस ऑफ पंचायत-2022‘‘ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार किसी व्यक्ति का बजट होता है या अकाउंट होता है उसी प्रकार धरती व जलवायु का भी एक बजट है। विकसित राष्ट्रों की कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में विकासशील देशों की अपेक्षा अत्यधिक भूमिका है। इन विकसित राष्ट्रों ने पृथ्वी व प्रकृति का शोषण किया है। रिन्यूबल एनर्जी पर भारत ने जो काम किया है उससे विकसित राष्ट्र भी प्रेरित होकर अपना रहें हैं। वर्तमान समय में कृषि पर जलवायु परिवर्तन का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बदलते मौसम के प्रभाव से केवल फसलों का उत्पादन ही प्रभावित नहीं हो रहा है, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। जलवायु परिवर्तन का कुप्रभाव पूरी दुनिया में हर स्तर पर देखा जा रहा है। मौसम का अचानक बदलना चक्रवात, तूफान या बिजली गिरने जैसी आपदाओं की संख्या में बढोत्तरी और खेती, पशुपालन, भोजन में पौष्टिकता की कमी सहित कई अनियमितताएं उभर कर सामने आ रहीं हैं।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने ‘‘उत्तर प्रदेश में जलवायु परिवर्तन कार्यवाहीः पंचायत-प्राइवेट पार्टनरशिप की संभावनाएं एवं अवसर’’ विषय पर आयोजित द्वितीय सत्र में सत्राध्यक्ष के रूप में सत्र को संबोधित करते हुए पंचायती राज विभाग द्वारा ‘कांफ्रेंस ऑफ पंचायत्स’ के आयोजन की सराहना की। उन्होंने कहा कि मनुष्य नित प्रगति की है उसने अपनी प्रगति के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ किया है। हमने मौसम को अपने अनुकूल करने के लिए प्रकृति को खतरनाक स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। हमने अपने निर्माण कार्यों के लिए प्रकृति का अंधाधंुध दोहन किया है। उन्होंने अपील की कि हम सभी मिलकर पर्यावरण को सुधारने के लिए प्रण करें। अधिक से अधिक वृक्ष लगायें एवं पर्यावरण को स्वच्छ बनायें। उन्होंने यह भी अपील की कि पर्यावरण को नुकसान करने वाली गतिविधियों को कम करें और धरती को हरा-भरा बनायें।
प्रदेश के पंचायती राज मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण विभाग ने पंचायतों का सम्मेलन किया है इसके लिए मैं विभाग के मंत्री को धन्यवाद देता हंू। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधन हमारी निजी सम्पत्ति न होकर संपूर्ण समाज की धरोहर है। इस पर सभी का अधिकार है। प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता सदैव बनी रहे, इसको हम सभी को ध्यान में रखना है। हमें सरंक्षक के रूप में प्राकृतिक संसाधनों को भविष्य की पीढ़ियों को सोैंपना है। पर्यावरण निदेशालय उत्तर प्रदेश और जर्मन डेवलेपमंेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन(जी0आई0जेड0) के माध्यम से फाइनेंस एवं रूरल इंडिया को क्रियान्वित करने का हम काम कर रहें हैं।
कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि जलवायु परिवर्तन उत्तर प्रदेश या भारत की ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक गम्भीर समस्या है। उन्होंने कहा कि ब्रहमाण्ड में केवल पृथ्वी पर ही जीवन है इसलिए पृथ्वी पर एक परिवार की तरह रहें तभी जीवन संभव है। पृथ्वी, नदी, वायु को साफ रखना हम सबका दायित्व है। हम सबने यह महसूस किया है वातावरण में गर्मी बढ़ती जा रही है इसका मुख्य कारण वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ना है। हम पश्चिमी सभ्यता की ओर भागते तो जा रहें है लेकिन पर्यावरण का ख्याल नहीं रख रहें है। कार्बन डाई ऑक्साइड को कम करने के लिए उन्होंने लोगोें से अधिक से अधिक संख्या में वृक्ष लगाने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 100 करोड़ वृक्ष लगाये गये। आगामी पांच वर्षों में 175 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य प्रदेश सरकार ने रखा है। उन्होंने कहा कि स्कूलों, धार्मिक स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण कराए जाये। इस कार्यक्रम से सभी लोग जुड़ें तभी पर्यावरण को शुद्ध किया जा सकता है। उन्होंने ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि प्रदेश सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में अपना अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करें।
