दुनिया ताकत का सम्मान करती है

 

दुनिया ताकत का सम्मान करती है और वर्तमान विश्व में ताक़त का अर्थ है ,फ़ायनैन्शल_ताक़त. यदि आप भारत से बाहर कहीं निकले हैं तो आपको अच्छे से पता है एक सच चीन पश्चिम के देशों यहाँ तक कि अरब देशों के मुक़ाबले विकाश में, लाइफ़ स्टैंडर्ड में दूर दूर तक नहीं है. चीन की इकमात्र ताक़त यह है कि वह दुनिया के सब देशों की वो कामवाली बाई है जिसे कोई नाराज़ नहीं करना चाहता.

चीन अमेरिका को आँख दिखाता है. चीन की सबसे बड़ी ताक़त है अमेरिकन जो भी अविष्कार करते हैं, उसकी मैन्युफ़ैक्चरिंग सस्ते दामों पर चीन ही करता है. 

हर वो फ़िज़िकल मेहनत वाला काम जो अमेरिकन नहीं करना चाहते चीन करता है. इसके एवज़ में आँख भी दिखा ले जाता है, कामवाली बाई के नख़रे सहने पड़ते हैं

दुनिया को सस्ते दामों पर लेबर और मैन्युफ़ैक्चरिंग फकिलिटीज प्रदान कर चीन ने जो पैसे बनाए उनका इश्तेमाल वह दूसरे देशों में ऐसेट्स बनाने में कर रहा है और ताक़त बना ली.

क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि कतर ओमान जैसे छोटे मोटे देश कभी चीन में मुस्लिमों को रोज़ा के दौरान सरकार द्वारा ज़बरन पकड़ पकड़ सुवर मांस खिलाए जाने का विरोध भी जता सकते हैं? 

क्या सपने में भी सोचा क्या सपने में भी सोचा जा सकता है कि ईरान ओमान जैसे पिद्दी जैसे देश चीन में उजगर मुस्लिमों की दुर्दशा पर बयान भी जारी कर सकते हैं?

 क्या अरब चीन में मुस्लिमों को धर्म मानने तक का अधिकार नहीं है  इस वजह से चीनी सामान का बहिष्कार करने की सोंच भी सकता है?

 नूपुर शर्मा प्रकरण में अरब देशों का जो रुख़ रहा और उनके दबाव में भारत सरकार को जो ऐक्शन लेने पड़े सभी भारतीयों के लिए रियलटी चेक होना चाहिए कि अभी भी अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर भारत की वैल्यू कोई बहुत ताकतवर देश की नहीं है. मिडल ईस्ट में हमारी वैल्यू बस लेबर सप्लाइअर की ही है, वहाँ से आ रहे पैसों के दस पप्रतिशत से भी हमने उन देशों में इंफ़्रा स्ट्रक्चर निवेश किए होते बात दूसरी होती. निवेश करना दूर हम उल्टे उन देशों के पीछे दौड़ते हैं कि वह भारत में निवेश करें. 

अब ज़ाहिर सी बात है वह आपको नौकरी भी देंगे और आपको पैसे भी देंगे तो आँख भी दिखाएँगे. मिडल ईस्ट में कई देशों में भारतीय जनसंख्या स्थानीय जनसंख्या से सात आठ गुना ज़्यादा है. लेकिन उन देशों में भी भारतीयों की कोई ताक़त नहीं. 

हमने अपनी पहचान उस बिलासपुरी लेबर जैसी बनाई जो काम बड़ी मेहनत से करता है पर उसे कभी भी निकाल दूसरे लेबर को रख लो कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता.

यह घटना सभी भारतीयों के लिए आइ ओपनर होनी चाहिए. फ़ायनैन्शल ताक़त बने बग़ैर ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी और हम छोट छोटे देशों द्वारा भी डिकटेट होते रहेंगे.

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