कार्यक्रम में प्रदेश के वन (राज्य मंत्री) श्री के0पी0 मलिक ने कहा कि हम 5 जून ही बल्कि 365 दिन पर्यावरण दिवस मनाकर प्राकृतिक संसाधनों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। धरती को वन की आवश्यकता है। चिंता की बात यह है कि जो परिवर्तन 15-20 वर्षों बाद अनुमानित थे वो अभी से दिखाई देने लगे हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहें हैं। ग्राम पंचायतें पर्यावरण को बचाने महती भूमिका निभा सकतीे हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री दुर्गाशंकर मिश्र ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन की भयावहता को हम देख रहें हैं। अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण फसलों पर दुष्प्रभाव पड़ा है। हमें आने वाली पीढ़ी के जीवन को बचाने के लिए पर्यावरण को स्वस्थ रखना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को स्वस्थ रखने के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगायें।
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय पंचायतीराज मंत्री श्री गिरिराज सिंह द्वारा तीन सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायतो को “जलवायु मित्र ग्राम पंचायत’’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जलवायु परिवर्तन दिग्दर्शिका, जलवायु परिवर्तन क्षमता विकास प्रशिक्षण पुस्तिका, सशक्त पंचायत रूपरेखा, जैव विविधता प्रबंधन में जैव विविधता प्रबंध समितियों की भूमिका नामक पुस्तिका एवं “श्रीमद्भागवत का वनस्पति संसार पुस्तक” का विमोचन किया गया। साथ ही हरीतिमा मोबाइल ऐप एवं यूपी प्लास्टिकोथॉन 2022 को भी लॉच किया गया।
“कांफ्रेंस ऑफ पंचायत, 2022” में 250 ग्राम प्रधानों एवं पंचायत सचिवों को व्यक्तिगत रूप से तथा प्रदेश की अन्य समस्त लगभग 58,000 ग्राम पंचायतों को पंचायती राज विभाग, उत्तर प्रदेश से समन्वय स्थापित कर ब्लाक स्तर से विडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से आमंत्रित किया गया। उक्त कांफ्रेंस में जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से 27 संवेदनशील जनपदों के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही प्रत्येक जनपद से एक पंचायत को अर्थात कुल 27 पंचायतों को “जलवायु मित्र ग्राम पंचायत” के रूप में सम्मानित किया गया।
अनेक क्लाइमेट हीरो जैसे पद्म श्री श्याम सुन्दर पालीवाल, ग्राम पिप्लान्त्री राजस्थान (कृषि वानिकी, जल संरक्षण), पद्म श्री सेतपाल सिंह, सहारनपुर, उ०प्र० (प्राकृतिक खेती), श्री गोपाल उपाध्याय (प्राकृतिक खेती), श्री रणधीर, ग्राम प्रधान, पल्ली, जम्मू (सौर ऊर्जा आधारित नेट जीरो ग्राम), श्री बलदेव ठाकुर, ग्राम प्रधान, धूमन, हिमाचल प्रदेश (क्लाइमेट स्मार्ट ग्राम), श्री ब्रिजेन्द्र पाल सिंह, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, लोक भारती (जल संरक्षण एवं नदियों का पुनर्जीवन), श्रीमती प्रेमशीला, जंगल कौड़िया, गोरखपुर (ठोस अपशिष्ट प्रबंधन) ने प्रतिभाग किया, जिनके द्वारा ग्राम पंचायत के स्तर पर जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्यों में प्रतिभाग कर प्रेरित किया गया।
सीओपी को चार मुख्य सत्रों में विभाजित किया गया। प्रथम तकनीकी सत्र ’’ग्राम पंचायत स्तर पर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य हेतु वित्तीय संस्थानो की व्यवस्थाः चुनौतिया एवं अवसर’’, द्वितीय स़त्र ’’उत्तर प्रदेश में जलवायु परिवर्तन कार्यवाहीः पंचायत निजी भागीदारी (पी0पी0पी0) कीे संभावनाएं एवं अवसर’’, तृतीय सत्र ’’प्राकृतिक संपदा का पर्यावरणीय अनुकूल उपभोग एवं पुनः चकरण केवल एक पृथ्वी’’ तथा चतुर्थ सत्र ’’स्थानीय कार्यवाही के लिए वैश्विक भागीदारी’’ केंद्रित था।